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CP एनकाउंटर के दोषियों को जेल से छोड़ा गया, उम्रकैद की मिली थी सजा

फर्जी एनकाउंटर के सभी 10 दोषियों को जेल से रिहा कर दिया गया है. फर्जी एनकाउंटर के इस मामले में दोषियों को वर्ष 2007 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. सेंटेंस रिव्यू बोर्ड में उन्हें छोड़ने के लिए फाइल भेजी गई थी.

policeman involved in canaught place encounter got relief from punishment in delhi
दिल्ली पुलिस
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Published : Oct 27, 2020, 1:16 PM IST

नई दिल्ली: 1997 कनॉट प्लेस फर्जी एनकाउंटर के सभी 10 दोषियों को जेल से रिहा कर दिया गया है. फर्जी एनकाउंटर के इस मामले में दोषियों को वर्ष 2007 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. सेंटेंस रिव्यू बोर्ड में उन्हें छोड़ने के लिए फाइल भेजी गई थी. उनकी सिफारिश के बाद सभी 10 दोषियों को छोड़ दिया गया है. यह सभी दोषी कोरोना के चलते पैरोल पर चल रहे थे.

CP एनकाउंटर के दोषियों को जेल से छोड़ा गया
जानकारी के अनुसार वर्ष 1997 में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के एसीपी सत्यवीर राठी की टीम ने कनॉट प्लेस में एनकाउंटर किया था. उन्हें सूचना मिली थी कि कुख्यात बदमाश मोहम्मद यासीन कार में सवार होकर आएगा. कनॉट प्लेस में उन्होंने एक कार को रोका और उस पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दी. इस एनकाउंटर में कार सवार दो लोगों की मौत हो गई थी. मरने वाले प्रदीप गोयल और जगजीत सिंह कोई गैंगस्टर नहीं बल्कि कारोबारी थे. इस मामले में कार सवार तरुण बाल-बाल बच गए थे. इस फर्जी एनकाउंटर को लेकर हत्या का मामला दर्ज किया गया था.


2007 में मिली उम्रकैद की सजा

इस फर्जी एनकाउंटर के मामले में 10 पुलिसकर्मी गिरफ्तार हुए थे. इनमें एसीपी सत्यवीर राठी, इंस्पेक्टर अनिल कुमार, एसआई अशोक राणा, हवलदार शिव कुमार, तेजपाल, महावीर, सिपाही सुमेर सिंह , सुभाष चंद्र, सुनील कुमार और कोठारी राम शामिल थे. इस मामले में वर्ष 2007 में अदालत ने इसे फर्जी एनकाउंटर पाया और सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद सभी 10 दोषियों को जेल भेज दिया गया था. इसके बाद से वह जेल में अपनी सजा काट रहे थे. हालांकि आवश्यकता पड़ने पर उन्होंने पैरोल और फरलो ली थी.


16 साल जेल में बिताने के बाद छूटे

जानकारी के अनुसार इस मामले में इन दोषियों ने लगभग 16 साल जेल में बिताए हैं. जेल प्रसाशन की तरफ से इनकी सजा को लेकर सेंटेंस रिव्यू बोर्ड के समक्ष फ़ाइल भेजी गई थी. उन्होंने इन दोषियों की 16 साल की सजा को देखते हुए उन्हें छोड़ने की सिफारिश कर दी. गृह मंत्रालय की तरफ से इस बाबत आदेश आने के बाद सभी 10 दोषियों को जेल से छोड़ दिया गया है. सभी दोषी कोरोना के चलते जेल से बाहर थे. उन्हें जेल बुलाया गया और आवश्यक कार्रवाई पूरी करने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया.

नई दिल्ली: 1997 कनॉट प्लेस फर्जी एनकाउंटर के सभी 10 दोषियों को जेल से रिहा कर दिया गया है. फर्जी एनकाउंटर के इस मामले में दोषियों को वर्ष 2007 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. सेंटेंस रिव्यू बोर्ड में उन्हें छोड़ने के लिए फाइल भेजी गई थी. उनकी सिफारिश के बाद सभी 10 दोषियों को छोड़ दिया गया है. यह सभी दोषी कोरोना के चलते पैरोल पर चल रहे थे.

CP एनकाउंटर के दोषियों को जेल से छोड़ा गया
जानकारी के अनुसार वर्ष 1997 में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच के एसीपी सत्यवीर राठी की टीम ने कनॉट प्लेस में एनकाउंटर किया था. उन्हें सूचना मिली थी कि कुख्यात बदमाश मोहम्मद यासीन कार में सवार होकर आएगा. कनॉट प्लेस में उन्होंने एक कार को रोका और उस पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दी. इस एनकाउंटर में कार सवार दो लोगों की मौत हो गई थी. मरने वाले प्रदीप गोयल और जगजीत सिंह कोई गैंगस्टर नहीं बल्कि कारोबारी थे. इस मामले में कार सवार तरुण बाल-बाल बच गए थे. इस फर्जी एनकाउंटर को लेकर हत्या का मामला दर्ज किया गया था.


2007 में मिली उम्रकैद की सजा

इस फर्जी एनकाउंटर के मामले में 10 पुलिसकर्मी गिरफ्तार हुए थे. इनमें एसीपी सत्यवीर राठी, इंस्पेक्टर अनिल कुमार, एसआई अशोक राणा, हवलदार शिव कुमार, तेजपाल, महावीर, सिपाही सुमेर सिंह , सुभाष चंद्र, सुनील कुमार और कोठारी राम शामिल थे. इस मामले में वर्ष 2007 में अदालत ने इसे फर्जी एनकाउंटर पाया और सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. इसके बाद सभी 10 दोषियों को जेल भेज दिया गया था. इसके बाद से वह जेल में अपनी सजा काट रहे थे. हालांकि आवश्यकता पड़ने पर उन्होंने पैरोल और फरलो ली थी.


16 साल जेल में बिताने के बाद छूटे

जानकारी के अनुसार इस मामले में इन दोषियों ने लगभग 16 साल जेल में बिताए हैं. जेल प्रसाशन की तरफ से इनकी सजा को लेकर सेंटेंस रिव्यू बोर्ड के समक्ष फ़ाइल भेजी गई थी. उन्होंने इन दोषियों की 16 साल की सजा को देखते हुए उन्हें छोड़ने की सिफारिश कर दी. गृह मंत्रालय की तरफ से इस बाबत आदेश आने के बाद सभी 10 दोषियों को जेल से छोड़ दिया गया है. सभी दोषी कोरोना के चलते जेल से बाहर थे. उन्हें जेल बुलाया गया और आवश्यक कार्रवाई पूरी करने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया.

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