टोक्यो: जापान एयरलाइंस की उड़ान 516 में मंगलवार रात टोक्यो के हानेडा हवाई अड्डे पर उतरते समय एक तट रक्षक विमान से टकराने के बाद आग लग गई. यह तट रक्षक विमान भूकंप आपदा राहत प्रदान करने के लिए जा रहा था. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे यात्री विमान के अंदर के फुटेज में देखा जा सकता है कि यात्रियों के बाहर निकलने से पहले ही एयरबस ए 350 में धुंआ भर गया था. टोक्यो हवाई अड्डे पर यात्री विमान आग की लपटों से घिरा हुआ था, लेकिन सभी 379 यात्रियों और चालक दल को सुरक्षित निकाल लिया गया.
इसके बाद वीडियो में यात्रियों को एक इन्फ्लेटेबल स्लाइड से नीचे जाते और विमान से भागते हुए देखा गया. यह भी दिख रहा था कि इस दौरान आग की लपटें विमान के इंजन तक पहुंच गई थी. फायर फाइटर्स विमान में लगे आग पर काबू पाने की हर संभव कोशिश कर रहे थे लेकिन कुछ ही समय बाद पूरा एयरबस ए 350 जलकर खाक हो गया.
मानक समय बनाम वास्तविक स्थिति : विमान सुरक्षा के जानकार और यूके के क्रैनफील्ड विश्वविद्यालय में सुरक्षा और दुर्घटना जांच के प्रोफेसर ग्राहम ब्रेथवेट ने मीडिया से बात करते हुए इस बारे में विस्तार से बताया. ब्रेथवेट ने कहा कि आमतौर पर विमान को इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि आपात कालीन स्थिति में पूरे विमान को 90 सेकंड में खाली किया जा सके. लेकिन मानक स्थिति में उस घबराहट, और वास्तविक समय की परिस्थितियों का सटीक आकलन नहीं किया जा सकता है. हमें यह याद रखना चाहिए कि किसी भी विमान में बच्चे और वृद्ध और कुछ कमजोर लोग होते हैं जिन्हें आपातकाल में अतिरिक्त सुरक्षा और देखभाल की आवश्यकता होती है.
उच्च तनाव वाले माहौल में प्रभावशाली प्रदर्शन: 90-सेकंड नियम के बारे में टिप्पणी करते हुए ब्रेथवेट ने कहा कि ध्यान रखें कि मानकों का निर्धारण करने के लिए होने वाले परीक्षण उच्च तनाव वाले माहौल में नहीं होते हैं. जैसे आज की दुर्घटना. उन्होंने कहा इसे ध्यान में रखते हुए इन परिस्थितियों में, यात्रियों को निकालने में विमान के चालक दल का प्रदर्शन प्रभावशाली था. इस दौरान किसी यात्री की मौत नहीं हुई और केवल 17 यात्रियों को मामूली चोटें आईं.
चालक दल की असाधारण क्षमता से हुआ चमत्कार : एक अन्य विमानन-सुरक्षा विशेषज्ञ जेफरी प्राइस ने मंगलवार को एयरबस ए 350 के सभी यात्रियों और क्रू के बच जाने को 'चमत्कार' के रूप में परिभाषित किया. कोलोराडो के मेट्रोपॉलिटन स्टेट में डेनवर विश्वविद्यालय में विमानन प्रोफेसर प्राइस ने कहा कि यह चालक दल की असाधारण क्षमता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि इसके साथ ही हमें उन यात्रियों की भी प्रशंसा करनी होगी जिन्होंने इस मुश्किल घड़ी में भी सावधानी बरती और घबराये नहीं. ऐसा नहीं करने पर विमान के अंदर अराजकता फैल जाती और लोगों की जान जाने का खतरा बढ़ जाता.
विमान में सवार लोगों का अनुशासन भी तारीफ के काबिल : विमानन सुरक्षा सलाहकार और अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के पूर्व वरिष्ठ निदेशक स्टीव क्रीमर ने कहा कि यह काफी उल्लेखनीय है कि उन्होंने सभी को हवाई जहाज से उतार दिया. यह विमान के चालक दल और विमान में सवार लोगों के अनुशासन के बारे में बहुत कुछ कहता है. उन्होंने खासतौर से नोट किया कि यात्रियों ने अपना सामान छोड़ दिया और अनुशासित व्यवहार किया. उन्होंने कहा कि स्पष्ट रूप से इसका फायदा हुआ.
आपात स्थिति के पहले एक से दो मिनट नहीं मिलती कोई बाहरी मदद: प्राइस ने कहा कि हालांकि हवाई अड्डों पर विमान बचाव और अग्निशमन इकाइयां हैं, लेकिन आपातकालीन प्रतिक्रियाकर्ताओं को घटनास्थल पर पहुंचने में तीन मिनट या उससे अधिक समय लग सकता है. उन्होंने कहा कि किसी विमान के ढांचे में आग लगने में लगभग 90 सेकंड का समय लगता है. आपात स्थिति के पहले एक से दो मिनट तक यात्री और फ्लाइट क्रू काफी हद तक अपने आप पर निर्भर रहते हैं.
विमान के डिजाइन से कैसे मदद मिली : विमानन-सुरक्षा विशेषज्ञ जेफरी प्राइस ने कहा कि सफल निकासी आधुनिक विमानों की मजबूती और उनकी बेहतर डिजाइन की सफलता का भी उदाहरण है. उन्होंने कहा कि लंबे समय से विमान की सुरक्षा के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक विमान में आग लगने को माना जाता रहा है. क्योंकि विमान अत्यधिक ज्वलनशील ईंधन से संचालित होता है. जो की अक्सर विमान में काफी मात्रा में होता है. ब्रेथवेट ने बताया कि मंगलवार की दुर्घटना में शामिल एयरबस ए 350 को तेजी से फैलने वाली आग और उत्पन्न होने वाले जहरीले धुएं को रोकने के लिए विशेष सामग्रियों से डिजाइन किया गया था.
1985 के मैनचेस्टर हवाई अड्डे की दुर्घटना से मिली सीख: उन्होंने कहा, 1985 के मैनचेस्टर हवाई अड्डे की दुर्घटना में उड़ान भरते समय ब्रिटिश एयरटूर्स की उड़ान में आग लगने से 55 लोग मारे गए थे. जिसके बाद विमान सुरक्षा पर पुनर्विचार शुरू हो गया था. अब विमानों को इस तरह डिजाइन किया गया है कि आप जहां भी बैठे हों, आपातकालीन निकास आसानी से पहुंच योग्य हो. विमान में बने विशेष संकेत खराब रोशनी और कम दृश्यता की स्थिति में आपातकालीन निकास तक पहुंचने में मदद करते हैं.
और किस्मत की तो बात है ही : ब्रेथवेट ने कहा कि क्या दुर्घटना में विमान का ढांचा क्षतिग्रस्त हुआ था. इस दौरान आग की लपटों से निपटने में अग्निशामकों की ओर से की गई मेहनत ने भी यात्रियों को थोड़ा अतिरिक्त समय दिया. ब्रेथवेट ने कहा कि लैंडिग के दौरान दुर्घटना होने के कारण भी यात्रियों को बाहर निकालने में जरूर मदद मिली होगी. यह अपने आप में किस्मत की बात है. उन्होंने कहा कि 2002 के एक अध्ययन में पाया गया कि यदि विमान में आग लगने का पता चलता है तो पायलटों के पास विमान को सुरक्षित रूप से उतारने के लिए लगभग 17 मिनट चाहिए होता है. जबकि मंगलवार की दुर्घटना के समय यात्री विमान पहले से ही उतर रहा था. ऐसे में लोगों को बाहर निकलने के लिए समय मिला.