संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र में भारत की राजदूत ने कहा कि विश्व की सर्वाधिक युवा आबादी वाला भारत प्रभावशाली तरीके से भविष्य को संवार रहा है और इसके युवा संपोषणीय विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की दिशा में प्रगति के लिए प्रौद्योगिकी का एक प्रभावी उपकरण के तौर पर उपयोग कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने '1एम1बी सक्रिय प्रभाव सम्मेलन; में अपने विशेष संबोधन में कहा कि भारत वास्तव में युवाओं की ‘परिवर्तनकारी शक्ति’ में विश्वास करता है.
उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि एसडीजी को 2030 तक हासिल करने की राह हमारी युवा जनसंख्या की ऊर्जा, सृजनशीलता और नवोन्मेष से होकर गुजरती है.' उन्होंने कहा, 'भारत में दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी है जो अनोखी बात है. इसलिए, हम केवल भविष्य पर नजर ही नहीं रखे हुए हैं, बल्कि उसे संवार भी रहे हैं.'
कंबोज ने कहा कि संपोषणीय विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की दिशा में प्रगति के लिए प्रौद्योगिकी का एक प्रभावी उपकरण के तौर पर उपयोग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि संपोषणीय कृषि से लेकर स्वास्थ्य नवोन्मेष तक इस बात के 'चमकते उदाहरण' हैं कि कैसे प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल भलाई के लिए तथा चुनौतियों को अवसरों में तब्दील करने में किया जा सकता है.
इस सम्मेलन का आयोजन संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक संचार विभाग (डीजीसी) से संबद्ध गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) 1एम1बी ने डीजीसी के प्रबुद्ध वर्ग प्रकोष्ठ की मदद से किया था. 1एम1बी (एम मिलियन फोर वन बिलियन) 2014 में स्थापित किया गया एक गैरलाभकारी संगठन है.
यह संगठन डिजिटल कौशल निर्माण, बदलाव, उद्यमिता को लेकर प्रतिबद्ध है तथा वह भारत में युवाओं को कृत्रिम मेधा, 'ग्रीन स्किल्स', उद्यमिता, डिजिटल नागरिकता, 'ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर)', 'वर्चुअल रियलिटी', एवं अन्य उभरती प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षित करने की कोशिश में जुटा है. अबतक 500,000 विद्यार्थी 1एम1बी के कार्यक्रमों में हिस्सा ले चुके हैं.
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आयोजित सातवें 1एम1बी सक्रिय प्रभाव सम्मेलन में करीब 50 भारतीय किशोरों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया. ये विद्यार्थी बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, अहमदाबाद और दिल्ली के हैं तथा उन्होंने उद्योग जगत, कॉरपोरेशन, गैर लाभकारी संगठनों, प्रबद्ध वर्ग के विशेषज्ञों, और संयुक्त राष्ट्र के प्रतिनिधियों, भारतीय अधिकारियों एवं विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के सामने सामाजिक, आर्थिक एवं पर्यावरण संबंधी परियोजनाएं पेश कीं.