पेरिस : अपनी वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ बनाने के मकसद से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) अपने एक फाउंडेशन में मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति कर रहा है.
डब्ल्यूएचओ का प्रयास फाउंडेशन मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की नियुक्ति कर निजी चंदा जुटाने का है ताकि अगर कोई देश अपने योगदान में कटौती करता है, तो उसे आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़े. हाल ही अमेरिका ने निकाय को दी जा रही राशि में कटौती कर दी थी.
बहुराष्ट्रीय फार्मा कंपनी वियाट्रिस के साथ आठ साल रहने के बाद अनिल सोनी अगले साल जनवरी में नए डब्ल्यूएचओ फाउंडेशन से जुड़ेंगे.
इस साल वैश्विक कोरोना वायरस महामारी और निकाय से अमेरिका के बाहर हो जाने के बाद डब्ल्यूएचओ की वित्तीय स्थिति की संवेदनशीलता उजागर हो गयी है. निकाय बहुत हद तक सदस्य देशों के स्वैच्छिक योगदान के साथ-साथ कुछ बड़े फाउंडेशनों पर निर्भर रहता है.
सोनी ने डब्ल्यूएचओ फाउंडेशन की घोषणा से पहले एसोसिएटेड प्रेस (एपी) के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि उनकी प्राथमिकता कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत चंदा जुटाना है. उन्होंने कहा कि फाउंडेशन अंततः 'कोविड-19 सॉलिडरिटी रिस्पॉन्स फंड' का नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगा. इस कोष ने अब तक 23.8 करोड़ डॉलर जुटाए हैं.
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सोनी 'बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन' के वरिष्ठ सलाहकार भी रहे हैं. इस साल डब्ल्यूएचओ के बजट में जर्मनी के बाद दूसरा सबसे ज्यादा योगदान इसी फाउंडेशन ने दिया है.