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5G से 6G नेटवर्क 100 गुना होगा फास्ट, भारत टेक्नोलॉजी की खोज में तेजी से बढ़ रहा आगे - 6G टेक्नोलॉजी

6G communication: संचार तकनीक की दुनिया में लगातार बदलाव जारी है. 5G के बाद वैज्ञानिक 6G नेटवर्क पर तेजी से काम कर रहे हैं. भारतीय वैज्ञानिक इसके लिए लगातार काम कर रहे हैं. पढ़ें पूरी खबर..

6G communication
6G टेक्नोलॉजी
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By IANS

Published : Jan 7, 2024, 7:53 PM IST

नई दिल्ली: भारत ने हाल ही में दुनिया का सबसे तेज 5जी रोलआउट हासिल किया है. भारत संचार क्षितिज पर आगे 6जी या छठी जनरेशन की संचार तकनीक बनाने की दिशा में प्रगति शुरू करने में ग्लोबल टेलीकॉम सेक्टर में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

कॉन्सेप्ट स्टेज में होने के बावजूद 6जी संयुक्त मानव-मशीन और मशीन-मशीन कनेक्टिविटी के अपने वादे के साथ पहले से ही धूम मचा रहा है और भविष्य की झलक पेश करता है. अगली जनरेशन 6जी, 5जी तकनीक पर आधारित होगी. नये संचार ऐप्लिकेशन को बढ़ाने और चलाने के लिए 5जी की तुलना में लगभग 100 गुना तेज गति के साथ अधिक विश्वसनीय, अल्ट्रा-लो विलंबता और किफायती समाधान प्रदान करेगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2023 में दिल्ली के विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम में नए अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) क्षेत्र कार्यालय और इनोवेशन केंद्र का उद्घाटन किया था. पीएम ने यहां भारत 6जी विजन दस्तावेज का भी अनावरण किया और देश में 6जी आर एंड डी टेस्ट बेड लॉन्च किया.

भारत 6जी विजन दस्तावेज में भारत को 2030 तक 6जी प्रौद्योगिकी के डिजाइन, विकास और तैनाती में अग्रणी योगदानकर्ता बनने की परिकल्पना की गई है. पीएम ने देश में प्रौद्योगिकी अपनाने की तेज गति पर जोर देते हुए कहा था कि भारत में दुनिया के सबसे तेज 5जी रोलआउट के ठीक छह महीने बाद भारत 6जी पर चर्चा कर रहा है.

भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के सहयोगात्मक प्रयासों के साथ-साथ आईटीयू के 6जी विजन फ्रेमवर्क को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 6जी मानकीकरण को प्राथमिकता देने में भारत के दूरसंचार विभाग के प्रयासों के परिणामस्वरूप 6जी प्रौद्योगिकी के प्रमुख तत्वों के रूप में सर्वव्यापी कनेक्टिविटी, सर्वव्यापी इंटेलिजेंस और स्थिरता को सफलतापूर्वक अपनाया गया है और अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार क्षेत्र में भारत की स्थिति भी बढ़ी है.

संयुक्त राष्ट्र की सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के लिए विशेष एजेंसी आईटीयू द्वारा छठी जनरेशन या 6जी तकनीक को 'आईएमटी 2030' नाम दिया गया है. 22 जून 2023 को स्वीकृत 6जी फ्रेमवर्क के लिए आईटीयू की सिफारिश, 6जी अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) में एक आधार दस्तावेज के रूप में काम करेगी और दुनिया भर में 6जी प्रौद्योगिकी के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी.

भारत 6जी विजन सामर्थ्य, स्थिरता और सर्वव्यापकता के सिद्धांतों पर आधारित है. इसका उद्देश्य भारत को एडवांस दूरसंचार प्रौद्योगिकियों और समाधानों के अग्रणी आपूर्तिकर्ता के रूप में दुनिया में अपना स्थान लेने में सक्षम बनाना है, जो किफायती हैं और विश्व की भलाई में योगदान करते हैं.

भारत के दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र (टीईसी) ने इस 6जी फ्रेमवर्क पर देश के मानकीकरण कार्य का नेतृत्व किया है. टीईसी द्वारा अपनाए गए समावेशी दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप प्रमुख उद्योगों, स्टार्टअप, शिक्षा और अनुसंधान एवं विकास संगठनों की भागीदारी के साथ राष्ट्रीय अध्ययन समूह (एनएसजी) में व्यापक हितधारकों की भागीदारी हुई है.

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नई दिल्ली: भारत ने हाल ही में दुनिया का सबसे तेज 5जी रोलआउट हासिल किया है. भारत संचार क्षितिज पर आगे 6जी या छठी जनरेशन की संचार तकनीक बनाने की दिशा में प्रगति शुरू करने में ग्लोबल टेलीकॉम सेक्टर में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

कॉन्सेप्ट स्टेज में होने के बावजूद 6जी संयुक्त मानव-मशीन और मशीन-मशीन कनेक्टिविटी के अपने वादे के साथ पहले से ही धूम मचा रहा है और भविष्य की झलक पेश करता है. अगली जनरेशन 6जी, 5जी तकनीक पर आधारित होगी. नये संचार ऐप्लिकेशन को बढ़ाने और चलाने के लिए 5जी की तुलना में लगभग 100 गुना तेज गति के साथ अधिक विश्वसनीय, अल्ट्रा-लो विलंबता और किफायती समाधान प्रदान करेगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मार्च 2023 में दिल्ली के विज्ञान भवन में एक कार्यक्रम में नए अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार संघ (आईटीयू) क्षेत्र कार्यालय और इनोवेशन केंद्र का उद्घाटन किया था. पीएम ने यहां भारत 6जी विजन दस्तावेज का भी अनावरण किया और देश में 6जी आर एंड डी टेस्ट बेड लॉन्च किया.

भारत 6जी विजन दस्तावेज में भारत को 2030 तक 6जी प्रौद्योगिकी के डिजाइन, विकास और तैनाती में अग्रणी योगदानकर्ता बनने की परिकल्पना की गई है. पीएम ने देश में प्रौद्योगिकी अपनाने की तेज गति पर जोर देते हुए कहा था कि भारत में दुनिया के सबसे तेज 5जी रोलआउट के ठीक छह महीने बाद भारत 6जी पर चर्चा कर रहा है.

भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के सहयोगात्मक प्रयासों के साथ-साथ आईटीयू के 6जी विजन फ्रेमवर्क को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 6जी मानकीकरण को प्राथमिकता देने में भारत के दूरसंचार विभाग के प्रयासों के परिणामस्वरूप 6जी प्रौद्योगिकी के प्रमुख तत्वों के रूप में सर्वव्यापी कनेक्टिविटी, सर्वव्यापी इंटेलिजेंस और स्थिरता को सफलतापूर्वक अपनाया गया है और अंतरराष्ट्रीय दूरसंचार क्षेत्र में भारत की स्थिति भी बढ़ी है.

संयुक्त राष्ट्र की सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के लिए विशेष एजेंसी आईटीयू द्वारा छठी जनरेशन या 6जी तकनीक को 'आईएमटी 2030' नाम दिया गया है. 22 जून 2023 को स्वीकृत 6जी फ्रेमवर्क के लिए आईटीयू की सिफारिश, 6जी अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) में एक आधार दस्तावेज के रूप में काम करेगी और दुनिया भर में 6जी प्रौद्योगिकी के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी.

भारत 6जी विजन सामर्थ्य, स्थिरता और सर्वव्यापकता के सिद्धांतों पर आधारित है. इसका उद्देश्य भारत को एडवांस दूरसंचार प्रौद्योगिकियों और समाधानों के अग्रणी आपूर्तिकर्ता के रूप में दुनिया में अपना स्थान लेने में सक्षम बनाना है, जो किफायती हैं और विश्व की भलाई में योगदान करते हैं.

भारत के दूरसंचार इंजीनियरिंग केंद्र (टीईसी) ने इस 6जी फ्रेमवर्क पर देश के मानकीकरण कार्य का नेतृत्व किया है. टीईसी द्वारा अपनाए गए समावेशी दृष्टिकोण के परिणामस्वरूप प्रमुख उद्योगों, स्टार्टअप, शिक्षा और अनुसंधान एवं विकास संगठनों की भागीदारी के साथ राष्ट्रीय अध्ययन समूह (एनएसजी) में व्यापक हितधारकों की भागीदारी हुई है.

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