यरुशलम : इजराइल में हुए संसदीय चुनावों में बुधवार को करीब 90 प्रतिशत मतों की गिनती के बाद प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भविष्य पर अनिश्चतता के बादल मंडराते दिखाई पड़ रहे हैं, जिससे राजनीतिक गतिरोध जारी रहने और अभूतपूर्व रूप से पांचवीं बार चुनाव की आशंका बढ़ गई है.
नेतन्याहू की पार्टी 30 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है, लेकिन इजराइली संसद की कुल 120 सीटों में से सरकार गठन के लिए जरूरी आंकड़े (61 सीट) से काफी दूर है.
इजराइल में पिछले दो साल में चार बार चुनाव हो चुके हैं, लेकिन अभी तक किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला. पिछली बार मार्च में हुए चुनाव के मुकाबले इस बार 4.3 प्रतिशत कम मतदान हुआ. कुछ पर्यवेक्षकों का मानना है कि लोग चुनावों से थक चुके हैं.
इजराइल के प्रमुख टीवी चैनलों पर मंगलवार को मतदान समाप्त होने के तुरंत बाद आए एग्जिट पोल से यह संकेत मिला कि नेतन्याहू और उनके विरोधियों को सरकार बनाने के लिए पर्याप्त सीटें नहीं मिलेंगी.
बहरहाल राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नेतन्याहू के पुराने सहयोगी के नेतृत्व वाली दक्षिणपंथी यमीना पार्टी फिर से हाथ मिला सकती है. हालांकि चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने मुखरता से एक-दूसरे का विरोध किया था.
नेतन्याहू ने बुधवार तड़के समर्थकों को संबोधित करते हुए बड़ी जीत मिलने का दावा किया था, लेकिन जीत का एलान नहीं किया था. हालांकि उन्होंने देश को फिर से एक और चुनाव की तरफ ले जाने से बचाने का आह्वान किया.
नेतन्याहू ने किया स्थायी सरकार का आह्वान
उन्होंने कहा, 'हमें किसी भी परिस्थिति में इजराइल को पांचवीं बार चुनाव की ओर नहीं ले जाना चाहिए. हमें अब एक स्थायी सरकार बनानी चाहिए.'
नेतन्याहू के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार से अगर यमीना की पार्टी भी हाथ मिला लेती है तो उसके पास अभी 59 सीटें हैं, जो बहुमत से दो सीटें कम हैं.
आपको बता दें कि नेतन्याहू साल 2009 से सत्ता में बने हुए हैं.