इस्तांबुल : राष्ट्रपति एर्दोआन ने कहा था कि हमारी सभी मस्जिदों की तरह ही हागिया सोफिया के दरवाजे स्थानीय और विदेशी, मुस्लिम और गैर-मुस्लिमों के लिए खुले रहेंगे. इसी कड़ी में आज इस्तांबुल के हागिया सोफिया में पहली प्रार्थना आयोजित की गई. शुक्रवार को हागिया सोफिया में विगत 86 वर्षों में पहली प्रार्थना आयोजित की गई. इसमें भाग लेने के लिए हजारों मुस्लिम इस्तांबुल के ऐतिहासिक हागिया सोफिया पहुंचे.
शुक्रवार की नमाज के लिए हागिया सोफिया परिसर में विशेष रूप से कई स्थानों को चिह्नित किया गया था. नमाज का हिस्सा बनने के लिए तुर्की के अलग-अलग क्षेत्रों से हजारों महिला-पुरुष समय से काफी पहले ही वहां पहुंच चुके थे. कई लोगों को रात भर हागिया सोफिया के पास ही डेरा डाले देखा गया.
तुर्की की मीडिया ने बताया कि नमाज पढ़ने पहुंचे दर्जनों लोगों को एक पुलिस चौकी से गुजरते और हागिया सोफिया की ओर भागते देखा गया. इस दौरान कोरोना महामारी के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी शारीरिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) के मानक का भी उल्लंघन हुआ.
इससे पहले, तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोआन ने एलान किया था कि हागिया सोफिया में 24 जुलाई को पहली नमाज पढ़ी जाएगी. शुक्रवार को हागिया सोफिया के खोले जाने के बाद बड़ी संख्या में लोग हागिया सोफिया परिसर में पहुंचे.
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बता दें कि हागिया सोफिया तुर्की की वह इमारत है, जो अपने भीतर दुनिया के दो महान साम्राज्यों की विरासत समेटे हुए है. यही नहीं इस इमारत से दुनिया के दो सबसे बड़े धर्मों की संस्कृति भी जुड़ी है. यूरोप और एशिया के चौराहे पर स्थित मानी जाने वाली यह इमारत महान वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है.
हागिया सोफिया चर्च इस्तांबुल की एक महत्वपूर्ण दर्शनीय इमारत है, जो यूरोप और एशिया के चौराहे पर स्थित है. यह पश्चिमी और पूर्वी सभ्यताओं का प्रतीक भी मानी जाती है. इस चर्च को ओटोमन साम्राज्य के दौरान मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया था और अतातुर्क के सत्ता में आने के बाद म्यूजियम में बदल दिया गया था.
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हागिया सोफिया को तुर्की के सर्वधर्म समभाव के प्रतीक के रूप में दुनिया में जाना जाता है. इसके फिर से मस्जिद बना दिए जाने के विरोध में वाइट हाउस से लेकर क्रेमलिन तक विरोध हुआ. हालांकि यूरोपियन यूनियन के शामिल होने के बावजूद भारत इस विरोध से दूर रहा है.