इस्लामाबाद : पाकिस्तान सेना के शीर्ष नेतृत्व ने सैन्य संस्थानों पर हालिया हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों को कानून के कठघरे में खड़ा करने का संकल्प लेते हुए कठोर 'पाकिस्तान सेना अधिनियम' और 'आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम' के तहत मुकदमे चलाने का फैसला किया है. इन हमलों में रावलपिंडी में जनरल मुख्यालय पर हुआ हमला भी शामिल है. इस्लामाबाद उच्च न्यायालय परिसर में गत मंगलवार को रेंजर्स द्वारा पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी से पाकिस्तान में अशांति फैल गई जो शुक्रवार तक जारी रही. इस दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा कई सैन्य और सरकारी प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाया गया.
हिंसा में कई लोगों की जान गई और कई अन्य घायल भी हुए.देश के इतिहास में पहली बार रावलपिंडी में सेना मुख्यालय पर धावा बोला गया और खान की गिरफ्तारी के विरोध में उनके समर्थकों ने लाहौर में ऐतिहासिक कोर कमांडर हाउस में आग लगा दी थी. पाकिस्तानी सेना द्वारा कठोर सैन्य अधिनियम और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत कार्रवाई करने का फैसला एक गंभीर कदम है. इसमें खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के समर्थकों के खिलाफ ऐसे आरोप तय किए जा सकते हैं, जिसके लिए मौत की सजा या आजीवन कारावास दिए जाने का भी प्रावधान है. पाकिस्तानी सेना की मीडिया शाखा ‘इंटर-सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस’ (आईएसपीआर) द्वारा सोमवार को जारी एक बयान के अनुसार रावलपिंडी में जनरल मुख्यालय में सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की अध्यक्षता में ‘स्पेशल कोर कमांडर्स कॉन्फ्रेंस’ का आयोजन किया गया, जिसमें संकल्प किया गया कि सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमलों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कोई संयम नहीं बरता जाएगा.
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बयान के अनुसार, ‘स्पेशल कोर कमांडर्स कॉन्फ्रेंस’ में हिस्सा लेने वालों ने सैन्य प्रतिष्ठानों तथा सार्वजनिक व निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की राजनीतिक रूप से प्रेरित घटनाओं की निंदा की.बयान में कहा गया कि फोरम ने दृढ़ संकल्प व्यक्त किया कि सैन्य प्रतिष्ठानों के खिलाफ हमला करने वालों के खिलाफ पाकिस्तान सेना अधिनियम और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम सहित पाकिस्तान के संबंधित कानूनों के तहत मुकदमें चलाए जाएंगे. इस बीच, पाकिस्तानी सेना के बयान के जवाब में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) ने ट्वीट किया, 'पाकिस्तान संघ में एक जिम्मेदार तथा सबसे बड़ी राजनीतिक संस्था के तौर पर पीटीआई संविधान और लोकतंत्र को लेकर प्रतिबद्ध है.' गौरतलब है कि खान (70) को अल-कादिर ट्रस्ट मामले में पिछले सप्ताह इस्लामाबाद उच्च न्यायालय परिसर से रेंजर्स के अर्धसैनिक बल ने गिरफ्तार कर लिया था. खान की गिरफ्तारी के बाद देशभर में हिंसक प्रदर्शन हुए. उच्चतम न्यायालय ने खान को बड़ी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी को 'गैर कानूनी' करार देते हुए उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश दिया था.
(पीटीआई-भाषा)