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प्रत्यर्पण मामले में ब्रिटेन की अदालत में पेश हुए जूलियन असांजे - जूलियन असांजे लंदन की अदालत

ब्रिटेन की एक जेल में लगभग डेढ़ साल से बंद जूलियन असांजे प्रत्यर्पण संबंधी अमेरिकी आवेदन के मामले में लंदन की अदालत के समक्ष पेश हुए. अमेरिका ने उन्हें जासूसी के आरोप में मुकदमे का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित किए जाने का आवेदन किया गया है. पढ़ें विस्तार से...

जूलियन असांजे
जूलियन असांजे
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Published : Sep 7, 2020, 7:13 PM IST

लंदन : विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे उनके प्रत्यर्पण संबंधी अमेरिकी आवेदन के मामले में लंदन की अदालत के समक्ष पेश हुए. कोरोना वायरस महामारी के चलते मामले की सुनवाई में देरी हुई. असांजे ब्रिटेन की एक जेल में लगभग डेढ़ साल से बंद हैं.

असांजे ने ओल्ड बेली की आपराधिक अदालत के समक्ष औपचारिक रूप से अमेरिका की उस मांग का विरोध किया, जिसमें उन्हें जासूसी के आरोप में मुकदमे का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित किए जाने का आवेदन किया गया है.

इस बीच, फैशन डिजाइनर विवियन वेस्टवुड और असांजे की साथी स्टेला मोरिस सहित कई दर्जन समर्थक अदालत के बाहर एकत्र हुए और अभियोजन पक्ष को प्रेस की स्वतंत्रता के लिए खतरा बताते हुए नारेबाजी की और ढोल बजाए.

वेस्टवुड ने कहा, 'जूलियन असांजे ने पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार के खिलाफ लौ जलाई है.'

वहीं, अमेरिकी अभियोजकों ने 49 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई असांजे को एक दशक पहले विकीलीक्स द्वारा खुफिया अमेरिकी सैन्य दस्तावेजों के प्रकाशन को लेकर जासूसी और कंप्यूटर दुरुपयोग के 18 मामलों का आरोपी ठहराया है.

इन अरोपों के तहत अधिकतम 175 वर्ष की जेल हो सकती है.

अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि असांजे ने अमेरिकी सेना की विश्लेषक चेल्सी मैनिंग के साथ मिलकर पेंटागन के कंप्यूटर में सेंधमारी की और इराक तथा अफगानिस्तान में हुए युद्धों से संबंधित हजारों गुप्त राजनयिक केबलों और सैन्य फाइलों को सार्वजनिक किया.

उधर, असांजे के वकीलों ने कहा कि यह सत्ता से प्रेरित राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग है जोकि प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने का कृत्य है और ऐसा करना दुनिया भर के पत्रकारों को जोखिम में डाल देगा.

यह भी पढ़ें- प्रत्यर्पण के खिलाफ ब्रिटेन की कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ेंगे असांजे

उन्होंने दलील दी कि लीक हुए दस्तावेजों ने अमेरिकी सेना के गलत कार्यों को ही उजागर किया.

अंसाजे की वकील जेनिफर रॉबिंसन ने अदालत के समक्ष कहा, 'कंपनियों, सरकारों और युद्ध अपराधों से संबंधित गैर कानूनी गतिविधियों का खुलासा करने वाले ऐसे पत्रकारों और व्हिसल ब्लोअर को अभियोजन से सरंक्षण दिया जाना चाहिए, जिस तरह के प्रकाशन को लेकर असांजे पर आरोप लगाए गए हैं.'

लंदन : विकिलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे उनके प्रत्यर्पण संबंधी अमेरिकी आवेदन के मामले में लंदन की अदालत के समक्ष पेश हुए. कोरोना वायरस महामारी के चलते मामले की सुनवाई में देरी हुई. असांजे ब्रिटेन की एक जेल में लगभग डेढ़ साल से बंद हैं.

असांजे ने ओल्ड बेली की आपराधिक अदालत के समक्ष औपचारिक रूप से अमेरिका की उस मांग का विरोध किया, जिसमें उन्हें जासूसी के आरोप में मुकदमे का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित किए जाने का आवेदन किया गया है.

इस बीच, फैशन डिजाइनर विवियन वेस्टवुड और असांजे की साथी स्टेला मोरिस सहित कई दर्जन समर्थक अदालत के बाहर एकत्र हुए और अभियोजन पक्ष को प्रेस की स्वतंत्रता के लिए खतरा बताते हुए नारेबाजी की और ढोल बजाए.

वेस्टवुड ने कहा, 'जूलियन असांजे ने पूरी दुनिया में भ्रष्टाचार के खिलाफ लौ जलाई है.'

वहीं, अमेरिकी अभियोजकों ने 49 वर्षीय ऑस्ट्रेलियाई असांजे को एक दशक पहले विकीलीक्स द्वारा खुफिया अमेरिकी सैन्य दस्तावेजों के प्रकाशन को लेकर जासूसी और कंप्यूटर दुरुपयोग के 18 मामलों का आरोपी ठहराया है.

इन अरोपों के तहत अधिकतम 175 वर्ष की जेल हो सकती है.

अमेरिकी अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि असांजे ने अमेरिकी सेना की विश्लेषक चेल्सी मैनिंग के साथ मिलकर पेंटागन के कंप्यूटर में सेंधमारी की और इराक तथा अफगानिस्तान में हुए युद्धों से संबंधित हजारों गुप्त राजनयिक केबलों और सैन्य फाइलों को सार्वजनिक किया.

उधर, असांजे के वकीलों ने कहा कि यह सत्ता से प्रेरित राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग है जोकि प्रेस की स्वतंत्रता को दबाने का कृत्य है और ऐसा करना दुनिया भर के पत्रकारों को जोखिम में डाल देगा.

यह भी पढ़ें- प्रत्यर्पण के खिलाफ ब्रिटेन की कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ेंगे असांजे

उन्होंने दलील दी कि लीक हुए दस्तावेजों ने अमेरिकी सेना के गलत कार्यों को ही उजागर किया.

अंसाजे की वकील जेनिफर रॉबिंसन ने अदालत के समक्ष कहा, 'कंपनियों, सरकारों और युद्ध अपराधों से संबंधित गैर कानूनी गतिविधियों का खुलासा करने वाले ऐसे पत्रकारों और व्हिसल ब्लोअर को अभियोजन से सरंक्षण दिया जाना चाहिए, जिस तरह के प्रकाशन को लेकर असांजे पर आरोप लगाए गए हैं.'

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