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Chinese Technology : 90% से भी ज्यादा तकनीकों में पश्चिमी देशों से चीन है आगे, दुनिया को बेहतर बनाने में कारगर हैं ये तकनीकें

ये तकनीकी मौजूदा दुनिया को बेहतर बनाने में बेहद कारगर हैं. ट्रैकिंग तकनीकी अध्ययन के नतीजों के अनुसार इन तकनीकों में 37 में चीन आगे है. इन तकनीकों में इलेक्ट्रिक बैटरी, हाइपरसोनिक्स, 5G और 6G जी जैसे उन्नत रेडियो-फ्रीक्वेंसी संचार सेवाओं वाली तकनीक शामिल हैं. Chinese dominance in science technology sector .

Chinese Technology
तकनीकी क्षेत्र में चीन का दबदबा
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Published : Mar 8, 2023, 1:55 PM IST

बीजिंग : कभी तकनीकी और वैज्ञानिक विकास की दौड़ में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी समेत पश्चिमी देशों का दबदबा हुआ करता था. लेकिन अपनी पहल, वैज्ञानिक और तकनीकी विकास पर फोकस करने के चलते उन्नत तकनीक की दौड़ में पूरी दुनिया में चीन का दबदबा कायम होता जा रहा है. ऑस्ट्रेलिया के थिंक टैंक Australian Strategic Policy Institute ( द ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट ) ने एक साल तक किए गए एक अध्ययन के बाद इस नतीजे पर पहुंचा है. थिंक टैंक ने इस अध्ययन में 44 वैश्विक तकनीकों को ट्रैक किया. ये तकनीकी मौजूदा दुनिया को बेहतर बनाने में बेहद कारगर हैं. ट्रैकिंग तकनीकी अध्ययन के नतीजों के अनुसार इन 44 तकनीकों में से 37 में चीन आगे है. इन तकनीकों में इलेक्ट्रिक बैटरी, हाइपरसोनिक्स, 5G और 6G जी जैसे उन्नत रेडियो-फ्रीक्वेंसी संचार सेवाओं वाली तकनीक शामिल हैं.

इस अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार ऐसा नहीं कि संयुक्त राज्य अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश उन्नत तकनीक और प्रौद्योगिकी के विकास के लिए प्रयास नहीं कर रहे हैं. ये देश दुनियाभर की प्रतिभाओं को आकर्षित करन और अपनी प्रतिभाओं को विकसित करने के लिए कोशिश भी कर रहे हैं. इसके लिए वे भरपूर बजट भी दे रहे हैं. इसके बावजूद इस दौड़ में चीन से वे पिछड़ रहे हैं. वैश्विक आर्थिक ताकत बनने की दिशा में सिर्फ बुनियादी ढांचा और आर्थिक कारोबार बढ़ना ही जरूरी नहीं होता है. चीन ने इस तथ्य को पहले ही समझ लिया था. इसीलिए उसने अपनी प्रतिभाओं को तराशने, अपनी शैक्षिक स्थिति और व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए थे. जिसकी वजह से वह वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति की दुनिया में नया इतिहास रच रहा है और ऑस्ट्रेलिया जैसे पश्चिमी खेमे के देशों के थिंक टैंक भी चीन की ताकत को ना सिर्फ स्वीकार करने लगे हैं, बल्कि वैश्विक तकनीकी विकास में उसे रेखांकित भी करने लगे हैं.

चीन की कामयाबी दीर्घकालिक नीतियों को लागू करने की वजह से
इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिभा और ज्ञान के लिए चीन ने काफी कोशिशें की हैं. चीन की यह कामयाबी उसकी दीर्घकालिक नीतियों और उन्हें बेहतरीन ढंग से लागू करने की वजह से है. चीन के राष्ट्रपति शी शिनपिंग और उनके पहले के नेताओं ने शोध और वैज्ञानिक प्रगति के प्रयासों में कमी नहीं आने दी. आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों में दुनिया के उच्च प्रभाव वाले शोध पत्रों में अकेले 48.49 प्रतिशत हिस्सा चीन का है. इस रिपोर्ट में भारत की तकनीकी क्षमता का भी जिक्र है. जिसके अनुसार 44 में चार तकनीकों में भारत शीर्ष पांच देशों में दूसरे स्थान पर है, जबकि 15 तकनीकों की सूची में शीर्ष तीसरे स्थान पर है. स्मार्ट मैटेरियल्स, कंपोजिट मैटेरियल्स, मशीनिंग प्रॉसेस, और बायोफ्यूल्स में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है. नैनोस्केल मैटेरियल्स, कोटिंग सहित 15 अन्य में तीसरे स्थान पर है.

बीजिंग : कभी तकनीकी और वैज्ञानिक विकास की दौड़ में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी समेत पश्चिमी देशों का दबदबा हुआ करता था. लेकिन अपनी पहल, वैज्ञानिक और तकनीकी विकास पर फोकस करने के चलते उन्नत तकनीक की दौड़ में पूरी दुनिया में चीन का दबदबा कायम होता जा रहा है. ऑस्ट्रेलिया के थिंक टैंक Australian Strategic Policy Institute ( द ऑस्ट्रेलियन स्ट्रैटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट ) ने एक साल तक किए गए एक अध्ययन के बाद इस नतीजे पर पहुंचा है. थिंक टैंक ने इस अध्ययन में 44 वैश्विक तकनीकों को ट्रैक किया. ये तकनीकी मौजूदा दुनिया को बेहतर बनाने में बेहद कारगर हैं. ट्रैकिंग तकनीकी अध्ययन के नतीजों के अनुसार इन 44 तकनीकों में से 37 में चीन आगे है. इन तकनीकों में इलेक्ट्रिक बैटरी, हाइपरसोनिक्स, 5G और 6G जी जैसे उन्नत रेडियो-फ्रीक्वेंसी संचार सेवाओं वाली तकनीक शामिल हैं.

इस अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार ऐसा नहीं कि संयुक्त राज्य अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देश उन्नत तकनीक और प्रौद्योगिकी के विकास के लिए प्रयास नहीं कर रहे हैं. ये देश दुनियाभर की प्रतिभाओं को आकर्षित करन और अपनी प्रतिभाओं को विकसित करने के लिए कोशिश भी कर रहे हैं. इसके लिए वे भरपूर बजट भी दे रहे हैं. इसके बावजूद इस दौड़ में चीन से वे पिछड़ रहे हैं. वैश्विक आर्थिक ताकत बनने की दिशा में सिर्फ बुनियादी ढांचा और आर्थिक कारोबार बढ़ना ही जरूरी नहीं होता है. चीन ने इस तथ्य को पहले ही समझ लिया था. इसीलिए उसने अपनी प्रतिभाओं को तराशने, अपनी शैक्षिक स्थिति और व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास शुरू कर दिए थे. जिसकी वजह से वह वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति की दुनिया में नया इतिहास रच रहा है और ऑस्ट्रेलिया जैसे पश्चिमी खेमे के देशों के थिंक टैंक भी चीन की ताकत को ना सिर्फ स्वीकार करने लगे हैं, बल्कि वैश्विक तकनीकी विकास में उसे रेखांकित भी करने लगे हैं.

चीन की कामयाबी दीर्घकालिक नीतियों को लागू करने की वजह से
इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रतिभा और ज्ञान के लिए चीन ने काफी कोशिशें की हैं. चीन की यह कामयाबी उसकी दीर्घकालिक नीतियों और उन्हें बेहतरीन ढंग से लागू करने की वजह से है. चीन के राष्ट्रपति शी शिनपिंग और उनके पहले के नेताओं ने शोध और वैज्ञानिक प्रगति के प्रयासों में कमी नहीं आने दी. आंकड़ों के अनुसार पिछले पांच वर्षों में दुनिया के उच्च प्रभाव वाले शोध पत्रों में अकेले 48.49 प्रतिशत हिस्सा चीन का है. इस रिपोर्ट में भारत की तकनीकी क्षमता का भी जिक्र है. जिसके अनुसार 44 में चार तकनीकों में भारत शीर्ष पांच देशों में दूसरे स्थान पर है, जबकि 15 तकनीकों की सूची में शीर्ष तीसरे स्थान पर है. स्मार्ट मैटेरियल्स, कंपोजिट मैटेरियल्स, मशीनिंग प्रॉसेस, और बायोफ्यूल्स में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है. नैनोस्केल मैटेरियल्स, कोटिंग सहित 15 अन्य में तीसरे स्थान पर है.

(आईएएनएस)

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