वाशिंगटन : पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (former vice president Venkaiah Naidu) ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारतीयों के खून में है और अमेरिका सहित कई अन्य देशों के मुकाबले भारत में अल्पसंख्यक कहीं ज्यादा सुरक्षित हैं. वेंकैया (74) ने 'नेशनल काउंसिल ऑफ एशियन इंडियन एसोसिएशन्स' द्वारा सोमवार को ग्रेटर वाशिंगटन डीसी इलाके में उनके सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय-अमेरिकियों की एक सभा को संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की.
उन्होंने कहा, '(भारत के खिलाफ) दुष्प्रचार किया जा रहा है. पश्चिमी मीडिया का एक तबका भी इसमें शामिल है. वह भारत और वहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर किए जा रहे दुष्प्रचार का हिस्सा बन गया. मैं इन लोगों को बताना चाहूंगा कि भारत में अल्पसंख्यक यहां (अमेरिका) के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित हैं.' पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा, 'आप देखिए कि भारत में क्या हो रहा है और दूसरे देशों में क्या हो रहा है. लेकिन, आप जानते हैं कि भेदभाव (दूसरे देशों में) किया जा रहा है.'
वेंकैया पिछले कुछ दिनों से अमेरिका में हैं. पिछले सप्ताहांत उन्होंने फिलाडेल्फिया में भारतीय-अमेरिकी चिकित्सकों की एक सभा को संबोधित किया था. पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत अपने अल्पसंख्यकों का सम्मान करता है. उन्होंने कहा, 'जो लोग पाकिस्तान जाना चाहते थे, वे पहले ही देश छोड़ चुके हैं. जो लोग देश में रहना चाहते थे, वे भारत में ही हैं... भारत में धर्मनिरपेक्षता है, क्योंकि यह भारतीयों के खून में है.'
पाकिस्तान की तरफ इशारा करते हुए वेंकैया ने पड़ोसी देश को भारत के आंतरिक मामलों में दखल देने के खिलाफ चेताया. उन्होंने दोहराया कि कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. पिछले सप्ताहांत 'एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन्स ऑफ इंडियन ओरिजिन (एएपीआई)' के 41वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्व उपराष्ट्रपति ने स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए जीवनशैली में बदलाव पर जोर दिया था.
उन्होंने एएपीआई सदस्यों से अपने मूल स्थान के लिए योगदान देने का आग्रह किया था और मातृभूमि की देखभाल के महत्व पर प्रकाश डाला था. 'नेशनल काउंसिल ऑफ एशियन इंडियन एसोसिएशन्स' द्वारा आयोजित कार्यक्रम में 'सिख्स ऑफ अमेरिका' संगठन ने भारत में सिखों के कल्याण के लिए काम करने के वास्ते वेंकैया को सम्मानित भी किया.
ये भी पढ़ें - श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे की भारत यात्रा से पहले विदेश सचिव क्वात्रा कोलंबो पहुंचे
(पीटीआई-भाषा)