वाशिंगटन : अमेरिका की एक अदालत ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमला मामले में वांछित पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यापारी तहव्वुर राणा की अभियोजन पक्ष के साथ बैठक संबंधी याचिका (स्टेटस कांफ्रेंस) यह कहते हुए खारिज कर दी कि अगले 30 दिनों में उसे भारत को प्रत्यर्पित किये जाने पर फैसला आ जाने की उम्मीद है. लॉस एंजिलीस के जिला न्यायालय के न्यायाधीश जैकलीन चूलजियान ने जून, 2021 में इस मुद्दे पर पिछली सुनवाई की थी और जुलाई 2021 में कागजातों का आखिरी सेट अदालत में सौंपा गया था। इस अदालत ने राणा को भारत को प्रत्यर्पित किये जाने के अमेरिकी सरकार के अनुरोध पर फैसला अभी सुनाया नहीं है.
पिछले महीने अपने वकील के माध्यम से दायर याचिका में राणा ने अनुरोध किया कि अदालत अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष को इस मामले पर तथा अपराध कबूल करने पर सजा कम करने संबंधी प्रावधान पर चर्चा करने की अनुमति दे. उसके वकील ने कहा, "इस मामले में पिछली अदालती बहस 21 जुलाई, 2021 को हुई थी. इतना समय बीत जाने और राणा के लगातार सलाखों के पीछे रहने के मद्देनजर इस अदालत और वकीलों के लिए इस मामले की वर्तमान स्थिति पर चर्चा करना उपयुक्त जान पड़ता है." उसके वकील ने सुझाव दिया कि स्टेटस कांफ्रेंस 25 अप्रैल को हो लेकिन अदालत ने 17 अप्रैल को अपने एक आदेश में इस आवेदन को खारिज कर दिया.
अदालत के आदेश में कहा गया है कि याचिका में जो यह अनुरोध किया गया है कि अदालत संबंधित पक्षों को इस मामले की नवीनतम स्थिति से अवगत कराता रहे, वह मंजूर किया जाता है. संबंधित पक्षों को सलाह दी जाती है कि अदालत को 30 दिनों में इस मामले पर फैसला जारी हो जाने का अनुमान है. इसी आदेश में कहा गया है कि अदालत स्टेटस कांफ्रेस के अनुरोध को खारिज करती है क्योंकि अदालत की राय है कि यह कार्यवाही अनावश्यक है और इससे इस मामले के निस्तारण में अदालत को कोई मदद नहीं मिलेगी.
अदालती सुनवाई के दौरान संघीय अभियोजकों ने दलील दी थी कि राणा को पता था कि बचपन का उसका दोस्त डेविड कोलमैन हेडली लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था और हेडली की सहायता कर और उसकी गतिविधियों पर पर्दा डालकर वह आतंकवादी संगठन और उसके सहयोगियों की मदद कर रहा था. वर्ष 2008 में हुए मुंबई हमले में छह अमेरिकियों समेत 166 लोगों की जान चली गयी थी. लश्कर के आतंकवादियों ने यह हमला किया था.
(पीटीआई-भाषा)