इस्लामाबाद: लाहौर की एक जवाबदेही अदालत ने शनिवार को आशियाना-ए-इकबाल हाउसिंग स्कीम मामले में पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ और अन्य को बरी कर दिया.
एआरवाई न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, जवाबदेही अदालत के न्यायाधीश अली जुल्करनैन ने फैसले की घोषणा की और शहबाज शरीफ, वरिष्ठ नौकरशाह फवाद हसन फवाद, लाहौर विकास प्राधिकरण के पूर्व महानिदेशक अहद खान चीमा और अन्य को मामले से बरी कर दिया.
अली जुल्करनैन का फैसला राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) द्वारा घोषित किए जाने के बाद आया कि शहबाज शरीफ ने पंजाब के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान आशियाना-ए-इकबाल हाउसिंग स्कीम मामले में सरकारी धन से कोई लाभ नहीं लिया या अपने सार्वजनिक पद का दुरुपयोग नहीं किया. एनएबी ने यह भी कहा कि अन्य सह-आरोपी भी किसी गलत काम में शामिल नहीं थे.
पूर्व प्रधानमंत्री के लिए भ्रष्टाचार निगरानी संस्था की नवीनतम क्लीन चिट उन्हें, उनके परिवार के सदस्यों और अन्य को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बरी किए जाने के महीनों बाद आई है.
एआरवाई न्यूज ने बताया कि आशियाना मामला पहली बार जनवरी 2018 में सामने आया जब एनएबी ने तत्कालीन विपक्षी नेता शरीफ पर 2014 में पंजाब के सीएम के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान आवास परियोजना के संबंध में अनुबंध को रद्द करने के आदेश को अवैध रूप से जारी करने के लिए अपने अधिकार का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. मामले के अनुसार, मार्च 2014 में शहबाज शरीफ ने आशियाना-ए-इकबाल परियोजना स्थल का दौरा किया और इसकी बोली प्रक्रिया रोक दी.
पंजाब भूमि विकास कंपनी (पीएलडीसी) इस परियोजना की देखरेख कर रही थी. हालांकि शहबाज शरीफ ने साइट का दौरा करने के बाद इस परियोजना को लाहौर विकास प्राधिकरण (एलडीए) को सौंपने का निर्णय लिया, जिसके परिणामस्वरूप लाहौर कासा डेवलपर्स (जेवी) को अनुबंध दिया गया. मामले के अनुसार राजकोष को पाकिस्तानी रुपये (पीकेआर) 715 मिलियन का नुकसान हुआ.
एआरवाई न्यूज ने बताया कि एनएबी ने 5 अक्टूबर, 2018 को मामले में शहबाज शरीफ को गिरफ्तार किया था. उन्हें उनके लाहौर कार्यालय से गिरफ्तार किया गया था, जहां वह साफ पानी कंपनी घोटाले की जांच के संबंध में पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बाद पेश हुए थे.
एनएबी के अनुसार, आवास योजना का ठेका चौधरी लतीफ एंड संस नामक एक निर्माण कंपनी को मिला था. हालांकि, 'शहबाज शरीफ और उनके सहयोगियों ने 14 अरब रुपये का ठेका लाहौर कासा डेवलपर्स को दिया - जो पैरागॉन सिटी (प्राइवेट) लिमिटेड का एक प्रॉक्सी समूह है. उसके बारे में कहा जाता है कि इसका स्वामित्व तत्कालीन रेल मंत्री साद रफीक के पास था.'
उस वर्ष बाद में वरिष्ठ नौकरशाह फवाद हसन फवाद, लाहौर विकास प्राधिकरण के पूर्व महानिदेशक अहद खान चीमा और कई अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया गया था.