वाशिंगटन: व्हाइट हाउस ने बुधवार को एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति प्रस्तुत की जिसका उद्देश्य बढ़ते हुए चीन और आक्रामक होते रूस को रोकना है. इसमें कहा गया है कि अमेरिका को आने वाले महत्वपूर्ण दशक में स्पर्धा में मदद के लिए घरेलू निवेश जरूरी है. बाइडन प्रशासन की पहली राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में ऐसी विदेश नीति पर जोर दिया गया है जो वैश्विक सहयोगियों के हितों तथा मध्य-वर्गीय अमेरिकियों के हितों के बीच संतुलन बनाती हो.
रणनीति दस्तावेज के अनुसार कहा गया कि हम समझते हैं कि यदि अमेरिका को विदेश में सफलता हासिल करनी है तो हमें अपने नवोन्मेष तथा औद्योगिक क्षमता में निवेश करना चाहिए. घरेलू स्तर पर अपने जुझारूपन को बढ़ाना चाहिए. अमेरिका ने बुधवार को एक राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (National Security Strategy) प्रस्तुत किया है जिसका उद्देश्य चुनौती बनते चीन (China) और आक्रामक होते रूस (Russia) को रोकना है.
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बाइडन प्रशासन की पहली राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति 2022 में ऐसी विदेश नीति पर जोर दिया गया है जो वैश्विक सहयोगियों के हितों तथा मध्य-वर्गीय अमेरिकियों के हितों के बीच संतुलन बनाती हो. अमेरिका की नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और एक प्रमुख रक्षा भागीदार बताया गया है. बाइडेन ने कहा कि हम समझते हैं कि यदि अमेरिका को विदेश में सफलता हासिल करनी है तो हमें अपने नवोन्मेष तथा औद्योगिक क्षमता में निवेश करना चाहिए और घरेलू स्तर पर अपने जुझारूपन को बढ़ाना चाहिए.
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि 2022 की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति इस बात की रूपरेखा तैयार करती है कि कैसे उनका प्रशासन अमेरिका के महत्वपूर्ण हितों को आगे बढ़ाने के लिए इस निर्णायक दशक का उपयोग करेगा, भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धियों से आगे निकलने के लिए स्थिति देगा, साझा चुनौतियों से निपटेगा, दुनिया को एक उज्जवल और अधिक आशावादी कल की ओर मजबूती से स्थापित करेगा.
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सुरक्षा रणनीति में भारत का भी जिक्र: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की सुरक्षा नीति में भारत का भी जिक्र किया गया है. भारत को एक लोकतंत्र और समान विचारधारा वाले देश के रूप में संदर्भित करते हुए, यूएस नेशनल सिक्योरिटी स्ट्रैटेजी ने कहा, नई दिल्ली इंडो-पैसिफिक से क्वाड तक एक प्रमुख भागीदार बनी हुई है. बाइडन प्रशासन ने बताया है कि अमेरिका और भारत 'फ्री एंड ओपन' हिंद-प्रशांत के अपने साझा दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए द्विपक्षीय और बहुपक्षीय दोनों व्यवस्थाओं में मिलकर काम करेंगे. अमेरिका ने कहा कि वह परमाणु युद्ध के खतरे को कम करना चाहता है लेकिन अपने हथियारों का आधुनिकीकरण करना जारी रखेगा.