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दक्षिण अफ्रीका में अरबों के घोटाले के आरोपी गुप्ता बंधु यूएई में गिरफ्तार

दक्षिण अफ्रीका में अरबों रुपये के घोटाले के आरोपी गुप्ता परिवार के दो सदस्यों को यूएई में गिरफ्तार किया गया है (Gupta brothers held in uae). दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने इस संबंध में जानकारी दी है.

Gupta brothers
गुप्ता बंधु यूएई में गिरफ्तार
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Published : Jun 7, 2022, 9:29 AM IST

Updated : Jun 7, 2022, 10:01 AM IST

केप टाउन : दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जूमा के साथ अरबों रुपये की आर्थिक गड़बड़ियों से कथित रूप से जुड़े गुप्ता बंधु को यूएई में गिरफ्तार किया गया है. दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने एक बयान में ये जानकारी दी है. सरकार की ओर से कहा गया कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने आर्थिक गड़बड़ी के सिलसिले में पूर्व राष्ट्रपति जैकब जूमा से कथित रूप से जुड़े गुप्ता परिवार के राजेश गुप्ता और अतुल गुप्ता को गिरफ्तार किया है. अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल) ने पिछले साल जुलाई में गुप्ता बंधुओं के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था.

दक्षिण अफ्रीका के न्याय मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'न्याय और सुधार सेवा मंत्रालय पुष्टि करता है कि उसे संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में कानून प्रवर्तन अधिकारियों से सूचना मिली है कि भगोड़े राजेश और अतुल गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है.' बयान में कहा गया, 'यूएई और दक्षिण अफ्रीका में विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच बातचीत जारी है. दक्षिण अफ्रीकी सरकार यूएई के साथ सहयोग करना जारी रखेगी.'

साल 2018 में दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति जुमा के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू की थी. दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति पर अपने नौ साल के शासनकाल (2009-2018) के दौरान व्यापक भ्रष्टाचार का आरोप है. वहीं, गुप्ता परिवार पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर आर्थिक लाभ के लिए शीर्ष नियुक्तियों को प्रभावित करने का आरोप है. हालांकि, वह इससे इनकार करते रहे हैं. अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक इंटरपोल को कृषि व्यवहार्यता अध्ययन से जुड़े एक मामले में गुप्ता की कंपनी को दिए गए 25 मिलियन रैंड के अनुबंध के संबंध में उनकी तलाश है.

90 के दशक में यूपी से दक्षिण अफ्रीका गए थे गुप्ता बंधु : गुप्ता बंधु अजय, अतुल और राजेश 1990 के दशक में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले से दक्षिण अफ्रीका चले गए थे. वह दक्षिण अफ्रीका में कंप्यूटर उपकरण, मीडिया और खनन से जुड़े कारोबार के मालिक हैं. घोटाले के कारण ही जुमा को 2018 में पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था. भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर उन्हें अपने ही सत्तारूढ़ अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (एएनसी) के सांसदों के भीतर भारी आक्रोश का सामना करना पड़ा था. दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति को 1990 के दशक के हथियारों के सौदे से संबंधित भ्रष्टाचार के आरोपों का भी सामना करना पड़ा. जुमा के इस्तीफे के बाद गुप्ता बंधु दक्षिण अफ्रीका से भाग गए थे.

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने भी दिया था बयान : दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने भी यह स्वीकार किया था कि अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के भीतर मतभेदों के कारण देश में घोटाले में कथित तौर पर लिप्त गुप्ता परिवार के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं हो सकी. अगस्त 2021 में एक बयान में राष्ट्रपति रामफोसा ने इस संबंध में बयान दिया था. सरकारी संस्थानों और प्रांतीय सरकार में अरबों रैंड के गबन के आरोपी तीन गुप्ता बंधुओं के साथ पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के संबंधों का जिक्र करते हुए रामाफोसा ने कहा था, 'उन्होंने तंत्र में बड़ी सफाई से घुसपैठ बना ली थी. उनकी स्वीकार्यता थी, उनकी पहुंच थी. चेतावनी के संकेत दिए गए थे जिन पर ध्यान नहीं दिया गया.'

पढ़ें- दक्षिण अफ्रीका : गुप्ता बंधुओं की सहायिका रोनिका राघवन गिरफ्तार

पढ़ें- दक्षिण अफ्रीका में गुप्ता बंधु की कंपनी के बैंक खाते से 13 लाख डॉलर जब्त

पढ़ें- राष्ट्रपति रामाफोसा ने स्वीकारा, सरकारी तंत्र में घुसपैठ बना चुके थे गुप्ता बंधु

केप टाउन : दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति जैकब जूमा के साथ अरबों रुपये की आर्थिक गड़बड़ियों से कथित रूप से जुड़े गुप्ता बंधु को यूएई में गिरफ्तार किया गया है. दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने एक बयान में ये जानकारी दी है. सरकार की ओर से कहा गया कि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने आर्थिक गड़बड़ी के सिलसिले में पूर्व राष्ट्रपति जैकब जूमा से कथित रूप से जुड़े गुप्ता परिवार के राजेश गुप्ता और अतुल गुप्ता को गिरफ्तार किया है. अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन (इंटरपोल) ने पिछले साल जुलाई में गुप्ता बंधुओं के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था.

दक्षिण अफ्रीका के न्याय मंत्रालय ने एक बयान में कहा, 'न्याय और सुधार सेवा मंत्रालय पुष्टि करता है कि उसे संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में कानून प्रवर्तन अधिकारियों से सूचना मिली है कि भगोड़े राजेश और अतुल गुप्ता को गिरफ्तार कर लिया गया है.' बयान में कहा गया, 'यूएई और दक्षिण अफ्रीका में विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच बातचीत जारी है. दक्षिण अफ्रीकी सरकार यूएई के साथ सहयोग करना जारी रखेगी.'

साल 2018 में दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने पूर्व राष्ट्रपति जुमा के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच शुरू की थी. दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति पर अपने नौ साल के शासनकाल (2009-2018) के दौरान व्यापक भ्रष्टाचार का आरोप है. वहीं, गुप्ता परिवार पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर आर्थिक लाभ के लिए शीर्ष नियुक्तियों को प्रभावित करने का आरोप है. हालांकि, वह इससे इनकार करते रहे हैं. अल जज़ीरा की रिपोर्ट के मुताबिक इंटरपोल को कृषि व्यवहार्यता अध्ययन से जुड़े एक मामले में गुप्ता की कंपनी को दिए गए 25 मिलियन रैंड के अनुबंध के संबंध में उनकी तलाश है.

90 के दशक में यूपी से दक्षिण अफ्रीका गए थे गुप्ता बंधु : गुप्ता बंधु अजय, अतुल और राजेश 1990 के दशक में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले से दक्षिण अफ्रीका चले गए थे. वह दक्षिण अफ्रीका में कंप्यूटर उपकरण, मीडिया और खनन से जुड़े कारोबार के मालिक हैं. घोटाले के कारण ही जुमा को 2018 में पद छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था. भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर उन्हें अपने ही सत्तारूढ़ अफ्रीकी राष्ट्रीय कांग्रेस (एएनसी) के सांसदों के भीतर भारी आक्रोश का सामना करना पड़ा था. दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति को 1990 के दशक के हथियारों के सौदे से संबंधित भ्रष्टाचार के आरोपों का भी सामना करना पड़ा. जुमा के इस्तीफे के बाद गुप्ता बंधु दक्षिण अफ्रीका से भाग गए थे.

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति ने भी दिया था बयान : दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने भी यह स्वीकार किया था कि अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस के भीतर मतभेदों के कारण देश में घोटाले में कथित तौर पर लिप्त गुप्ता परिवार के खिलाफ उचित कार्रवाई नहीं हो सकी. अगस्त 2021 में एक बयान में राष्ट्रपति रामफोसा ने इस संबंध में बयान दिया था. सरकारी संस्थानों और प्रांतीय सरकार में अरबों रैंड के गबन के आरोपी तीन गुप्ता बंधुओं के साथ पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा के संबंधों का जिक्र करते हुए रामाफोसा ने कहा था, 'उन्होंने तंत्र में बड़ी सफाई से घुसपैठ बना ली थी. उनकी स्वीकार्यता थी, उनकी पहुंच थी. चेतावनी के संकेत दिए गए थे जिन पर ध्यान नहीं दिया गया.'

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Last Updated : Jun 7, 2022, 10:01 AM IST
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