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श्रीलंका में पीएम राजपक्षे व उनके मंत्रिमंडल के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव - श्रीलंका आर्थिक संकट की खबरें

श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी ने प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनके मंत्रिमंडल को बाहर करने के उद्देश्य से एक अविश्वास घोषणापत्र जारी किया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि देश अपने इतिहास के सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है और सरकार अपने संवैधानिक कर्तव्यों के पालन करने में असफल रही है.

श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी
श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी
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Published : May 4, 2022, 7:30 AM IST

Updated : May 5, 2022, 3:56 PM IST

कोलंबो : श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी ने प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनके मंत्रिमंडल को सत्ता से बाहर करने के लिए एक अविश्वास पत्र जारी किया है. साथ ही विपक्षी दल ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान आर्थिक संकट सरकार की नाकामियों के वजह से हुआ है. ऐसे में सरकार को अपने पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. नेता साजिथ प्रेमदासा के नेतृत्व में यूनाइटेड पीपुल्स फोर्स पार्टी के एक समूह ने मंगलवार को संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धना को अविश्वास संसदीय वोट की मांग करते हुए प्रस्ताव दिया.

राजपक्षे और उनके छोटे भाई, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बीच यह कदम उठाया गया. राजपक्षे परिवार को प्रदर्शनकारी आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार मानते हैं.

राजपक्षे और कैबिनेट को सत्ता से हटाने के लिए 225 सदस्यीय संसद में बहुमत की जरूरत होगी. यूनाइटेड पीपुल्स फोर्स केवल 54 वोटों पर भरोसा कर सकता है, लेकिन छोटे विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ श्रीलंका पीपुल्स फ्रंट पार्टी से दलबदल से वोट जीतने की उम्मीद करता है. सत्ताधारी दल के पास लगभग 150 वोट थे, लेकिन आर्थिक संकट के बीच यह ताकत कम हो गई है और अविश्वास मत में दलबदल संभव है. बुधवार को संसद सदस्यों की बैठक शुरू होने के बाद अविश्वास प्रस्ताव कब होगा, इस पर फैसला लिए जाने की उम्मीद है. यूनाइटेड पीपुल्स फोर्स ने भी राष्ट्रपति पर निशाना साधते हुए एक अविश्वास प्रस्ताव दिया, लेकिन यह उन्हें पद छोड़ने के लिए मजबूर नहीं करेगा, भले ही अधिकांश सांसद उनके खिलाफ वोट दें. अपने विदेशी ऋणों का भुगतान नहीं कर पाने के कारण श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर है.

श्रीलंका को इस वर्ष 2026 तक 7 अरब अमेरिकी डॉलर के विदेशी ऋण का भुगतान करना है. वर्तमान में देस पर 25 अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज है. श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी कम है. विदेशी मुद्रा संकट ने आयात को सीमित कर दिया है. जिसके कारण ईंधन, रसोई गैस, दवा और भोजन जैसे आवश्यक सामानों की भारी किल्लत पैदा हो गई है. लोगों को आवश्यक सामग्री खरीदने के लिए घंटों लंबी लाइनों में खड़ा रहना पडता है. बहुत से लोगों को किल्लत के कारण घंटों लाइन में खड़े रहने के बावजूद समान नहीं मिल पा रहा है.

यूनाइटेड पीपुल्स फोर्स के प्रस्ताव में शीर्ष सरकारी अधिकारियों पर अत्यधिक पैसे छापने, उत्पादन को पूरी तरह से जैविक बनाने के लिए रासायनिक उर्वरक पर प्रतिबंध लगाने, COVID-19 टीकों को समय पर ऑर्डर करने में विफल रहने और बाद में उन्हें उच्च कीमतों पर खरीदने का आरोप लगाया है. पिछले दो दशकों से श्रीलंका पर शासन करने वाले राजपक्षे परिवार के सदस्यों के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवेश द्वार पर पिछले 25 दिनों से धरने पर बैठे हैं.

यह भी पढ़ें-श्रीलंका में आर्थिक संकट जातीय मुद्दे के समाधान में असफलता से जुड़ी : टीएनए सांसद श्रीथरन

पीटीआई

कोलंबो : श्रीलंका की मुख्य विपक्षी पार्टी ने प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे और उनके मंत्रिमंडल को सत्ता से बाहर करने के लिए एक अविश्वास पत्र जारी किया है. साथ ही विपक्षी दल ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान आर्थिक संकट सरकार की नाकामियों के वजह से हुआ है. ऐसे में सरकार को अपने पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. नेता साजिथ प्रेमदासा के नेतृत्व में यूनाइटेड पीपुल्स फोर्स पार्टी के एक समूह ने मंगलवार को संसद अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धना को अविश्वास संसदीय वोट की मांग करते हुए प्रस्ताव दिया.

राजपक्षे और उनके छोटे भाई, राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बीच यह कदम उठाया गया. राजपक्षे परिवार को प्रदर्शनकारी आर्थिक संकट के लिए जिम्मेदार मानते हैं.

राजपक्षे और कैबिनेट को सत्ता से हटाने के लिए 225 सदस्यीय संसद में बहुमत की जरूरत होगी. यूनाइटेड पीपुल्स फोर्स केवल 54 वोटों पर भरोसा कर सकता है, लेकिन छोटे विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ श्रीलंका पीपुल्स फ्रंट पार्टी से दलबदल से वोट जीतने की उम्मीद करता है. सत्ताधारी दल के पास लगभग 150 वोट थे, लेकिन आर्थिक संकट के बीच यह ताकत कम हो गई है और अविश्वास मत में दलबदल संभव है. बुधवार को संसद सदस्यों की बैठक शुरू होने के बाद अविश्वास प्रस्ताव कब होगा, इस पर फैसला लिए जाने की उम्मीद है. यूनाइटेड पीपुल्स फोर्स ने भी राष्ट्रपति पर निशाना साधते हुए एक अविश्वास प्रस्ताव दिया, लेकिन यह उन्हें पद छोड़ने के लिए मजबूर नहीं करेगा, भले ही अधिकांश सांसद उनके खिलाफ वोट दें. अपने विदेशी ऋणों का भुगतान नहीं कर पाने के कारण श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर है.

श्रीलंका को इस वर्ष 2026 तक 7 अरब अमेरिकी डॉलर के विदेशी ऋण का भुगतान करना है. वर्तमान में देस पर 25 अरब अमेरिकी डॉलर का कर्ज है. श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी कम है. विदेशी मुद्रा संकट ने आयात को सीमित कर दिया है. जिसके कारण ईंधन, रसोई गैस, दवा और भोजन जैसे आवश्यक सामानों की भारी किल्लत पैदा हो गई है. लोगों को आवश्यक सामग्री खरीदने के लिए घंटों लंबी लाइनों में खड़ा रहना पडता है. बहुत से लोगों को किल्लत के कारण घंटों लाइन में खड़े रहने के बावजूद समान नहीं मिल पा रहा है.

यूनाइटेड पीपुल्स फोर्स के प्रस्ताव में शीर्ष सरकारी अधिकारियों पर अत्यधिक पैसे छापने, उत्पादन को पूरी तरह से जैविक बनाने के लिए रासायनिक उर्वरक पर प्रतिबंध लगाने, COVID-19 टीकों को समय पर ऑर्डर करने में विफल रहने और बाद में उन्हें उच्च कीमतों पर खरीदने का आरोप लगाया है. पिछले दो दशकों से श्रीलंका पर शासन करने वाले राजपक्षे परिवार के सदस्यों के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवेश द्वार पर पिछले 25 दिनों से धरने पर बैठे हैं.

यह भी पढ़ें-श्रीलंका में आर्थिक संकट जातीय मुद्दे के समाधान में असफलता से जुड़ी : टीएनए सांसद श्रीथरन

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Last Updated : May 5, 2022, 3:56 PM IST
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