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यूएई में भारतीय राजदूत ने प्रवासियों को याद दिलाया कानून - indian enovoy to uae

यूएई में एक भारतीय कारोबारी के अपनी कविता से 'इस्लामी भावनाएं आहत' करने के बाद मचे बवाल के बीच देश में तैनात भारतीय राजदूत पवन कुमार ने खाड़ी देश में रहने वाले प्रवासियों को कानून के शासन के महत्व की याद दिलाते हुए कहा कि इस तरह का व्यवहार हमारे नैतिक आचरण के खिलाफ है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Apr 21, 2020, 10:46 PM IST

दुबई : संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में एक भारतीय कारोबारी के अपनी कविता से 'इस्लामी भावनाएं आहत' करने के बाद मचे बवाल के बीच देश में तैनात भारतीय राजदूत पवन कुमार ने खाड़ी देश में रहने वाले प्रवासियों को कानून के शासन के महत्व की याद दिलाते हुए कहा कि इस तरह का व्यवहार हमारे नैतिक आचरण के खिलाफ है.

शारजाह स्थित 'एरीज ग्रुप' के संस्थापक अध्यक्ष एवं सीईओ सोहन रॉय ने एक 'इस्लामी भावनाएं आहत' करने वाली कविता पोस्ट की थी, जिसकी आलोचना के बाद उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी.

राजदूत पवन कुमार ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस ट्वीट का हवाला दिया, जिसमें मोदी ने कहा था कि कोविड-19 वार करने से पहले नस्ल, धर्म, रंग, जाति, भाषा या सीमाएं नहीं देखता.

मोदी ने ट्वीट किया था कि हमें एकजुटता और भाईचारे के साथ इसका सामना करना चाहिए.

राजदूत ने ट्वीट किया कि भारत और यूएई किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं करते. उन्होंने कहा,' भेदभाव हमारे नैतिक आचरण और कानून के शासन के खिलाफ है. यूएई में मौजूद भारतीयों को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए.'

गौरतलब है कि अपनी मातृ भाषा मलयालम में 'विद्दी जनमन' (मूर्ख का जीवन) शीर्षक वाली कविता में भारतीय कारोबारी रॉय ने कहा कि धर्म ने लोगों को अंधा बना दिया है क्योंकि वे ईश्वर के नाम पर कोरोना वायरस पाबंदियों की अनदेखी कर रहे हैं.

लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं मिलने के बाद रॉय ने अपने फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर अकाउंट से ये कविता हटा दी. इंटरनेट पर पोस्ट किये जाने के कुछ ही दिनों के अंदर यह कविता वायरल हो गई.

कविता में किसी समुदाय का नाम नहीं लिया गया है लेकिन वीडियो में पृष्ठभूमि में नजर आ रही तस्वीरों में एक उपदेशक आंखों पर पट्टी बांधे कुर्ता-पैजामा पहने और टोपी लगाए नमाजियों का नेतृत्व करते देखा सकता है.

रॉय ने कहा कि कविता के साथ इस्तेमाल की गई तस्वीर केरल स्थित उनके ग्राफिक डिजाइनर से हुई गलती है.

अखबार ने रॉय को उद्धृत करते हुए कहा, 'इसमें कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं था. यह ईमानदारी से हुई गलती थी. जो हुआ मैं उसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हूं. अगर मैने अनजाने में किसी की धार्मिक भावनाएं आहत की है तो मुझे खेद है. मैं किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहता.'

उन्होंने कहा, 'जैसे ही मुझे एहसास हुआ कि लोग आहत हुए हैं तो मैंने एक फेसबुक लाइव वीडियो के जरिये माफी मांगी.'

यूएई 2015 में पारित किए एक कानून के तहत धर्म या नस्ल के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव को अपराध मानता है.

दुबई : संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में एक भारतीय कारोबारी के अपनी कविता से 'इस्लामी भावनाएं आहत' करने के बाद मचे बवाल के बीच देश में तैनात भारतीय राजदूत पवन कुमार ने खाड़ी देश में रहने वाले प्रवासियों को कानून के शासन के महत्व की याद दिलाते हुए कहा कि इस तरह का व्यवहार हमारे नैतिक आचरण के खिलाफ है.

शारजाह स्थित 'एरीज ग्रुप' के संस्थापक अध्यक्ष एवं सीईओ सोहन रॉय ने एक 'इस्लामी भावनाएं आहत' करने वाली कविता पोस्ट की थी, जिसकी आलोचना के बाद उन्हें माफी मांगनी पड़ी थी.

राजदूत पवन कुमार ने भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उस ट्वीट का हवाला दिया, जिसमें मोदी ने कहा था कि कोविड-19 वार करने से पहले नस्ल, धर्म, रंग, जाति, भाषा या सीमाएं नहीं देखता.

मोदी ने ट्वीट किया था कि हमें एकजुटता और भाईचारे के साथ इसका सामना करना चाहिए.

राजदूत ने ट्वीट किया कि भारत और यूएई किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं करते. उन्होंने कहा,' भेदभाव हमारे नैतिक आचरण और कानून के शासन के खिलाफ है. यूएई में मौजूद भारतीयों को हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए.'

गौरतलब है कि अपनी मातृ भाषा मलयालम में 'विद्दी जनमन' (मूर्ख का जीवन) शीर्षक वाली कविता में भारतीय कारोबारी रॉय ने कहा कि धर्म ने लोगों को अंधा बना दिया है क्योंकि वे ईश्वर के नाम पर कोरोना वायरस पाबंदियों की अनदेखी कर रहे हैं.

लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएं मिलने के बाद रॉय ने अपने फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर अकाउंट से ये कविता हटा दी. इंटरनेट पर पोस्ट किये जाने के कुछ ही दिनों के अंदर यह कविता वायरल हो गई.

कविता में किसी समुदाय का नाम नहीं लिया गया है लेकिन वीडियो में पृष्ठभूमि में नजर आ रही तस्वीरों में एक उपदेशक आंखों पर पट्टी बांधे कुर्ता-पैजामा पहने और टोपी लगाए नमाजियों का नेतृत्व करते देखा सकता है.

रॉय ने कहा कि कविता के साथ इस्तेमाल की गई तस्वीर केरल स्थित उनके ग्राफिक डिजाइनर से हुई गलती है.

अखबार ने रॉय को उद्धृत करते हुए कहा, 'इसमें कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं था. यह ईमानदारी से हुई गलती थी. जो हुआ मैं उसकी पूरी जिम्मेदारी लेता हूं. अगर मैने अनजाने में किसी की धार्मिक भावनाएं आहत की है तो मुझे खेद है. मैं किसी विवाद में नहीं पड़ना चाहता.'

उन्होंने कहा, 'जैसे ही मुझे एहसास हुआ कि लोग आहत हुए हैं तो मैंने एक फेसबुक लाइव वीडियो के जरिये माफी मांगी.'

यूएई 2015 में पारित किए एक कानून के तहत धर्म या नस्ल के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव को अपराध मानता है.

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