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लेबनान : प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प, 160 लोग घायल - लेबनान में सरकार गठन पर विरोध

लेबनान में प्रदर्शनकारी सरकार गठन में देरी से नाराज हैं. यहां प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ में 160 से अधिक लोग घायल हो गए. पढे़ं पूरा विवरण....

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लेबनान में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में 160 लोग घायल
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Published : Jan 19, 2020, 10:54 AM IST

Updated : Jan 19, 2020, 5:14 PM IST

बेरूत : लेबनान में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ में 160 से अधिक लोग घायल हो गए. प्रदर्शनकारी सरकार गठन में देरी से नाराज हैं. यहां सरकार विरोधी प्रदर्शनों का यह चौथा महीना है.

झड़प के बाद शहर भर में सायरन की आवाजें गूंजने लगी. रेड क्रॉस ने बताया कि 65 घायलों को अस्पताल ले जाया गया है और 100 से अधिक लोगों का घटनास्थल पर ही उपचार चल रहा है.

मध्य बेरूत के एक चौराहे पर शनिवार शाम को प्रर्शनकारियों के तम्बुओं में आग फैल गई. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि आग लगने का कारण क्या है.

लेबनान में प्रदर्शनों ने 17 अक्टूबर से फिर से जोर पकड़ा है. दरअसल देश का गहराता आर्थिक संकट लोगों की चिंता का कारण है और लोग नई सरकार के गठन का दबाव बना रहे हैं.

लेबनान में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प

पढे़ं : लेबनान में कुप्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन, प्रशासन ने किया वॉटर कैनन का इस्तेमाल

नई सरकार के गठन में फिलहाल कोई प्रगति नहीं हुई है. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इसमें सभी राजनीतिक दलों को छोड़ कर स्वतंत्र विशेषज्ञों को शामिल किया जाए. इससे पहले शहर भर में मार्च निकाले गए लेकिन संसद के निकट प्रदर्शनकारियों ने वहां सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों पर पथराव किया और बड़े बड़े गमले फेंके.

इसके बाद सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए पानी की बौछारें कीं और आंसू गैस के गोले छोड़े.

आंतरिक सुरक्षा बलों ने ट्वीट किया, 'संसद के एक प्रवेश द्वार पर दंगा रोधी पुलिस के साथ सीधी और हिंसक झड़पें हो रही हैं.'

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आंतरिक सुरक्षा बलों का ट्वीट

ट्वीट में आगे कहा गया, 'हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों से अपील करते हैं कि वे अपनी सुरक्षा के लिए दंगे वाले स्थान से दूर रहें.'

लेबनान में कैबिनेट का गठन पेचीदा प्रक्रिया है,क्योंकि यहां देश के मुख्य राजनीतिक दलों और धार्मिक संप्रदाय के बीच तालमेल बैठाने वाली एक जटिल व्यवस्था है लेकिन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे पुरानी व्यवस्था को समाप्त करना चाहते हैं और एक ऐसी नई सरकार चाहते हैं जो देश के गहराते आर्थिक और नकदी के संकट को दूर कर सके.

बेरूत : लेबनान में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच मुठभेड़ में 160 से अधिक लोग घायल हो गए. प्रदर्शनकारी सरकार गठन में देरी से नाराज हैं. यहां सरकार विरोधी प्रदर्शनों का यह चौथा महीना है.

झड़प के बाद शहर भर में सायरन की आवाजें गूंजने लगी. रेड क्रॉस ने बताया कि 65 घायलों को अस्पताल ले जाया गया है और 100 से अधिक लोगों का घटनास्थल पर ही उपचार चल रहा है.

मध्य बेरूत के एक चौराहे पर शनिवार शाम को प्रर्शनकारियों के तम्बुओं में आग फैल गई. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि आग लगने का कारण क्या है.

लेबनान में प्रदर्शनों ने 17 अक्टूबर से फिर से जोर पकड़ा है. दरअसल देश का गहराता आर्थिक संकट लोगों की चिंता का कारण है और लोग नई सरकार के गठन का दबाव बना रहे हैं.

लेबनान में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प

पढे़ं : लेबनान में कुप्रबंधन के खिलाफ प्रदर्शन, प्रशासन ने किया वॉटर कैनन का इस्तेमाल

नई सरकार के गठन में फिलहाल कोई प्रगति नहीं हुई है. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि इसमें सभी राजनीतिक दलों को छोड़ कर स्वतंत्र विशेषज्ञों को शामिल किया जाए. इससे पहले शहर भर में मार्च निकाले गए लेकिन संसद के निकट प्रदर्शनकारियों ने वहां सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों पर पथराव किया और बड़े बड़े गमले फेंके.

इसके बाद सुरक्षा बलों ने भीड़ को तितर बितर करने के लिए पानी की बौछारें कीं और आंसू गैस के गोले छोड़े.

आंतरिक सुरक्षा बलों ने ट्वीट किया, 'संसद के एक प्रवेश द्वार पर दंगा रोधी पुलिस के साथ सीधी और हिंसक झड़पें हो रही हैं.'

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आंतरिक सुरक्षा बलों का ट्वीट

ट्वीट में आगे कहा गया, 'हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वालों से अपील करते हैं कि वे अपनी सुरक्षा के लिए दंगे वाले स्थान से दूर रहें.'

लेबनान में कैबिनेट का गठन पेचीदा प्रक्रिया है,क्योंकि यहां देश के मुख्य राजनीतिक दलों और धार्मिक संप्रदाय के बीच तालमेल बैठाने वाली एक जटिल व्यवस्था है लेकिन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि वे पुरानी व्यवस्था को समाप्त करना चाहते हैं और एक ऐसी नई सरकार चाहते हैं जो देश के गहराते आर्थिक और नकदी के संकट को दूर कर सके.

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160 wounded as Lebanon protesters clash with police
         Beirut, Jan 19 (AFP) Clashes between police and protesters in Lebanon angered by delays in forming a government wounded more than 160 people on both sides Saturday as anti-establishment demonstrations enter a fourth month.
         The sound of ambulance sirens rang out across Beirut as the Red Cross reported 65 wounded had been taken to hospital and 100 more were treated on site.
         On Saturday evening, fire tore through protest tents in an iconic square in central Beirut. It was not immediately clear what caused the blaze.
         The protest movement rocking Lebanon since October 17 revived this week as a deepening economic crisis increases pressure to form a new government.
         No progress appears to have been made towards finalising the cabinet, which protesters demand be comprised of independent experts and exclude all established political parties.
         Earlier, marches had intended to converge on the city centre from across Beirut.
         But near parliament, dozens of protesters threw rocks and large plant pots at police guarding the road leading up to the institution. Others charged police lines with traffic signs and metal barriers.
         Security forces behind the barricades responded with water cannon and tear gas to disperse the crowds.
         "A direct and violent confrontation is taking place with anti-riot police at one of the entrances to parliament," the Internal Security Forces said on Twitter.
         "We ask peaceful protesters to keep away from the site of the rioting for their safety."
         They published photos of several wounded policemen and a video showing pillars stripped of their tiles, reportedly to be thrown at security forces.
         An AFP photographer saw young men uproot parking metres. He also saw around 10 people faint from tear gas inhalation.
         A 23-year-old woman named Maya said she was protesting because politicians seemed to be ignoring demands for an overhaul of the old political class.
         "I'm here because after more than 90 days in the streets, they're still squabbling over their shares in government... It's as if they didn't see our movement," she told AFP.
         "Popular anger is the solution," she said.
         Forming a cabinet is an often convoluted process in Lebanon, where a complex system seeks to maintain balance between the country's many political parties and religious confessions.
         But protesters say they want to scrap the old system, and demand a new government of impartial technocrats to address mounting economic woes, including a severe liquidity crisis.
         This week public anger has been directed at banks, with branches in the capital's Hamra district vandalised following widely unpopular limits on withdrawals and transfers.
         Dozens were detained for several nights after clashes on Tuesday and Wednesday, before being released.         
         Human rights groups denounced the arrests and what they described as unacceptable violence against largely peaceful protesters.
         The last government stepped down under pressure from the street on October 29, but has remained in a caretaker capacity until a new cabinet is formed.
         Political factions that agreed on December 19 to appoint former education minister and professor Hassan Diab as the new premier are now disagreeing over proposed ministers.
         The World Bank has warned that the poverty rate in Lebanon could rise from a third to half of the population if the political crisis is not solved quickly. (AFP)
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Last Updated : Jan 19, 2020, 5:14 PM IST
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