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नई दिल्ली के फैसलों के चलते भारत के साथ पाकिस्तान के रिश्ते जटिल हुए : बिलावल

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने गुरुवार को कहा कि भारत के साथ उनके मुल्क के रिश्ते मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को निष्प्रभावी बनाने के नयी दिल्ली के फैसले और वहां परिसीमन आयोग द्वारा हाल ही में की गई सिफारिशों के चलते ‘खास तौर पर जटिल’ हुए हैं.

कश्मीर मुद्दा पर पाकिस्तान विदेश मंत्री ,India slams Pak over Kashmir issue
कश्मीर मुद्दा पर पाकिस्तान विदेश मंत्री ,India slams Pak over Kashmir issue
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Published : May 20, 2022, 2:27 PM IST

Updated : May 20, 2022, 5:30 PM IST

न्यूयॉर्क : पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने गुरुवार को कहा कि भारत के साथ उनके मुल्क के रिश्ते मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को निष्प्रभावी बनाने के नयी दिल्ली के फैसले और वहां परिसीमन आयोग द्वारा हाल ही में की गई सिफारिशों के चलते ‘खास तौर पर जटिल’ हुए हैं. बिलावल ने कहा कि मौजूदा समय में दोनों मुल्कों के बीच आर्थिक गतिविधियों, संवाद और कूटनीति के लिए ‘व्यावहारिक जगह बहुत सीमित है. बतौर विदेश मंत्री अपने पहले अमेरिका दौरे पर न्यूयॉर्क पहुंचे बिलावल ने यहां गुरुवार को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की.
उन्होंने कहा कि जहां तक भारत के साथ हमारे रिश्तों का सवाल है, ये कश्मीर में उठाए गए हालिया कदमों से खासतौर पर जटिल हुए हैं, जिनमें पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी घोषित करना और जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग द्वारा हाल ही में की गई सिफारिशें शामिल हैं. बिलावल ने कहा कि इन कदमों ने मामले को ‘और जटिल बना दिया है.’ उन्होंने आरोप लगाया कि ये कदम संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और जिनेवा समझौते पर ‘हमला’ हैं. पाक विदेश मंत्री ने कहा कि इस तरह के कदम हमारे लिए भारत के साथ संवाद की संभावनाओं को बेहद मुश्किल बनाते है.

पढ़ें: पाकिस्तान सरकार और टीटीपी के बीच वार्ता करा रहा है अफगानिस्तान : तालिबान प्रवक्ता
बिलावल के मुताबिक कि हम इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि आर्थिक गतिविधियां, संवाद और कूटनीति देशों के लिए एक-दूसरे के साथ जुड़ने तथा विवाद हल करने का सबसे कारगर जरिया व तरीका है. हालांकि, मैं कहना चाहूंगा कि इस तरह के आक्रामक और शत्रुतापूर्ण माहौल के मद्देनजर खासतौर पर मौजूदा समय में ऐसा होने के लिए व्यावहारिक स्थान बहुत सीमित है. मार्च 2020 में गठित परिसीमन आयोग ने इस महीने की शुरुआत में जम्मू क्षेत्र को छह, जबकि कश्मीर घाटी को एक अतिरिक्त विधानसभा सीट देने के अलावा राजौरी व पुंछ के क्षेत्रों को अनंतनाग संसदीय सीट के तहत लाने की सिफारिशों संबंधी अपनी अंतिम रिपोर्ट अधिसूचित की थी.

इसके चलते 90 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अब जम्मू संभाग में 43 और कश्मीर में 47 सीटें होंगी. परिसीमन आयोग की सिफारिशों से पहले अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के नई दिल्ली के फैसले के चलते भारत-पाक संबंध तनावपूर्ण रहे हैं. पाकिस्तान ने भारत के इस कदम पर कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए भारतीय राजदूत को निष्कासित कर दिया था. हालांकि, भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्पष्ट किया है कि अनुच्छेद-370 को निरस्त करना उसका आंतरिक मामला है. उसने पाकिस्तान से बार-बार जोर देकर कहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा. गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के भारत के फैसले से जुड़े एक सवाल पर बिलावल ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से भारत सरकार का निर्णय है कि वह क्या करना चाहती है, लेकिन इस तरह के प्रतिबंधात्मक और सुरक्षात्मक कदमों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से हतोत्साहित किया जा रहा है.

न्यूयॉर्क : पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने गुरुवार को कहा कि भारत के साथ उनके मुल्क के रिश्ते मुख्य रूप से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को निष्प्रभावी बनाने के नयी दिल्ली के फैसले और वहां परिसीमन आयोग द्वारा हाल ही में की गई सिफारिशों के चलते ‘खास तौर पर जटिल’ हुए हैं. बिलावल ने कहा कि मौजूदा समय में दोनों मुल्कों के बीच आर्थिक गतिविधियों, संवाद और कूटनीति के लिए ‘व्यावहारिक जगह बहुत सीमित है. बतौर विदेश मंत्री अपने पहले अमेरिका दौरे पर न्यूयॉर्क पहुंचे बिलावल ने यहां गुरुवार को आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की.
उन्होंने कहा कि जहां तक भारत के साथ हमारे रिश्तों का सवाल है, ये कश्मीर में उठाए गए हालिया कदमों से खासतौर पर जटिल हुए हैं, जिनमें पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी घोषित करना और जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग द्वारा हाल ही में की गई सिफारिशें शामिल हैं. बिलावल ने कहा कि इन कदमों ने मामले को ‘और जटिल बना दिया है.’ उन्होंने आरोप लगाया कि ये कदम संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और जिनेवा समझौते पर ‘हमला’ हैं. पाक विदेश मंत्री ने कहा कि इस तरह के कदम हमारे लिए भारत के साथ संवाद की संभावनाओं को बेहद मुश्किल बनाते है.

पढ़ें: पाकिस्तान सरकार और टीटीपी के बीच वार्ता करा रहा है अफगानिस्तान : तालिबान प्रवक्ता
बिलावल के मुताबिक कि हम इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं कि आर्थिक गतिविधियां, संवाद और कूटनीति देशों के लिए एक-दूसरे के साथ जुड़ने तथा विवाद हल करने का सबसे कारगर जरिया व तरीका है. हालांकि, मैं कहना चाहूंगा कि इस तरह के आक्रामक और शत्रुतापूर्ण माहौल के मद्देनजर खासतौर पर मौजूदा समय में ऐसा होने के लिए व्यावहारिक स्थान बहुत सीमित है. मार्च 2020 में गठित परिसीमन आयोग ने इस महीने की शुरुआत में जम्मू क्षेत्र को छह, जबकि कश्मीर घाटी को एक अतिरिक्त विधानसभा सीट देने के अलावा राजौरी व पुंछ के क्षेत्रों को अनंतनाग संसदीय सीट के तहत लाने की सिफारिशों संबंधी अपनी अंतिम रिपोर्ट अधिसूचित की थी.

इसके चलते 90 सदस्यीय जम्मू-कश्मीर विधानसभा में अब जम्मू संभाग में 43 और कश्मीर में 47 सीटें होंगी. परिसीमन आयोग की सिफारिशों से पहले अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करने के नई दिल्ली के फैसले के चलते भारत-पाक संबंध तनावपूर्ण रहे हैं. पाकिस्तान ने भारत के इस कदम पर कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए भारतीय राजदूत को निष्कासित कर दिया था. हालांकि, भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को स्पष्ट किया है कि अनुच्छेद-370 को निरस्त करना उसका आंतरिक मामला है. उसने पाकिस्तान से बार-बार जोर देकर कहा है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा था, है और रहेगा. गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के भारत के फैसले से जुड़े एक सवाल पर बिलावल ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से भारत सरकार का निर्णय है कि वह क्या करना चाहती है, लेकिन इस तरह के प्रतिबंधात्मक और सुरक्षात्मक कदमों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद जैसे बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से हतोत्साहित किया जा रहा है.

Last Updated : May 20, 2022, 5:30 PM IST
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