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हज यात्रा पर कोरोना का प्रभाव, नए रूप में पहुंच रहे जायरीन

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Published : Jul 29, 2020, 3:47 PM IST

कोरोना संकट से गुजर रहे विश्व के लिए ये समय कड़ी चुनौतियों वाला है. ऐसे में इस साल आयोजित की गई हज यात्रा का नजारा भी अलग रहा. पहले जहां लोगों की भारी भीड़ पवित्र मक्का पहुंचती थी. वहीं इस साल सिर्फ 1000 लोगों को यात्रा के लिए चुना गया. पूरी हज यात्रा में सोशल डिस्टेंसिग का खास ख्याल रखा गया.

हज यात्रा पर कोरोना का प्रभाव
हज यात्रा पर कोरोना का प्रभाव

दुबई : कोरोना वायरस महामारी के दौरान हज यात्रा शुरू होने पर चेहरे पर मास्क लगाए हजयात्रियों के छोटे-छोटे समूह पवित्र स्थल मक्का पहुंचने लगे हैं. हज करने को इस्लाम धर्म में खास अहमियत दी गई है. माना जाता है कि इस्लाम मानने वाले हर शख्स को अपने जीवन में एक बार हज यात्रा जरूर करनी चाहिए.

हज का मुख्य उद्देश्य आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देना है. साथ ही मुसलमानों में शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से विनम्रता और एकता लाना है.

हर साल की तरह इस बार हज यात्री कंधे से कंधा मिलाकर प्रार्थना नहीं कर पाएं. इस साल सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए 20 लोगों के छोटे समूहों ने अलग-अलग खड़े होकर प्रार्थना की.

हजयात्रा एक पारंपरिक यात्रा है जिसे हर साल मुस्लिम अपने रिश्तेदारों और परिवारजनों के साथ किया करते थे. बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता को व्हीलचेयर पर बिठाकर हजयात्रा कराते थे और छोटे बच्चों को पीठ पर लाद कर ले जाते थे. ये नजारा बहुत आम हुआ करता था. लेकिन इसबार नजारा कुछ अलग रहा.

दुनिया भर के 2.5 मिलियन से अधिक लोग सांप्रदायिक भावना से ऊपर उठकर और शिया- सुन्नी के मतभेदों को भुलाकर एक साथ प्रार्थना करना, एक साथ खाना और पश्चाताप करना लंबे समय से इस यात्रा का हिस्सा रहा है.

इस साल तीर्थयात्री अपने होटल के कमरों में अकेले भोजन कर रहे हैं और एक दूसरे से दूर बनाकर प्रार्थना कर रहे हैं.

ये पहली बार है जब सऊदी सरकार ने विदेशी मुसलमानों को राज्य में प्रवेश कर हज यात्रा करने से रोक दिया ताकि कोरोना संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके. सऊदी अरब में पहले से रह रहे 1,000 लोगों को इस साल के लिए चुना गया है.

यात्रा में शामिल हुए दो तिहाई लोग विदेशी हैं. एक तिहाई सऊदी सुरक्षाकर्मी और चिकित्सा कर्मचारी हैं. 20 से 50 साल के उम्र के उन लोगों को चुना गया जो पूरी तरह स्वस्थ हैं.

सभी तीर्थयात्रियों का कोरोना टेस्ट किया गया. इन्हें हज यात्रा के बाद क्वारंटाइन रहने की भी सलाह दी गई है.

अंतरराष्ट्रीय मीडिया को इस साल मक्का से हज की रिपोर्टिंग करने की अनुमति नहीं थी. सऊदी सरकार ने ग्रैंड मस्जिद से लाइव फुटेज प्रसारित की, जिसमें तीर्थयात्रियों की सीमित संख्या दिखी जहां लोग दूर रहकर काबा की परिक्रमा करते दिखाई दिये.

ये भी पढ़ें - सऊदी में हज के लिए पहुंचे घरेलू तीर्थयात्री, की गई सख्त स्वास्थ्य जांच

दुबई : कोरोना वायरस महामारी के दौरान हज यात्रा शुरू होने पर चेहरे पर मास्क लगाए हजयात्रियों के छोटे-छोटे समूह पवित्र स्थल मक्का पहुंचने लगे हैं. हज करने को इस्लाम धर्म में खास अहमियत दी गई है. माना जाता है कि इस्लाम मानने वाले हर शख्स को अपने जीवन में एक बार हज यात्रा जरूर करनी चाहिए.

हज का मुख्य उद्देश्य आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देना है. साथ ही मुसलमानों में शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से विनम्रता और एकता लाना है.

हर साल की तरह इस बार हज यात्री कंधे से कंधा मिलाकर प्रार्थना नहीं कर पाएं. इस साल सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए 20 लोगों के छोटे समूहों ने अलग-अलग खड़े होकर प्रार्थना की.

हजयात्रा एक पारंपरिक यात्रा है जिसे हर साल मुस्लिम अपने रिश्तेदारों और परिवारजनों के साथ किया करते थे. बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता को व्हीलचेयर पर बिठाकर हजयात्रा कराते थे और छोटे बच्चों को पीठ पर लाद कर ले जाते थे. ये नजारा बहुत आम हुआ करता था. लेकिन इसबार नजारा कुछ अलग रहा.

दुनिया भर के 2.5 मिलियन से अधिक लोग सांप्रदायिक भावना से ऊपर उठकर और शिया- सुन्नी के मतभेदों को भुलाकर एक साथ प्रार्थना करना, एक साथ खाना और पश्चाताप करना लंबे समय से इस यात्रा का हिस्सा रहा है.

इस साल तीर्थयात्री अपने होटल के कमरों में अकेले भोजन कर रहे हैं और एक दूसरे से दूर बनाकर प्रार्थना कर रहे हैं.

ये पहली बार है जब सऊदी सरकार ने विदेशी मुसलमानों को राज्य में प्रवेश कर हज यात्रा करने से रोक दिया ताकि कोरोना संक्रमण के खतरे को कम किया जा सके. सऊदी अरब में पहले से रह रहे 1,000 लोगों को इस साल के लिए चुना गया है.

यात्रा में शामिल हुए दो तिहाई लोग विदेशी हैं. एक तिहाई सऊदी सुरक्षाकर्मी और चिकित्सा कर्मचारी हैं. 20 से 50 साल के उम्र के उन लोगों को चुना गया जो पूरी तरह स्वस्थ हैं.

सभी तीर्थयात्रियों का कोरोना टेस्ट किया गया. इन्हें हज यात्रा के बाद क्वारंटाइन रहने की भी सलाह दी गई है.

अंतरराष्ट्रीय मीडिया को इस साल मक्का से हज की रिपोर्टिंग करने की अनुमति नहीं थी. सऊदी सरकार ने ग्रैंड मस्जिद से लाइव फुटेज प्रसारित की, जिसमें तीर्थयात्रियों की सीमित संख्या दिखी जहां लोग दूर रहकर काबा की परिक्रमा करते दिखाई दिये.

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