बीजिंग : चीन ने अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में दिखाने वाले 2023 के लिए एक नया 'मानक मानचित्र' जारी करने के अपने कदम का बचाव करते हुए बुधवार को कहा कि उसके कानून के अनुसार यह एक नियमित कवायद है और भारत से पूर्वाग्रह से दूर एवं शांत बने रहने तथा इसका ज्यादा अर्थ निकालने से बचने का आग्रह किया. भारत ने मंगलवार को चीन के तथाकथित मानक मानचित्र पर कड़ा विरोध दर्ज कराया था, जिसमें अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन पर दावा किया गया है, और कहा कि इस तरह के कदम सीमा विवाद के समाधान को केवल जटिल बनाते हैं.
विदेश मंत्रालय ने भी इन दावों को आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने समाचार चैनल एनडीटीवी द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मानचित्र से जुड़े चीन के कदम पर एक सवाल के जवाब में कहा, 'सिर्फ बेतुके दावे करने से अन्य लोगों का क्षेत्र आपका नहीं हो जाता.' चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बुधवार को बीजिंग में मीडिया ब्रीफिंग में कहा, '23 अगस्त को, चीन के राष्ट्रीय संसाधन मंत्रालय ने मानक नक्शे का 2023 संस्करण जारी किया.'
वांग ने कहा, 'कानून के अनुसार, चीन की संप्रभुता के तहत यह एक नियमित कवायद है. हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष पूर्वाग्रह से दूर और शांत रह सकते हैं, और इसका ज्यादा अर्थ निकालने से दूर रह सकते हैं.' चीन ने पिछले दिनों अपने मानक मानचित्र का 2023 का संस्करण आधिकारिक रूप से जारी किया था, जिसमें अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन, ताइवान और विवादित दक्षिण चीन सागर को उसके हिस्से के रूप में दर्शाया गया है.
मई 2020 में शुरू हुए पूर्वी लद्दाख सीमा विवाद के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में तनाव देखने को मिला है. भारतीय और चीनी सैनिक पूर्वी लद्दाख में कुछ स्थानों पर तीन साल से अधिक समय से आमने-सामने हैं. दोनों पक्षों ने हालांकि व्यापक कूटनीतिक और सैन्य वार्ता के बाद कई क्षेत्रों से सैनिकों को हटा लिया है. भारत लगातार यह कहता रहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति समग्र संबंधों को सामान्य बनाने के लिए महत्वपूर्ण है.
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(पीटीआई-भाषा)