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अमेरिकी दूत अफगानिस्तान में लड़खड़ाते शांति समझौते में जान फूंकने पहुंचे - अमेरिका के शांतिदूत जलमय खलीलजाद

अफगानिस्तान में राजनीतिक लड़ाई के सत्ता साझेदारी समझौते पर पहुंचने के बाद पहली बार अमेरिकी के शांति दूत काबुल पहुंचे हैं और उनकी यात्रा देश में हिंसा बढ़ जाने के बीच हो रही है. पढ़ें पूरी खबर...

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अमेरिका के शांतिदूत जलमय खलीलजाद
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Published : May 21, 2020, 11:43 PM IST

काबुल : अफगानिस्तान में राजनीतिक लड़ाई के सत्ता साझेदारी समझौते पर पहुंचने के बाद पहली बार अमेरिकी के शांति दूत काबुल पहुंचे हैं और उनकी यात्रा देश में हिंसा बढ़ जाने के बीच हो रही है.

इस हिंसा के लिए मौटे तौर पर इस्लामिक स्टेट को जिम्मेदार ठहराया गया है और अमेरिका के बढ़े हुए बम हमलों में यही संगठन निशाने पर है.

अमेरिका के शांतिदूत जलमय खलीलजाद ने बृहस्पतिवार को अपने ट्वीटों में सप्ताह के प्रारंभ में दोहा में तालिबान प्रतिनिधियों के साथ तथा बुधवार को अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी एवं साथी नेता अब्दुला अब्दुला के साथ हुई बैठकों का जिक्र किया. इन सभी का लक्ष्य फरवरी में हुई अमेरिका-तालिबान संधि में जान फूंकना है.

खलीलजाद ने अफगानिस्तान के लंबे संघर्ष के सभी पक्षों से हिंसा में कमी लाए जाने की अपील की. अमेरिका की सेना 19 सालों से इस संघर्ष में उलझी हुई है.

उन्होंने यह भी कहा कि शांति समझौते के दूसरे और अहम चरण को शुरू करने में पहले ही बहुत सारा वक्त बर्बाद हो चुका है. इस संधि में तालिबान और अफगानिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व के बीच वार्ता का आह्वान है.

अब्दुला ने पिछले साल सितंबर में राष्ट्रपति चुनाव जीत चुके गनी के साथ कई महीनों तक चले विवाद का अंत करने के लिए उनके साथ समझौता किया था और अब वही इन प्रयासों की अगुवाई करेंगे. अब्दुला ने सत्ता साझेदारी के तहत गनी की जीत स्वीकार की थी.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह एक बार फिर कहा था कि अमेरिकी सैनिकों पर देश की पुलिस व्यवस्था का गलत जिम्मा डाला गया है और अफगानिस्तान को यह काम संभालना चाहिए.

अमेरिका के रक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि उनकी बड़ी चिंता अफगानिस्तान में आईएस से जुड़े संगठन की बढ़ती सक्रियता है.

काबुल : अफगानिस्तान में राजनीतिक लड़ाई के सत्ता साझेदारी समझौते पर पहुंचने के बाद पहली बार अमेरिकी के शांति दूत काबुल पहुंचे हैं और उनकी यात्रा देश में हिंसा बढ़ जाने के बीच हो रही है.

इस हिंसा के लिए मौटे तौर पर इस्लामिक स्टेट को जिम्मेदार ठहराया गया है और अमेरिका के बढ़े हुए बम हमलों में यही संगठन निशाने पर है.

अमेरिका के शांतिदूत जलमय खलीलजाद ने बृहस्पतिवार को अपने ट्वीटों में सप्ताह के प्रारंभ में दोहा में तालिबान प्रतिनिधियों के साथ तथा बुधवार को अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी एवं साथी नेता अब्दुला अब्दुला के साथ हुई बैठकों का जिक्र किया. इन सभी का लक्ष्य फरवरी में हुई अमेरिका-तालिबान संधि में जान फूंकना है.

खलीलजाद ने अफगानिस्तान के लंबे संघर्ष के सभी पक्षों से हिंसा में कमी लाए जाने की अपील की. अमेरिका की सेना 19 सालों से इस संघर्ष में उलझी हुई है.

उन्होंने यह भी कहा कि शांति समझौते के दूसरे और अहम चरण को शुरू करने में पहले ही बहुत सारा वक्त बर्बाद हो चुका है. इस संधि में तालिबान और अफगानिस्तान के राजनीतिक नेतृत्व के बीच वार्ता का आह्वान है.

अब्दुला ने पिछले साल सितंबर में राष्ट्रपति चुनाव जीत चुके गनी के साथ कई महीनों तक चले विवाद का अंत करने के लिए उनके साथ समझौता किया था और अब वही इन प्रयासों की अगुवाई करेंगे. अब्दुला ने सत्ता साझेदारी के तहत गनी की जीत स्वीकार की थी.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह एक बार फिर कहा था कि अमेरिकी सैनिकों पर देश की पुलिस व्यवस्था का गलत जिम्मा डाला गया है और अफगानिस्तान को यह काम संभालना चाहिए.

अमेरिका के रक्षा विभाग के अधिकारियों ने कहा कि उनकी बड़ी चिंता अफगानिस्तान में आईएस से जुड़े संगठन की बढ़ती सक्रियता है.

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