हैदराबाद : 2020 तक करीब 10 लाख भारतीय स्टूडेंट विदेश की यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई कर रहे थे. 2021 में भी अब तक 55 हजार इंडियन अमेरिका के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के लिए चुने जा चुके हैं. भारतीय छात्र अमेरिका और यूरोप की यूनिवर्सिटी में पढ़ने का ख्वाब रखते हैं. कोलंबिया, हावर्ड, ब्रिटिश कोलंबिया और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के नाम का ग्लैमर इंडियन स्टूडेंट्स को हमेशा लुभाता रहा है. मगर विदेश की यूनिवर्सिटीज में कई मेधावी छात्रों की पहुंच नहीं हो पाती है. इसके मुख्य तौर से दो कारण हैं, पहला विदेशी यूनिवर्सिटीज में एडमिशन कैसे मिलता है, यह कॉमन स्टूडेंट्स को पता नहीं है. दूसरा, जब पैरंट्स को पता चलता है कि सामान्य तौर से 2 साल के कोर्स के लिए 20-40 लाख रुपये खर्च करने पड़ेंगे तो उनका इरादा बदल जाता है.
विदेश की यूनिवर्सिटीज में एडमिशन का पता कैसे लगेगा
ऐसा तो नहीं हो सकता कि सोशल साइंस का स्टूडेंट कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करेगा. पहले स्टूडेंय यह तय करें कि विदेशी किस विषय की पढ़ाई करनी है या किस कोर्स में एडमिशन लेना है. फिर आप खुद इंटरनेट पर या कैरियर एजुकेशन काउंसिलर की मदद से यह देखें कि विदेश के किन यूनिवर्सिटीज में यह कोर्स उपलब्ध है. साथ ही इसका खर्च भी पता करें. साथ में यह भी जान लें कि विदेश में रहेंगे कैसे, खाएंगे क्या. मुसीबत में मदद कौन करेगा ? इंटरनेट पर https://collegedunia.com/ जैसी कई वेबसाइट आपको कॉलेज चुनने में मददगार साबित हो सकती है. कॉलेज तय कर लिया हो तो उसके वेबसाइट पर जाएं. वहां रजिस्टर करने के बाद आपको कॉलेज के बारे में पूरी जानकारी मिल जाएगी. फिर आप ऑनलाइन अप्लाई करें.
यह जान लें विदेश में पढ़ने के लिए बेसिक जरूरत क्या है
अधिकांश विदेशी विश्वविद्यालय सीधे अपनी वेबसाइट पर आवेदन करने का विकल्प देते हैं. आवेदन करते समय आवश्यकताओं को ध्यान से पढ़ें. अधिकतर यूनिवर्सिटीज में TOEF iBT, IELTS Academic, PTE Academic, or C1 एडवांस्ड सर्टिफिकेट की आवश्यकता होती है . इसलिए विदेश जाने से पहले इनमें से एक कोर्स जरूर कर लें. इसके अलावा GRE, GMAT, MCAT, LSAT जैसे टेस्ट को पास कर लें. अप्लाई करने के दौरान इससे संबंधित सर्टिफिकेट मांगे जाते हैं. अधिकतर छात्र 3-5 विश्वविद्यालयों में एडमिशन के लिए आवेदन करते हैं. आवेदन शुल्क आमतौर पर 75-100 अमरीकी डॉलर के बीच होता है. अमेरिका में सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक आवेदन प्रणाली नहीं है, इसलिए यूनिवर्सिटीज की वेबसाइट से ही आवेदन करें.
कवर लेटर और रिकमंडेशन लेटर भी तैयार रखें
आवेदन के दौरान ही कई बार यूनिवर्सिटी के स्कॉलरशिप प्रोग्राम के लिए आवेदन किया जाता है. इसलिए एक शानदार मोटिवेशनल लेटर (Motivation letter or statement of purpose) तैयार रखें. कवर में यह बताएं कि आप संबंधित कोर्स में क्यों एडमिशन लेना चाहते हैं. शिक्षा के क्षेत्र में आपने क्या अचीव किया है. आपके परिवार की आय कितनी है. इससे संबंधित दस्तावेज भी स्कैन कर कंप्यूटर पर लिख लें ताकि जरूरत पड़ने पर तत्काल उपलब्ध कराया जा सके. साथ ही अपने पुराने संस्थान के हेड ऑफ डिपार्टमेंट से रिकमंडेशन लेटर भी लें. इस लेटर में वह आपके चरित्र, व्यवहार और एजुकेशनल अचीवमेंट के बारे में पॉजिटिव जानकारी देंगे. इसके अलावा आप संस्थान के हेड से भी रिकमंडेशन लेटर ले सकते हैं. अगर आपका एप्लिकेशन अप्रूव हो जाता है तो वीजा के लिए अप्लाई करें.
अब पता करते हैं कि खर्च कैसे कम होगा.
यह सच है कि विदेशी यूनिवर्सिटीज में पढ़ाई का खर्च महंगा है. मगर यह जानकर हैरान हो सकते हैं कि 50 फीसदी से अधिक इंडियन स्टूडेंट स्कॉलरशिप और अनुदान के तहत अपनी स्टडी पूरा कर रहे हैं. यह स्कॉलरशिप उन्हें संबंधित देश की सरकारों, यूनिवर्सटीज, चैरिटेबल संस्था और कॉरपोरेट्स की तरफ से मिलती है. स्कॉलरशिप की राशि यूनिवर्सिटी और एजुकेशन प्रोग्राम पर निर्भर करती है. मगर इसे पाने के लिए सबसे जरूरी है, विदेश में पढ़ने वाले छात्र का मेधावी होना. अगर स्टूडेंट की एजुकेशन हिस्ट्री बेहतर है यानी उसने अंडर ग्रैजुएट क्लासेज में शानदार प्रदर्शन किया है तो स्कॉलरशिप मिलने के चांसेज ज्यादा होते हैं.
विदेश में पढ़ाई का पूरा खर्च माफ होगा, यह बात दिमाग से निकाल दें
विदेश में पढ़ाई करने का खर्च कोर्स के हिसाब से तय होता है. यह अमूमन 12 हजार से 60 हजार यूए डॉलर प्रति वर्ष होता है. स्कॉलरशिप, अनुदान या वर्किंग स्टडी के कारण आप यह खर्च 85 फीसदी तक कम कर सकते हैं. कुल खर्च का15 से 20 फीसद आपको खुद वहन करना होगा. स्कॉलरशिप के तहत ट्यूशन फीस में छूट, रहने-खाने का खर्च, हवाई यात्रा में आर्थिक तौर पर मदद मिलती है. कई स्कॉलरशिप में सिर्फ ट्यूशन फीस माफ की गारंटी मिलती है. स्कॉलरशिप प्रोग्राम के लिए टेस्ट और इंटरव्यू होते हैं, तो मन लगाकर इसकी तैयारी जरूर करें.
फुल स्कॉलरशिप के लिए अलग व्यवस्था है
फुल फ्री स्कॉलरशिप सिर्फ उन छात्रों को मिलती है, जो दो देशों के समझौते के कारण एक-दूसरे के युवाओं को पढ़ाने की गारंटी के तहत चुने जाते हैं. यह जानकारी भारत सरकार की बेवसाइट https://www.education.gov.in/en/scholarships पर हमेशा मिलती है. आप यहां लगातार सर्च करते रहे और अपने प्रोफाइल के हिसाब एप्लिकेशन डालें. वहां सभी देशों से भारतीय छात्र को मिलने वाली स्कॉलरशिप के बारे में सूचना हमेशा अपडेट होती है. साथ में पहले बताए गए सावधानियों के साथ इंटरव्यू की तैयारी करें. आप 011- 26172492, 011- 26172917 पर कॉल कर प्रक्रिया के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं.
विदेश में अध्ययन के लिए लोकप्रिय छात्रवृत्ति
इंग्लैंड में पढ़ने वालों के लिए शेवनिंग यूके गवर्नमेंट स्कॉलरशिप, कॉमनवेल्थ स्कॉलरशिप, इरास्मस स्कॉलरशिप, रॉयल सोसाइटी ग्रांट, कॉर्नेल विश्वविद्यालय में पढ़ने के लिए टाटा स्कॉलरशिप, फुलब्राइट-नेहरू मास्टर फेलोशिप फॉर इंडियन स्टूडेंट्स से मदद मिल सकती है. यूएस में यूनिवर्सिटी ऑफ क्वींसलैंड भारतीयों को इंडिया ग्लोबल लीडर्स स्कॉलरशिप देती है. न्यू साउथ वेल्स विश्वविद्यालय फ्यूचर ऑफ चेंज स्कॉलरशिप देता है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में आवेदन करने वाले छात्रों के लिए रोड्स स्कॉलरशिप, यूनिवर्सिटी ऑफ लिंकन इंडिया स्कॉलरशिप उपलब्ध हैं.
अमेरिका में अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के लिए सहायता के बहुत सारे अवसर भी उपलब्ध हैं. उदाहरण के लिए, पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय, हर सेशन में 9 मिलियन डॉलर से अधिक की स्कॉलरशिप और फेलोशिप देता है. हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने 2017-18 में 594 अंडर ग्रैजुएट्स को सहायता आवंटित की, जिसमें औसत अनुदान 64,459 डॉलर था. कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने कुल 257 अंतरराष्ट्रीय अंडर ग्रैजुएट्स को औसतन 66,350 डॉलर की स्कॉलरशिप दी. यह राशि कुल खर्च से थोड़ा ही कम है.
स्टडी लोन भी मिलता है, मगर नियमों को ध्यान से देखें
विदेश में पढ़ाई के लिए भारतीय बैंक भी 30 लाख तक के स्डटी लोन या एजुकेशन लोन उपलब्ध कराते हैं. ज्यादातर बैंक एजुकेशन लोन को वापस करने के लिए एक साल से 15 साल का वक्त देते हैं. आप लोन लेने से पहले बैंक से ब्याज दर के बारे में जानकारी लें, क्योंकि ब्याज की दर अलग-अलग है.
अगर विदेश में ही पढ़ना है तो खर्च की चिंता कम करें और पढ़ाई में दिल लगाएं. जितना पढ़ेंगे, उतना ही कम खर्च होगा.