ETV Bharat / international

चीन में कैद कार्यकर्ता ताइवान लौटा, पांच साल रहा कैद - ताइवान और चीन का विवाद

चीन में पांच साल तक बंदी रहा ताइवान का एक लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता ली मिंग चे ताइवान लौट (activist Lee Ming che returns taiwan) आया. चीन की सरकार के खिलाफ साजिश के आरोप में ली साल 2017 में गिरफ्तार (Chinese authorities Lee Ming che arrest) हुए थे. 2016 में कानून को कड़ा किए जाने के बाद ली पहले कैदी बने थे. जानिए पूरा मामला

concept photo
कॉन्सेप्ट फोटो
author img

By

Published : Apr 15, 2022, 6:41 PM IST

ताइपे : ली मिंग-चे को 2017 में चीनी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था और उन पर राज्य सत्ता के विरूद्ध विध्वसंक कार्रवाई करने का आरोप लगाया गया था. चीन द्वारा 2016 में विदेशी गैर-सरकारी संगठनों पर नियंत्रण को कड़ा करने वाला कानून पारित करने के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई थी. ली ने ताइवान के लोकतंत्रीकरण पर ऑनलाइन व्याख्यान दिया था और चीन में राजनीतिक बंदियों के परिवारों के लिए एक कोष का प्रबंधन किया था.

ली मिंग-चे की गिरफ्तारी एक गैर-लाभकारी कार्यकर्ता के लिए चीन का पहला आपराधिक मुकदमा (China nonprofit worker first criminal prosecution) था. शुक्रवार सुबह ताइवान की सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने बताया कि ली मिंग वह पिछले पांच वर्षों से मध्य हुनान प्रांत की एक जेल में सजा काट रहे थे. ली शुक्रवार सुबह दक्षिणी चीनी शहर जियामेन से विमान से ताइवान लौटे. उनकी गिरफ्तारी तब हुई जब चीन और ताइवान के बीच संबंधों में खटास आ गई और द्वीप ने त्साई इंग-वेन को राष्ट्रपति चुना. त्साई की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने ताइवान की औपचारिक स्वतंत्रता की वकालत की है.

यह भी पढ़ें- Signs of Third World War: चीन का दावा, ताइवान हमारा अभिन्न अंग, 'मातृभूमि की बाहों' में लौटेगा

ताइवान पर चीनी पक्ष का दावा
त्साई के सत्ता में आने के बाद चीन ने ताइवान की सरकार से संपर्क खत्म कर लिया और अब वह ताइवान के आसमान रोजाना अपने सैन्य विमान को भेजता है. चीन का दावा है कि ताइवान उसका हिस्सा है. चीन यह भी दावा करता है कि ताइवान के नागरिक भी चीनी हैं और उन्हें एक विशेष पहचान पत्र जारी करता है.

यह भी पढ़ें- ताइवान की राष्ट्रपति ने चीन को चेताया, कहा- हांगकांग के समर्थन में नहीं बदलेगी देश की स्थिति

क्या है ताइवान और चीन का विवाद : चीन यह मानता है कि ताइवान उसका एक प्रांत है, जो अंतत: एक दिन फिर से चीन का हिस्सा बन जाएगा. दूसरी ओर, ताइवान खुद को एक आजाद देश मानता है. उसका अपना संविधान है और वहां लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार का शासन है. ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से लगभग 100 मील दूर स्थित एक द्वीप है. यह पहली द्वीप श्रृंखला में मौजूद है, जिसमें अमेरिका समर्थक कई देश स्थित हैं. अमेरिका की विदेश नीति के लिहाज से ये सभी द्वीप काफी अहम हैं. वर्तमान में दुनिया के केवल 13 देश ताइवान को एक अलग और संप्रभु देश मानते हैं. चीन का दूसरे देशों पर ताइवान को मान्यता न देने के लिए कूटनीतिक दबाव रहता है. चीन की ये भी कोशिश होती है कि दूसरे देश कुछ ऐसा न करे जिससे ताइवान को अलग पहचान मिले. ताइवान के रक्षा मंत्री ने हाल ही में कहा है कि चीन के साथ उसके संबंध पिछले 40 सालों में सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं.

(पीटीआई-भाषा)

ताइपे : ली मिंग-चे को 2017 में चीनी अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था और उन पर राज्य सत्ता के विरूद्ध विध्वसंक कार्रवाई करने का आरोप लगाया गया था. चीन द्वारा 2016 में विदेशी गैर-सरकारी संगठनों पर नियंत्रण को कड़ा करने वाला कानून पारित करने के बाद उनकी गिरफ्तारी हुई थी. ली ने ताइवान के लोकतंत्रीकरण पर ऑनलाइन व्याख्यान दिया था और चीन में राजनीतिक बंदियों के परिवारों के लिए एक कोष का प्रबंधन किया था.

ली मिंग-चे की गिरफ्तारी एक गैर-लाभकारी कार्यकर्ता के लिए चीन का पहला आपराधिक मुकदमा (China nonprofit worker first criminal prosecution) था. शुक्रवार सुबह ताइवान की सेंट्रल न्यूज एजेंसी ने बताया कि ली मिंग वह पिछले पांच वर्षों से मध्य हुनान प्रांत की एक जेल में सजा काट रहे थे. ली शुक्रवार सुबह दक्षिणी चीनी शहर जियामेन से विमान से ताइवान लौटे. उनकी गिरफ्तारी तब हुई जब चीन और ताइवान के बीच संबंधों में खटास आ गई और द्वीप ने त्साई इंग-वेन को राष्ट्रपति चुना. त्साई की डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी ने ताइवान की औपचारिक स्वतंत्रता की वकालत की है.

यह भी पढ़ें- Signs of Third World War: चीन का दावा, ताइवान हमारा अभिन्न अंग, 'मातृभूमि की बाहों' में लौटेगा

ताइवान पर चीनी पक्ष का दावा
त्साई के सत्ता में आने के बाद चीन ने ताइवान की सरकार से संपर्क खत्म कर लिया और अब वह ताइवान के आसमान रोजाना अपने सैन्य विमान को भेजता है. चीन का दावा है कि ताइवान उसका हिस्सा है. चीन यह भी दावा करता है कि ताइवान के नागरिक भी चीनी हैं और उन्हें एक विशेष पहचान पत्र जारी करता है.

यह भी पढ़ें- ताइवान की राष्ट्रपति ने चीन को चेताया, कहा- हांगकांग के समर्थन में नहीं बदलेगी देश की स्थिति

क्या है ताइवान और चीन का विवाद : चीन यह मानता है कि ताइवान उसका एक प्रांत है, जो अंतत: एक दिन फिर से चीन का हिस्सा बन जाएगा. दूसरी ओर, ताइवान खुद को एक आजाद देश मानता है. उसका अपना संविधान है और वहां लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार का शासन है. ताइवान दक्षिण पूर्वी चीन के तट से लगभग 100 मील दूर स्थित एक द्वीप है. यह पहली द्वीप श्रृंखला में मौजूद है, जिसमें अमेरिका समर्थक कई देश स्थित हैं. अमेरिका की विदेश नीति के लिहाज से ये सभी द्वीप काफी अहम हैं. वर्तमान में दुनिया के केवल 13 देश ताइवान को एक अलग और संप्रभु देश मानते हैं. चीन का दूसरे देशों पर ताइवान को मान्यता न देने के लिए कूटनीतिक दबाव रहता है. चीन की ये भी कोशिश होती है कि दूसरे देश कुछ ऐसा न करे जिससे ताइवान को अलग पहचान मिले. ताइवान के रक्षा मंत्री ने हाल ही में कहा है कि चीन के साथ उसके संबंध पिछले 40 सालों में सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं.

(पीटीआई-भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.