यरूशलम : इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भ्रष्टाचार के मामले में अपने खिलाफ चल रहे मुकदमे की सुनवाई में हिस्सा लेने के लिए सोमवार को अदालत में पेश हुए. वहीं, देश के राजनीतिक दल इस बात पर विचार-विमर्श करने में जुटे हैं कि पिछले महीने बेनतीजा रहे चुनावों के बाद उन्हें सरकार बनानी चाहिए या इस्तीफा देकर उनके खिलाफ चल रहे कानूनी मामलों पर ध्यान देना चाहिए.
यरूशलम की अदालत में गवाहों की पेशी और राष्ट्रपति कार्यालय में चल रहे राय-मशविरे के बीच असाधारण राजनीतिक नाटक देखने को मिल सकता है. वहीं, नेतन्याहू सत्ता में बने रहने को लेकर अति इच्छुक दिख रहे हैं.
वह इजराइल के सबसे अधिक वक्त तक सत्ता में रहने वाले प्रधानमंत्री हैं और दो साल से भी कम वक्त में हुए चार कठिन चुनावों में सत्ता हासिल करने में कामयाब रहे हैं, जबकि वह रिश्वत लेने, धोखाधड़ी और विश्वास हनन के आरोपों का सामना कर रहे हैं.
पिछले महीने (मार्च) की 23 तारीख को हुए चुनाव काफी हद तक नेतन्याहू के नेतृत्व को लेकर जनमत संग्रह थे लेकिन कोई स्पष्ट जनादेश नहीं आया.
अगली सरकार के गठन का मौका किस उम्मीदवार को दिया जाए, इस विषय पर इजराइली राजनीतिक दलों के नेताओं की राष्ट्रपति रूवेन रिवलिन से मुलाकात शुरू हो गई है जिसमें वह उस नाम की अनुशंसा करेंगे जिसे अगली सरकार बनाने की जिम्मेदारी दी जाएगी.
प्रत्येक चुनाव के बाद इजराइली राष्ट्रपति पार्टी किसी नेता को अगली बहुमत की सरकार बनाने की जिम्मेदारी देते हैं. सामान्यत: यह फैसला स्पष्ट होता है लेकिन इस बार राष्ट्रपति खंडित जनादेश की वजह से मुश्किल का सामना कर रहे हैं क्योंकि इजराइली संसद 'नेसेट' 13 पार्टियों में विभाजित है और सभी दलों की अपनी-अपनी विचारधारा है.
किसी के पास बहुमत नहीं
इजराइली संसद 'नेसेट' में न ही नेतन्याहू के सहयोगी दलों को और न ही विपक्षी दलों को पूर्ण बहुमत मिला है. ऐसे में नेतन्याहू की किस्मत का फैसला दक्षिणपंथी पूर्व सहयोगी नफताली बेनेट, जिनसे उनके संबंधों में खटास आ गई है और अरब इस्लामिस्ट पार्टी के नेता, मंसूर अब्बास के हाथों में हैं, जिन्होंने अभी तक नेतन्याहू के सहयोगी या विरोधी गुटों में से किसी का साथ देने पर रुख स्पष्ट नहीं किया है.
इजराइली मीडिया ने रिवलिन को उद्धृत करते हुए कहा कि वह किसी भी गठबंधन को सरकार बनाते हुए नहीं देख रहे हैं और चिंता व्यक्त की है कि इजराइल पांचवीं बार चुनाव का सामना कर सकता है.
यरूशलम जिला अदालत में, नेतन्याहू अपने वकीलों के साथ नजर आए जहां मुख्य अभियोजक लियात बेन आरी ने उनके खिलाफ लगे आरोपों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा, 'नेतन्याहू और बचाव पक्ष के बीच के संबंध चर्चा का विषय बन गए हैं. यह चर्चा लोक सेवक के फैसले को विकृत कर सकती है.'
नेतन्याहू के वकील ने इसका जवाब देना चाहा लेकिन न्यायाधीश रिवका फ्रीडमैन-फील्डमैन ने कहा कि वह पहले ही सुनवाई में आरोपों पर जवाब दे चुके हैं. इसके बाद अदालत ने कार्यवाही थोड़ी देर के लिए स्थगित कर दी, जिसके बाद नेतन्याहू अदालत कक्ष से बाहर आ गए.
वहीं अदालत कक्ष के बाहर, पुलिस बल की भारी मौजूदगी के बीच प्रधानमंत्री के कई समर्थक और विरोधी प्रदर्शन के लिए इमारत के दोनों तरफ एकत्र हो गए जो इजराइल में गहरे मतभेदों को दर्शाता है. नेतन्याहू विरोधी प्रदर्शनकारियों ने कई महीनों तक साप्ताहिक प्रदर्शन कर उनके इस्तीफे की मांग की. वहीं, महज कुछ किलोमीटर दूर, नेतन्याहू की दक्षिणपंथी लिकुड पार्टी के प्रतिनिधिमंडल ने रिवलिन के साथ मुलाकात में बतौर प्रधानमंत्री उनके नाम की अनुशंसा की.
नेतन्याहू के खिलाफ तीन मामले
नेतन्याहू के खिलाफ रिश्वत लेने, धोखाधड़ी करने और विश्वासघात करने के तीन मामले हैं. नेतन्याहू पर चल रहा पहला मामला हॉलीवुड फिल्म निर्माता आर्नन मिलचन और ऑस्ट्रेलियाई अरबपति जेम्स पैकर समेत अपने कई अमीर दोस्तों से लाखों डॉलर के तोहफे लेने से जुड़ा है.
दूसरे मामले में नेतन्याहू पर उनकी सरकार का पक्ष लेने वाले छोटे अखबार के वितरण पर रोक लगाने के बदले में इजराइल के बड़े अखबार में सकारात्मक कवरेज कराने का प्रयास करने का आरोप है.
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तीसरा मामले 'केस 4000' में आरोप है कि नेतन्याहू ने इजराइली दूरसंचार कंपनी बेजेक के मालिक से अपनी समाचार वेबसाइट 'वाला' पर सकारात्मक कवरेज के बदले में उनको फायदा पहुंचाने वाले लाखों डॉलर के प्रस्ताव वाले कानून का समर्थन किया था.
नेतन्याहू ने इन आरोपों से इनकार किया है और उनका दावा है कि मीडिया और कानून लागू करने वाली एजेंसी उन्हें पदच्युत करने के लिए झूठा आरोप लगा रही है. उनके खिलाफ पिछले साल सुनवाई शुरू हुई और यह अगले दो साल तक चल सकती है.