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सूडान में सेना और अर्धसैनिक फोर्स के बीच संघर्ष जारी, मरने वालों की संख्या 97 पहुंची, 600 घायल - अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स

सूडानी डॉक्टर्स यूनियन के हवाले से पता चला है कि सूडानी सेना और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के बीच लड़ाई से मरने वालों की संख्या बढ़कर 97 हो गई है. सोमवार तड़के तक, हिंसा में 97 नागरिक मारे गए थे और लगभग 600 घायल हुए थे.

fighting between armies in Sudan
सूडान में सेनाओं के बीच संघर्ष
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Published : Apr 17, 2023, 5:14 PM IST

खार्तूम: सूडानी सेना और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के बीच लड़ाई से मरने वालों की संख्या बढ़कर 97 हो गई है. द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार सूडानी डॉक्टर्स यूनियन के हवाले से जानकारी सामने आई है कि सूडान की राजधानी खार्तूम में संघर्ष तीसरे दिन भी जारी रहा, जिससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 97 हो गई. समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बयान के हवाले से कहा कि हिंसा में करीब 600 नागरिक घायल हुए हैं.

सूडान में तनावपूर्ण स्थिति ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में व्यापक चिंता पैदा कर दी है. संयुक्त राष्ट्र, अफ्रीकी संघ, अरब लीग और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया है. सूडानी सशस्त्र बल (एसएएफ) और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के बीच खार्तूम और अन्य शहरों में 15 अप्रैल को हिंसक झड़पें हुईं. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर संघर्ष शुरू करने का आरोप लगाया. उत्तरी सूडान के मेरोवे क्षेत्र में 12 अप्रैल को आरएसएफ ने सैन्य वाहनों को सैन्य हवाई अड्डे के पास एक स्थान पर स्थानांतरित कर दिया.

इसे सेना ने अवैध माना. इसके बाद से ही दोनों सैन्य बलों के बीच तनाव बढ़ गया है. सूडानी सेना और आरएसएफ के बीच गहरे मतभेद सामने आए हैं, विशेष रूप से सैन्य और नागरिक नेताओं के बीच 5 दिसंबर 2022 को हस्ताक्षरित एक रूपरेखा समझौते में सेना में आरएसएफ के प्रस्तावित एकीकरण को लेकर. आरएसएफ का गठन 2013 में हुआ था और इसकी उत्पत्ति कुख्यात जंजावेद मिलिशिया में हुई थी, जिसने दारफुर में विद्रोहियों से क्रूरता से लड़ाई लड़ी थी.

तब से, आरएसएफ नेता जनरल मोहम्मद हमदान दगालो ने एक शक्तिशाली बल का निर्माण किया है, जिसने यमन और लीबिया में संघर्षों में हस्तक्षेप किया है और सूडान की कुछ सोने की खानों को पर उसका नियंत्रण है. उस पर जून 2019 में 120 से अधिक प्रदर्शनकारियों के नरसंहार सहित मानवाधिकारों के हनन का भी आरोप लगाया गया है. यह लड़ाई तनाव के मुकाबलों में नवीनतम कड़ी है, जो 2019 में लंबे समय से सेवारत राष्ट्रपति उमर अल-बशीर को हटाने के बाद आई थी.

पढ़ें: Burkina Faso Aattack: बुर्किना फासो में जिहादियों ने सैन्य टुकड़ी पर किया हमला, 40 की मौत

उनके लगभग तीन दशक के शासन को समाप्त करने के लिए सड़कों पर काफी विरोध प्रदर्शन हुए और सेना ने उनसे छुटकारा पाने के लिए तख्तापलट किया. लेकिन आम लोग लोकतांत्रिक शासन की ओर बढ़ने की योजना में भूमिका की मांग करते रहे. एक संयुक्त सैन्य-नागरिक सरकार उस समय स्थापित की गई थी, लेकिन अक्टूबर 2021 में एक और तख्तापलट में इसे उखाड़ फेंका गया था. तब से जनरल अब्देल फत्ताह अल-बुरहान, जो सशस्त्र बलों के प्रमुख हैं और वास्तव में देश के राष्ट्रपति हैं और जनरल दगालो के बीच प्रतिद्वंद्विता तेज हो गई है.

(आईएएनएस)

खार्तूम: सूडानी सेना और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के बीच लड़ाई से मरने वालों की संख्या बढ़कर 97 हो गई है. द वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार सूडानी डॉक्टर्स यूनियन के हवाले से जानकारी सामने आई है कि सूडान की राजधानी खार्तूम में संघर्ष तीसरे दिन भी जारी रहा, जिससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 97 हो गई. समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने बयान के हवाले से कहा कि हिंसा में करीब 600 नागरिक घायल हुए हैं.

सूडान में तनावपूर्ण स्थिति ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में व्यापक चिंता पैदा कर दी है. संयुक्त राष्ट्र, अफ्रीकी संघ, अरब लीग और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया है. सूडानी सशस्त्र बल (एसएएफ) और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के बीच खार्तूम और अन्य शहरों में 15 अप्रैल को हिंसक झड़पें हुईं. दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर संघर्ष शुरू करने का आरोप लगाया. उत्तरी सूडान के मेरोवे क्षेत्र में 12 अप्रैल को आरएसएफ ने सैन्य वाहनों को सैन्य हवाई अड्डे के पास एक स्थान पर स्थानांतरित कर दिया.

इसे सेना ने अवैध माना. इसके बाद से ही दोनों सैन्य बलों के बीच तनाव बढ़ गया है. सूडानी सेना और आरएसएफ के बीच गहरे मतभेद सामने आए हैं, विशेष रूप से सैन्य और नागरिक नेताओं के बीच 5 दिसंबर 2022 को हस्ताक्षरित एक रूपरेखा समझौते में सेना में आरएसएफ के प्रस्तावित एकीकरण को लेकर. आरएसएफ का गठन 2013 में हुआ था और इसकी उत्पत्ति कुख्यात जंजावेद मिलिशिया में हुई थी, जिसने दारफुर में विद्रोहियों से क्रूरता से लड़ाई लड़ी थी.

तब से, आरएसएफ नेता जनरल मोहम्मद हमदान दगालो ने एक शक्तिशाली बल का निर्माण किया है, जिसने यमन और लीबिया में संघर्षों में हस्तक्षेप किया है और सूडान की कुछ सोने की खानों को पर उसका नियंत्रण है. उस पर जून 2019 में 120 से अधिक प्रदर्शनकारियों के नरसंहार सहित मानवाधिकारों के हनन का भी आरोप लगाया गया है. यह लड़ाई तनाव के मुकाबलों में नवीनतम कड़ी है, जो 2019 में लंबे समय से सेवारत राष्ट्रपति उमर अल-बशीर को हटाने के बाद आई थी.

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उनके लगभग तीन दशक के शासन को समाप्त करने के लिए सड़कों पर काफी विरोध प्रदर्शन हुए और सेना ने उनसे छुटकारा पाने के लिए तख्तापलट किया. लेकिन आम लोग लोकतांत्रिक शासन की ओर बढ़ने की योजना में भूमिका की मांग करते रहे. एक संयुक्त सैन्य-नागरिक सरकार उस समय स्थापित की गई थी, लेकिन अक्टूबर 2021 में एक और तख्तापलट में इसे उखाड़ फेंका गया था. तब से जनरल अब्देल फत्ताह अल-बुरहान, जो सशस्त्र बलों के प्रमुख हैं और वास्तव में देश के राष्ट्रपति हैं और जनरल दगालो के बीच प्रतिद्वंद्विता तेज हो गई है.

(आईएएनएस)

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