संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने 'बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों' का हवाला देते हुए बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट से भारत का नाम हटा दिया है. साल 2010 के बाद से बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर महासचिव की रिपोर्ट में सशस्त्र समूहों द्वारा बच्चों की कथित भर्ती और उनके इस्तेमाल के मामले में बुर्किना फासो, कैमरून, लेक चाड बेसिन, नाइजीरिया, पाकिस्तान और फिलीपीन जैसे अन्य देशों के साथ भारत के नाम का उल्लेख जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र समूहों के साथ संबंध के आरोप में या राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर भारतीय सुरक्षा बलों द्वारा बच्चों को हिरासत में लेने जैसे कदमों के कारण किया जाता था.
गुतारेस ने पिछले साल अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उन्होंने अपने विशेष प्रतिनिधि के साथ भारत सरकार की बातचीत का स्वागत किया है और उन्हें लगता है कि भविष्य में भारत का नाम इस रिपोर्ट से हटाया जा सकता है. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर अपनी 2023 की रिपोर्ट में कहा, "बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों को देखते हुए, भारत का नाम 2023 की रिपोर्ट से हटा दिया गया है." गुतारेस ने जुलाई 2022 में बाल संरक्षण के लिए सहयोग के क्षेत्रों की पहचान करने के वास्ते अपने विशेष प्रतिनिधि के कार्यालय के तकनीकी मिशन और संयुक्त राष्ट्र की भागीदारी के साथ सरकार द्वारा पिछले सात नवंबर में जम्मू-कश्मीर में बाल संरक्षण को मजबूत करने के संबंध में आयोजित कार्यशाला पर प्रकाश डाला. अपनी हालिया रिपोर्ट में उन्होंने भारत से अपने विशेष प्रतिनिधि और संयुक्त राष्ट्र के परामर्श के अनुसार शेष उपायों को लागू करने का भी आह्वान किया.
गुतारेस ने कहा कि इनमें बाल संरक्षण को लेकर सशस्त्र तथा सुरक्षा बलों का प्रशिक्षण, बच्चों पर घातक तथा अन्य बल प्रयोग पर प्रतिबंध, ‘पैलेट गन’ का इस्तेमाल बंद करना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि कोई रास्ता न रह जाने पर ही और कम से कम अवधि के लिए बच्चों को हिरासत में लिया जाए. उन्होंने हिरासत में हर प्रकार के दुर्व्यवहार को रोकने के उपायों के कार्यान्वयन और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल व संरक्षण) अधिनियम तथा यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम के पूर्ण कार्यान्वयन पर भी जोर दिया.
बच्चों एवं सशस्त्र संघर्ष पर महासचिव की विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गाम्बा ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा कि पिछले दो वर्षों से करीबी सहयोग से हम भारत के साथ काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "भारत ने इससे निपटने के लिए एक कार्यक्रम शुरू करने का फैसला किया है." उन्होंने कहा कि देश ने इस बात के संकेत दिए हैं कि वह इस दिशा में काम करने और ऐसे कदम उठाने को तैयार है, जो लंबे समय तक कारगर साबित होंगे. इसलिए ही भारत का नाम इस रिपोर्ट से हटाने की अनुमति मिली है. पिछले साल की रिपोर्ट में गुतारेस ने कहा था कि वह जम्मू-कश्मीर में बच्चों के खिलाफ उल्लंघन की बढ़ती संख्या की बात से चिंतित हैं, जिनकी पुष्टि की गई है और उन्होंने भारत सरकार से बाल संरक्षण को मजबूत करने का आह्वान किया था. संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने बच्चों की सुरक्षा के लिए कानूनी और प्रशासनिक ढांचे और छत्तीसगढ़, असम, झारखंड, ओडिशा और जम्मू-कश्मीर में बाल संरक्षण सेवाओं तक बेहतर पहुंच और बाल अधिकार संरक्षण के लिए जम्मू-कश्मीर आयोग के निर्माण में प्रगति का स्वागत किया था.
पढ़ें : कनाडा US H-1B वीजा धारकों के लिए नया वर्क परमिट पेश करेगा
इधर, नई दिल्ली में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए किये गए प्रयासों के परिणामस्वरूप यह संभव हो सका है. मंत्रालय ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा, "केंद्र सरकार द्वारा बच्चों की बेहतर सुरक्षा के लिए किये गए प्रयासों के परिणामस्वरूप अब बच्चों और सशस्त्र संघर्ष पर जारी संयुक्त राष्ट्र महासचिव की रिपोर्ट में भारत का नाम हटा दिया गया है." इसमें कहा गया कि नवंबर 2021 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव इंदीवर पांडे की विदेश मंत्रालय, न्यूयॉर्क में भारत के स्थायी मिशन व भारत सरकार के गृह मंत्रालय तथा बच्चों के लिए महासचिव की विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गैम्बा और नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों के साथ एक अंतर-मंत्रालयी बैठक हुई. बयान में कहा गया, "इसके बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि (एसआरएसजी) के साथ जारी भारत सरकार की गतिविधियों में और तेजी आई थी."
(पीटीआई-भाषा)