मास्को : रूस ने शुक्रवार को 47 वर्ष बाद चंद्रमा के लिए अपने पहले अंतरिक्ष यान को रवाना किया. रूस 1976 के बाद पहली बार चंद्रमा पर अपने 'लूना-25' यान को भेज रहा है. इस यान का प्रक्षेपण यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी की मदद के बिना किया गया. जिसने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद मॉस्को के साथ अपना सहयोग समाप्त कर दिया है. खबरों के मुताबिक, रूसी अंतरिक्ष यान के आगामी 23 अगस्त को चंद्रमा पर पहुंचने की संभावना है. यह वही तारीख है, जब भारत द्वारा 14 जुलाई को प्रक्षेपित किए गए चंद्रयान-3 के चंद्रमा की सतह पर कदम रखने की उम्मीद है.
रूस स्थित तास समाचार एजेंसी ने बताया कि लूना-25 ने रूस के सुदूर पूर्व में वोस्तोचन लॉन्च सेंटर से उड़ान भरी. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, सोयुज-2 फ्रीगेट रॉकेट पर लॉन्च किए गए लूना 25 ने शुक्रवार को सुबह 8:10 बजे (स्थानीय समय) उड़ान भरी. तास की रिपोर्ट के अनुसार, प्रक्षेपण के लगभग 564 सेकंड बाद फ्रीगेट बूस्टर रॉकेट के तीसरे चरण से अलग हो गया. चंद्रमा की उड़ान में 5.5 दिन का समय लगेगा.
अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर पानी सहित प्राकृतिक संसाधनों की तलाश करेगा. अंतरिक्ष किरणों और विद्युत चुम्बकीय उत्सर्जन के प्रभावों का विश्लेषण करेगा. लूना 25, जिसे लूना-ग्लोब-लैंडर भी कहा जाता है, एक वर्ष तक चंद्रमा की ध्रुवीय मिट्टी की संरचना और बहुत पतले चंद्र बाह्यमंडल, या चंद्रमा के अल्प वातावरण में मौजूद प्लाज्मा और धूल का अध्ययन करेगा. लैंडर में कई कैमरे हैं और वे लैंडिंग के टाइमलैप्स फुटेज और चंद्रमा के दृश्य की एचडीआर वाइड-एंगल छवि बनाएंगे. तास ने बताया कि लूना-25 पूर्व-क्रमादेशित अवधि के दौरान और पृथ्वी से एक संकेत के बाद अपने कैमरे घुमाएगा.
नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) ने बयान में कहा कि लैंडर में चार पैरों वाला बेस है जिसमें लैंडिंग रॉकेट और प्रोपेलेंट टैंक हैं, एक ऊपरी डिब्बे में सौर पैनल, संचार उपकरण, ऑन-बोर्ड कंप्यूटर है. नासा द्वारा जारी बयान के अनुसार, लैंडर में 20 से 30 सेमी की गहराई तक सतह रेजोलिथ को हटाने और इकट्ठा करने के लिए 1.6 मीटर लंबा लूनर रोबोटिक आर्म (एलआरए, या लूनर मैनिपुलेटर कॉम्प्लेक्स) है.
इसे दुनिया भर में उत्सुकता से देखा जा रहा है क्योंकि यूरोप और अमेरिका यूक्रेन में युद्ध के बीच रूस को अलग-थलग करने के लिए काम कर रहे हैं और रूस प्रतिक्रिया में गैर-पश्चिमी देशों के साथ अपने राजनीतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है.
इससे पहले भारत ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की उपलब्धि हासिल करने की कोशिश में चंद्रयान-3 को चंद्रमा पर भेजा है. दोनों ही देशों ने अपने-अपने यान को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतारने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जहां अभी तक कोई भी यान सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल नहीं हो सका है. अभी तक सिर्फ तीन देश-अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ और चीन चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग कर पाए हैं.
इसरो ने चंद्र अभियान 'लूना-25' के प्रक्षेपण के लिए रूसी अंतरिक्ष एजेंसी 'रोस्कोस्मोस' को बधाई दी : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शुक्रवार को रूसी अंतरिक्ष एजेंसी 'रोस्कोस्मोस' को उसके चंद्र अभियान 'लूना-25' के सफल प्रक्षेपण के लिए बधाई दी, जो 47 वर्षों में देश का पहला चंद्र अभियान है. रूसी अभियान भारत के चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर पहुंचने की समयसीमा से मेल खाता है क्योंकि दोनों देशों के लैंडर के 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरने की संभावना है.
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Congratulations, Roscosmos on the successful launch of Luna-25 💐
— ISRO (@isro) August 11, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
Wonderful to have another meeting point in our space journeys
Wishes for
🇮🇳Chandrayaan-3 &
🇷🇺Luna-25
missions to achieve their goals.
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भारत और रूस दोनों का चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बनने का लक्ष्य है. इसरो ने सोशल नेटवर्किंग साइट ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक संदेश में कहा कि लूना-25 के सफल प्रक्षेपण पर रोस्कोस्मोस को बधाई. हमारी अंतरिक्ष यात्राओं में एक और मिलन बिंदु होना अद्भुत है. (भारत के) चंद्रयान-3 और (रूस के) लूना-25 अभियानों को उनके लक्ष्य हासिल करने के लिए शुभकामनाएं.
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शुक्रवार सुबह (भारतीय समयानुसार) प्रक्षेपित किए गए रूसी अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के आसपास की यात्रा करने में लगभग 5.5 दिन लगेंगे. लूना-25 के चंद्र कक्षा में स्थानांतरित होने और अंत में चंद्रमा की सतह पर उतरने से पहले पृथ्वी के चारों ओर एक कक्षा में प्रवेश करने की उम्मीद है. केवल तीन देश चंद्रमा पर सफलतापूर्व उतरने में सफल रहे हैं: पूर्व सोवियत संघ, अमेरिका और चीन.
(एजेंसियां)