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कैप्टन इब्राहिम त्राओरे आधिकारिक तौर पर बुर्किना फासो के राष्ट्रपति बने

कैप्टन इब्राहिम त्राओरे बुर्किना फासो के आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति बन गए. दो सप्ताह पहले उन्होंने तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा जमाया था.

Captain Ibrahim Traore
कैप्टन इब्राहिम त्राओरे
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Published : Oct 15, 2022, 3:09 PM IST

औगाडोउगोउ (बुर्किना फासो) : कैप्टन इब्राहिम त्राओरे (Captain Ibrahim Traore) बुर्किना फासो में सत्ता परिवर्तन के बाद शुक्रवार को आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति बन गए. दो सप्ताह पहले उन्होंने देश में इस साल का दूसरा तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा जमाया था, लेकिन वह भविष्य में चुनाव होने पर राष्ट्रपति पद के लिए भाग्य आजमाने के वास्ते अयोग्य होंगे.

सैन्य अधिकारियों, सिविल समाज के संगठनों और पारंपरिक एवं धार्मिक नेताओं की एक राष्ट्रीय असेंबली ने शुक्रवार को पश्चिमी अफ्रीकी देश बुर्किना फासो के लिए नए चार्टर को मंजूरी दे दी. चार्टर में कहा गया है कि सत्तारूढ़ सैन्य सरकार 'एमपीएसआर' का प्रमुख न सिर्फ राष्ट्रपति, बल्कि सशस्त्र बलों का भी सर्वोच्च प्रमुख है. हालांकि, इसमें स्पष्ट किया गया है कि वह भविष्य में राष्ट्रपति चुनाव होने पर इस पद के लिए खड़ा नहीं हो सकता.

बुर्किना फासो में नए सिरे से तख्तापलट से यह डर पैदा हो गया है कि देश की राजनीतिक अराजकता से क्षेत्र में इस्लामी कट्टरपंथियों की हिंसा और बढ़ सकती है. अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह से जुड़े जिहादियों ने हजारों लोगों को पहले ही मौत के घाट उतार दिया है.

शुक्रवार को हजारों लोग 34 वर्षीय त्राओरे के समर्थन में असेंबली के बाहर एकत्र हो गए. त्राओरे सत्ता में आने से पहले अपेक्षाकृत कम जाने-पहचाने चेहरे थे. कई लोगों ने रूसी झंड़े लहराते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि त्राओरे फ्रांस के बजाय रूस के साथ अधिक काम करें.

पढ़ें- बुर्किना फासो में नौ महीने में दूसरी बार तख्तापलट, राष्ट्रपति डामिबा सत्ता से बाहर

(पीटीआई-भाषा)

औगाडोउगोउ (बुर्किना फासो) : कैप्टन इब्राहिम त्राओरे (Captain Ibrahim Traore) बुर्किना फासो में सत्ता परिवर्तन के बाद शुक्रवार को आधिकारिक रूप से राष्ट्रपति बन गए. दो सप्ताह पहले उन्होंने देश में इस साल का दूसरा तख्तापलट कर सत्ता पर कब्जा जमाया था, लेकिन वह भविष्य में चुनाव होने पर राष्ट्रपति पद के लिए भाग्य आजमाने के वास्ते अयोग्य होंगे.

सैन्य अधिकारियों, सिविल समाज के संगठनों और पारंपरिक एवं धार्मिक नेताओं की एक राष्ट्रीय असेंबली ने शुक्रवार को पश्चिमी अफ्रीकी देश बुर्किना फासो के लिए नए चार्टर को मंजूरी दे दी. चार्टर में कहा गया है कि सत्तारूढ़ सैन्य सरकार 'एमपीएसआर' का प्रमुख न सिर्फ राष्ट्रपति, बल्कि सशस्त्र बलों का भी सर्वोच्च प्रमुख है. हालांकि, इसमें स्पष्ट किया गया है कि वह भविष्य में राष्ट्रपति चुनाव होने पर इस पद के लिए खड़ा नहीं हो सकता.

बुर्किना फासो में नए सिरे से तख्तापलट से यह डर पैदा हो गया है कि देश की राजनीतिक अराजकता से क्षेत्र में इस्लामी कट्टरपंथियों की हिंसा और बढ़ सकती है. अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह से जुड़े जिहादियों ने हजारों लोगों को पहले ही मौत के घाट उतार दिया है.

शुक्रवार को हजारों लोग 34 वर्षीय त्राओरे के समर्थन में असेंबली के बाहर एकत्र हो गए. त्राओरे सत्ता में आने से पहले अपेक्षाकृत कम जाने-पहचाने चेहरे थे. कई लोगों ने रूसी झंड़े लहराते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि त्राओरे फ्रांस के बजाय रूस के साथ अधिक काम करें.

पढ़ें- बुर्किना फासो में नौ महीने में दूसरी बार तख्तापलट, राष्ट्रपति डामिबा सत्ता से बाहर

(पीटीआई-भाषा)

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