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राजनाथ के LoC पार करने के बयान पर भड़का पाकिस्तान, कहा- ऐसे बयानबाजी शांति, स्थिरता के लिए खतरा - Kargil Vijay Diwas

करगिल विजय दिवस के मौके पर लद्दाख के द्रास में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि देश की संप्रभूता, एकता और अखंडता की रक्षा में कोई समझौता नहीं किया जाएगा. इस बयान पर पाकिस्तान ने कहा कि भारत को सावधानी बरतने की सलाह देते हैं. इस तरह के बयानबाजी क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरा है.

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Published : Jul 27, 2023, 12:31 PM IST

इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उस टिप्पणी की निंदा की है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत अपना सम्मान और प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार करने के लिए तैयार है. पाकिस्तान ने कहा कि युद्ध भड़काने वाली बयानबाजी क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए खतरा है. लद्दाख के द्रास में बुधवार को 24वें करगिल विजय दिवस के अवसर पर करगिल युद्ध स्मारक में अपने संबोधन में सिंह ने कहा था कि देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा में कोई समझौता नहीं किया जाएगा. सिंह ने कहा, "हम देश का सम्मान और प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं...अगर इसके लिए एलओसी पार करना हो, तो हम वह भी करने के लिए तैयार हैं...अगर हमें उकसाया गया और जरूरत पड़ी तो हम एलओसी को पार कर जाएंगे."

उन्होंने कहा था, "करगिल युद्ध भारत पर थोपा गया था. जिस वक्त भारत, पाकिस्तान के साथ बातचीत के जरिये मुद्दों की सुलझाने की कोशिश कर रहा था...पाकिस्तान ने हमारी पीठ में छुरा भोंक दिया." उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को 'राष्ट्र के दुश्मनों' का खात्मा करने के लिए खुली छूट दी गई है. सिंह की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए इस्लामाबाद में विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान किसी भी आक्रामकता के खिलाफ अपनी रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है. बुधवार को एक बयान में कहा गया, "हम भारत को अत्यधिक सावधानी बरतने की सलाह देते हैं क्योंकि उसकी आक्रामक बयानबाजी क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरा है और दक्षिण एशिया में रणनीतिक माहौल को अस्थिर करने वाली है."

पढ़ें : तोशखाना मामला: पाकिस्तान की शीर्ष अदालत में इमरान खान की याचिका खारिज

इसमें कहा गया है कि यह पहली बार नहीं है कि भारत के नेताओं और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के बारे में 'अत्यधिक गैर-जिम्मेदाराना' टिप्पणी की है. कश्मीर मुद्दे और पाकिस्तान से होने वाले सीमा पार आतंकवाद को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं. पांच अगस्त, 2019 को भारत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध और खराब हो गए.

(पीटीआई-भाषा)

इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उस टिप्पणी की निंदा की है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत अपना सम्मान और प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार करने के लिए तैयार है. पाकिस्तान ने कहा कि युद्ध भड़काने वाली बयानबाजी क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के लिए खतरा है. लद्दाख के द्रास में बुधवार को 24वें करगिल विजय दिवस के अवसर पर करगिल युद्ध स्मारक में अपने संबोधन में सिंह ने कहा था कि देश की संप्रभुता, एकता और अखंडता की रक्षा में कोई समझौता नहीं किया जाएगा. सिंह ने कहा, "हम देश का सम्मान और प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं...अगर इसके लिए एलओसी पार करना हो, तो हम वह भी करने के लिए तैयार हैं...अगर हमें उकसाया गया और जरूरत पड़ी तो हम एलओसी को पार कर जाएंगे."

उन्होंने कहा था, "करगिल युद्ध भारत पर थोपा गया था. जिस वक्त भारत, पाकिस्तान के साथ बातचीत के जरिये मुद्दों की सुलझाने की कोशिश कर रहा था...पाकिस्तान ने हमारी पीठ में छुरा भोंक दिया." उन्होंने कहा कि सशस्त्र बलों को 'राष्ट्र के दुश्मनों' का खात्मा करने के लिए खुली छूट दी गई है. सिंह की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए इस्लामाबाद में विदेश कार्यालय ने कहा कि पाकिस्तान किसी भी आक्रामकता के खिलाफ अपनी रक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है. बुधवार को एक बयान में कहा गया, "हम भारत को अत्यधिक सावधानी बरतने की सलाह देते हैं क्योंकि उसकी आक्रामक बयानबाजी क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए खतरा है और दक्षिण एशिया में रणनीतिक माहौल को अस्थिर करने वाली है."

पढ़ें : तोशखाना मामला: पाकिस्तान की शीर्ष अदालत में इमरान खान की याचिका खारिज

इसमें कहा गया है कि यह पहली बार नहीं है कि भारत के नेताओं और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान के बारे में 'अत्यधिक गैर-जिम्मेदाराना' टिप्पणी की है. कश्मीर मुद्दे और पाकिस्तान से होने वाले सीमा पार आतंकवाद को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं. पांच अगस्त, 2019 को भारत द्वारा संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को रद्द करने और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध और खराब हो गए.

(पीटीआई-भाषा)

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