काठमांडू: नेपाल में राजशाही के खिलाफ दशकभर लंबे युद्ध में बाल सैनिकों के उपयोग के लिए तत्कालीन माओवादी सुप्रीम कमांडर पुष्प कमल दहल प्रचंड के खिलाफ मुकदमा चलाने का अनुरोध करने वाली रिट याचिका रविवार को उच्चतम न्यायालय में दाखिल की गई. पूर्व बाल सैनिक लेनिन बिस्टा ने उच्चतम न्यायालय में रिट याचिका दायर कर दावा किया है कि (माओवादियों के) तत्कालीन नेतृत्व ने माओवादी युद्ध के दौरान बाल सैनिकों का उपयोग कर अंतरराष्ट्रीय मानवता कानून का उल्लंघन किया है.
प्रचंड पूर्ववर्ती विद्रोही माओवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व अध्यक्ष बाबूराम भट्टाराई दूसरे नंबर पर थे. अदालत के सूत्रों के अनुसार, याचिकाकर्ता ने प्रचंड और भट्टाराई के खिलाफ मुकदमा चलाने का अनुरोध करते हुए दलील दी है कि उनके जैसे मूर्ख नाबालिगों का बाल सैनिकों के रूप में उपयोग युद्ध अपराध है. इससे पहले उच्चतम न्यायालय प्रशासन ने बिस्टा की याचिका को पंजीकृत करने से इंकार कर दिया था. उसके बाद याचिकाकर्ता अदालत पहुंचे.
14 पन्नों की याचिका में नौ याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि माओवादी नेताओं ने सशस्त्र संघर्ष में नाबालिगों की भर्ती कर युद्ध अपराध किया है. रिट याचिका में कहा गया कि युद्ध अपराध करते हुए तत्कालीन माओवादी नेताओं पुष्पा कमल दहल और डॉ. बाबूराम भट्टाराई द्वारा हमें बाल सैनिकों के रूप में इस्तेमाल किया गया था, जिनके खिलाफ आगे की कार्रवाई करने के लिए मुकदमा चलाया जा रहा है.
रिट याचिका में आगे कहा गया कि तब तक प्रतिवादी विशेष रूप से प्रधान मंत्री, जिनसे नैतिकता पर पूछताछ की जाएगी, जिसके लिए प्रतिवादियों के नाम पर अंतरिम आदेश जारी करने के लिए पोर्टफोलियो को निलंबित या अस्थिर करने का अनुरोध किया गया है. रिट याचिका दायर करने के तुरंत बाद, विपक्षी राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी के विधायक ज्ञान बहादुर शाही ने रविवार की संसदीय बैठक में प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफे की मांग की है.
(एजेंसियां)