रोम/वाशिंगटन/जॉर्डन : अमेरिका से लेकर यूरोप और जापान तक लोग खतरनाक रूप से गर्मी से जूझ रहे हैं. अल जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर में इस समय रिकॉर्ड गर्मी पड़ रही है. ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ते खतरे का नवीनतम उदाहरण है. यूरोप के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि रोम, बोलोग्ना और फ्लोरेंस सहित 16 शहरों के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया है. इटली में शनिवार ऐतिहासिक रूप से गर्म रहा है. मौसम के केंद्र की ओर से जारी की गई जानकारी के अनुसार, इटली में रहने वाले लोगों को सबसे तीव्र लू और अब तक की सबसे गर्म मौसम के लिए तैयार रहने की चेतावनी जारी की गई है.
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Melting heat.
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A brutal heat wave is already gripping parts of Europe, China and the United States, where record temperatures expected this weekend are a stark illustration of the dangers of a warming climatehttps://t.co/CCRJzlrQwR pic.twitter.com/yUlXsMditN
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रोम में सोमवार तक पारा 40 डिग्री सेल्सियस (104 फॉरेनहाइट) और मंगलवार को 43 डिग्री सेल्सियस (109 फारेनहाइट) तक पहुंचने की संभावना है, जो अगस्त 2007 में दर्ज किये गये रिकॉर्ड अधिकतम तापमान 40.5 डिग्री सेल्सियस (104.9 फारेनहाइट) को पार कर जायेगा. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने चेतावनी दी है कि सिसिली और सार्डिनिया द्वीप 48 डिग्री सेल्सियस (118 फारेनहाइट) तक के उच्च तापमान के कारण सूख सकते हैं. संभवतः यूरोप में अब तक का सबसे गर्म तापमान दर्ज किया गया है.
एक्रोपोलिस दूसरे दिन भी बंद : यूरोप के राष्ट्रीय मौसम सेवा ईएमवाई के अनुसार, देश के कुछ हिस्सों में शनिवार को अधिकतम तापमान 44 डिग्री सेल्सियस (111 फारेनहाइट) तक पहुंच सकता है. थेब्स के केंद्रीय शहर में शुक्रवार को तापमान 44.2 डिग्री सेल्सियस (111.6 फारेनहाइट) रिकॉर्ड किया गया. एथेंस का शीर्ष पर्यटक आकर्षण एक्रोपोलिस लगातार दूसरे दिन शनिवार को सबसे गर्म रहा. यहां का तापमान 41 डिग्री सेल्सियस (106 फारेनहाइट) पहुंच गया. राजधानी के कई पार्कों को गर्मी के कारण बंद कर दिया गया था. फ्रांस, जर्मनी, स्पेन और पोलैंड के क्षेत्र भी भीषण गर्मी को झेल रहे हैं.
जापान में गर्मी और बारिश का कहर : पूर्वी जापान के हिस्सों में भी रविवार और सोमवार को तापमान 38 से 39 डिग्री सेल्सियस (100 से 102 फारेनहाइट) तक पहुंचने की उम्मीद है. मौसम विज्ञान एजेंसी ने चेतावनी दी है कि तापमान पिछले रिकॉर्ड को तोड़ सकता है. इस बीच, जापान के राष्ट्रीय प्रसारक एनएचके ने बताया कि उत्तरी शहर अकिता में आधे दिन में जुलाई के पूरे महीने की तुलना में अधिक बारिश देखी गई.
मूसलाधार बारिश के कारण कम से कम एक स्थान पर भूस्खलन भी हुआ. जिससे 9,000 लोगों को अपने घर खाली करने के लिए मजबूर होना पड़ा. जापान की मौसम विज्ञान एजेंसी ने बताया कि 'अब तक हुई सबसे भारी बारिश' के रूप में वर्णित मूसलाधार बारिश ने हाल के हफ्तों में दक्षिणी जापान में भी तबाही मचाई है, जिसमें कम से कम 11 लोग मारे गए हैं.
अमेरिका में भी कैलिफोर्निया से टेक्सास तक भीषण गर्मी: अमेरिका में भी कैलिफोर्निया से टेक्सास तक भीषण गर्मी की लहर महसूस की जा रही है, जिसका इस सप्ताह के अंत तक चरम पर पहुंचने की उम्मीद है. सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से एक एरिजोना में निवासियों को अबतक के सबसे गर्म मौसम का सामना करना पड़ रहा है. अमेरिकी राष्ट्रीय मौसम सेवा के अनुसार, एरिजोना की राजधानी फीनिक्स में शुक्रवार को लगातार 15वें दिन तापमान 43 डिग्री सेल्सियस (109 फारेनहाइट) से ऊपर दर्ज किया गया.
कम आय वाले समुदाय हीटवेव से सबसे ज्यादा प्रभावित : व्हाइट हाउस की जलवायु नीति सलाहकार हन्ना सैफर्ड ने अल जजीरा को बताया कि कम आय वाले समुदाय हीटवेव से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा कि लोग कई हफ्तों से रिकॉर्ड तोड़ गर्मी का सामना कर रहे हैं. सैफर्ड ने कहा कि यह सिर्फ एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं है, जहां हम समुदायों को असमान रूप से प्रभावित होते देख रहे हैं. हम जानते हैं कि सबसे कम आय वाले सबसे कमजोर अमेरिकी, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से जलवायु परिवर्तन का खामियाजा भुगतते हैं. ये वे लोग हैं, जिन्हें बाहर काम करना पड़ता है, जिनके घरों में कूलिंग की व्यवस्था नहीं होती, इसलिए हम उन समुदायों पर विशेष ध्यान दे रहे हैं.
जानलेवा खतरा: अधिकारी लोगों को दिन के समय बाहरी गतिविधियों से बचने और डीहाईड्रेशन से सावधान रहने की सलाह दी गई है. संबंधित संस्थाएं इसके लिए लगातार अलार्म बजा रही हैं. लास वेगास मौसम सेवा ने चेतावनी दी कि यह हीटवेव सामान्य रेगिस्तानी गर्मी नहीं है. चेतावनी में कहा गया है कि अब सबसे तीव्र गर्मी का मौसम शुरू हो रही है. रविवार को तापमान रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच सकता है. कैलिफोर्निया की डेथ वैली, जो पृथ्वी पर सबसे गर्म स्थानों में से एक है, में भी रविवार कोपारा संभवतः 54 डिग्री सेल्सियस (130 फारेनहाइट) तक छू जाने की संभावना है.
दक्षिणी कैलिफोर्निया के कई जंगलों में आग : दक्षिणी कैलिफोर्निया के कई जंगलों में आग भड़क गई है. इसमें रिवरसाइड काउंटी की एक आग भी शामिल है. जानकारी के मुताबिक, इस आग से 3,000 एकड़ (1,214 हेक्टेयर) से अधिक का इलाका प्रभावित हो रहा है. मौसम विज्ञान सेवा ने कहा कि मोरक्को के कुछ इलाकों में 47 डिग्री सेल्सियस (117 फारेनहाइट) के उच्च तापमान के साथ औसत से अधिक गर्म रहने की उम्मीद है. इसके साथ ही इन इलाकों में पानी की कमी की चिंता बढ़ गई है.
जॉर्डन के जंगल में लगी आग: सेना ने कहा कि मध्य पूर्व में पानी की कमी से जूझ रहे जॉर्डन को गर्मी के बीच उत्तर में अजलून जंगल में लगी जंगल की आग पर काबू पाने के लिए 214 टन पानी गिराने के लिए मजबूर होना पड़ा.
इराक की टाइग्रिस नदी का जलस्तर हुआ कम : इराक में, जहां चिलचिलाती गर्मी के साथ-साथ बिजली कटौती भी आम बात है. यहां के लोगों के लिए गर्मी में एक मात्र सहारा नदियों में तैराकी करना माना जाता था लेकिन टाइग्रिस नदी और इराक की अन्य नदियों में भी पानी सूखने लगा है, जिससे स्थानीय लोगों के लिए परेशानी और बढ़ गई है. मीडिया रिपोर्ट में शहर में लू की स्थिति की तुलना 'हेयर ड्रायर' से निकलने वाली हवा के साथ की गई है. बताया जा रहा है कि यहां तापमान 50 डिग्री सेल्सियस (122 फारेनहाइट) के करीब पहुंच गया है.
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VIDEO: Dead fish lie on the banks of rivers and marshes in Iraq's southeast in the floodplain of the Tigris river, already suffering from the effects of global warming. pic.twitter.com/PrJPxjZ8ah
— AFP News Agency (@AFP) July 7, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि को रोकने की जरूरत: रीडिंग यूनिवर्सिटी में जलवायु विज्ञान के प्रोफेसर रिचर्ड एलन ने अल जजीरा को बताया कि मानव गतिविधि के कारण हम वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों को पंप कर रहे हैं. इसलिए मौसम का मिजाज सामान्य से अधिक गर्म हो गया है. उन्होंने कहा कि यह अतिरिक्त गर्मी मौसम की इन चरम स्थितियों को एक तरह से सुपरचार्ज कर रही है. हमें ग्रीनहाउस गैसों में वृद्धि को रोकने की जरूरत है. यह हमारे ग्रह को गर्म कर रही है. साथ ही तीव्र बारिश और बाढ़ को और अधिक गंभीर बना रही है. हालांकि जलवायु परिवर्तन के लिए किसी विशेष मौसम की घटना को जिम्मेदार ठहराना मुश्किल हो सकता है. वैज्ञानिक इस बात पर जोर देते हैं कि दुनिया में हीटवेव में वृद्धि और तीव्रता के पीछे ग्लोबल वार्मिंग है, जो जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता से जुड़ा है.