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हागिया सोफिया का दर्जा बदले जाने से विश्व गिरजाघर परिषद निराश

इस्तांबुल के हागिया सोफिया में पहली प्रार्थना 24 जुलाई को होगी. इसपर विश्व गिरजाघर परिषद के प्रमुख ने तुर्की के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर दुख एवं निराशा जताई है.

Hagia Sophia
हागिया सोफिया
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Published : Jul 12, 2020, 12:19 PM IST

फ्रैंकफर्ट : विश्व गिरजाघर परिषद के प्रमुख ने तुर्की के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इस्तांबुल के ऐतिहासिक स्थल हागिया सोफिया का दर्जा संग्रहालय से बदलकर मस्जिद करने के फैसले पर 'दुख एवं निराशा' जताई है.

जिनेवा स्थित संगठन द्वारा शनिवार को जारी पत्र में अंतरिम महासचिव इओन सॉसा ने कहा कि विश्व धरोहर संग्रहालय के तौर पर हागिया सोफिया खुलेपन और सभी राष्ट्रों के लोगों के लिए प्रेरणा का एक स्थान रहा है.

विशाल हागिया सोफिया का निर्माण 1,500 साल पहले रूढ़िवादी ईसाई गिरजाघर के तौर पर किया गया था और उस्मानी साम्राज्य द्वारा 1453 में कॉन्स्टेंटिनोपल (अब इस्तांबुल) पर विजय प्राप्त करने के बाद इसे मस्जिद में बदल दिया गया था.

धर्मनिरपेक्ष तुर्की सरकार ने 1934 में इसे एक संग्रहालय बनाने का फैसला किया और लाखों पर्यटक अब हर साल इस ऐतिहासिक स्थल का दौरा करते हैं.

उच्च न्यायालय द्वारा 1934 के सरकार के फैसले को रद्द किए जाने के बाद तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने इस इमारत को शुक्रवार को फिर से मस्जिद में आधिकारिक रूप से बदल दिया और इसे नमाज के लिए खोले जाने की घोषणा की.

पढ़े :24 जुलाई को हागिया सोफिया में होगी पहली नमाज : एर्दोगन

सॉसा ने कहा कि संग्रहालय का दर्जा समावेशन और धर्मनिरपेक्षता के प्रति तुर्की की 'शक्तिशाली अभिव्यक्ति' था.

फ्रैंकफर्ट : विश्व गिरजाघर परिषद के प्रमुख ने तुर्की के राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इस्तांबुल के ऐतिहासिक स्थल हागिया सोफिया का दर्जा संग्रहालय से बदलकर मस्जिद करने के फैसले पर 'दुख एवं निराशा' जताई है.

जिनेवा स्थित संगठन द्वारा शनिवार को जारी पत्र में अंतरिम महासचिव इओन सॉसा ने कहा कि विश्व धरोहर संग्रहालय के तौर पर हागिया सोफिया खुलेपन और सभी राष्ट्रों के लोगों के लिए प्रेरणा का एक स्थान रहा है.

विशाल हागिया सोफिया का निर्माण 1,500 साल पहले रूढ़िवादी ईसाई गिरजाघर के तौर पर किया गया था और उस्मानी साम्राज्य द्वारा 1453 में कॉन्स्टेंटिनोपल (अब इस्तांबुल) पर विजय प्राप्त करने के बाद इसे मस्जिद में बदल दिया गया था.

धर्मनिरपेक्ष तुर्की सरकार ने 1934 में इसे एक संग्रहालय बनाने का फैसला किया और लाखों पर्यटक अब हर साल इस ऐतिहासिक स्थल का दौरा करते हैं.

उच्च न्यायालय द्वारा 1934 के सरकार के फैसले को रद्द किए जाने के बाद तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने इस इमारत को शुक्रवार को फिर से मस्जिद में आधिकारिक रूप से बदल दिया और इसे नमाज के लिए खोले जाने की घोषणा की.

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सॉसा ने कहा कि संग्रहालय का दर्जा समावेशन और धर्मनिरपेक्षता के प्रति तुर्की की 'शक्तिशाली अभिव्यक्ति' था.

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