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जासूसी के लिए अमेरिका की मदद, स्वीडन ने डेनमार्क से मांगा स्पष्टीकरण

डेनमार्क की विदेश खुफिया सेवा पर जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल सहित विभिन्न यूरोपीय नेताओं की जासूसी करने में अमेरिका की कथित रूप से मदद करने का आरोप लगा है. जिसके बाद स्वीडन ने डेनमार्क से स्पष्टीकरण मांगा है. स्वीडन ने कहा कि सहयोगियों की जासूसी अस्वीकार्य है.

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Published : May 31, 2021, 8:48 PM IST

स्वीडन का डेनमार्क से सवाल
स्वीडन का डेनमार्क से सवाल

कोपनहेगन : स्वीडन के रक्षा मंत्री ने डेनमार्क से सवाल किया है कि उसे यह स्पष्ट करना चाहिए कि उसकी विदेश खुफिया सेवा ने करीब सात साल पहले जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल सहित विभिन्न यूरोपीय नेताओं की जासूसी करने में अमेरिका की कथित रूप से मदद क्यों की.

रक्षा मंत्री पीटर हकविस्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि चीजें स्पष्ट हों. उन्होंने कहा कि सहयोगियों की जासूसी अस्वीकार्य है.

वहीं, डेनमार्क सरकार का समर्थन कर रही वामपंथी सोशलिस्ट पीपुल्स पार्टी के सांसद कर्स्टन होन्गे ने सोमवार को कहा कि वह इस मामले के बारे में संसद में देश के रक्षा और न्याय मंत्रियों से सवाल करेंगे.

उन्होंने कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि डेनमार्क अमेरिकी खुफिया सेवा के लिए इच्छुक सहायक के रूप में कैसे काम कर रहा है और डेनमार्क के पड़ोसी देशों के साथ सहयोग के लिए इसका क्या अर्थ होगा.

आंतरिक जांच में हुआ खुलासा
डेनमार्क के प्रसारक डीआर ने रविवार को कहा था कि देश की रक्षा खुफिया सेवा ने 2014 में एक आंतरिक जांच की थी कि क्या अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) ने डेनमार्क और पड़ोसी देशों के खिलाफ जासूसी करने के लिए उसका सहयोग लिया था.

यह भी पढ़ें- अमेरिका-नाटो का मुकाबला करने के लिए 20 नई सैन्य इकाई बनाएगा रूस

जांच के नतीजे में कहा गया कि एनएसए ने जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और नॉर्वे में राजनीतिक दलों के नेताओं और अधिकारियों की जासूसी की थी. डीआर के अनुसार, अमेरिका और डेनमार्क के इस कथित गठजोड़ को 'ऑपरेशन डनहैमर' कूट नाम दिया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

कोपनहेगन : स्वीडन के रक्षा मंत्री ने डेनमार्क से सवाल किया है कि उसे यह स्पष्ट करना चाहिए कि उसकी विदेश खुफिया सेवा ने करीब सात साल पहले जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल सहित विभिन्न यूरोपीय नेताओं की जासूसी करने में अमेरिका की कथित रूप से मदद क्यों की.

रक्षा मंत्री पीटर हकविस्ट ने कहा कि हम चाहते हैं कि चीजें स्पष्ट हों. उन्होंने कहा कि सहयोगियों की जासूसी अस्वीकार्य है.

वहीं, डेनमार्क सरकार का समर्थन कर रही वामपंथी सोशलिस्ट पीपुल्स पार्टी के सांसद कर्स्टन होन्गे ने सोमवार को कहा कि वह इस मामले के बारे में संसद में देश के रक्षा और न्याय मंत्रियों से सवाल करेंगे.

उन्होंने कहा कि सरकार को यह बताना चाहिए कि डेनमार्क अमेरिकी खुफिया सेवा के लिए इच्छुक सहायक के रूप में कैसे काम कर रहा है और डेनमार्क के पड़ोसी देशों के साथ सहयोग के लिए इसका क्या अर्थ होगा.

आंतरिक जांच में हुआ खुलासा
डेनमार्क के प्रसारक डीआर ने रविवार को कहा था कि देश की रक्षा खुफिया सेवा ने 2014 में एक आंतरिक जांच की थी कि क्या अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनएसए) ने डेनमार्क और पड़ोसी देशों के खिलाफ जासूसी करने के लिए उसका सहयोग लिया था.

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जांच के नतीजे में कहा गया कि एनएसए ने जर्मनी, फ्रांस, स्वीडन और नॉर्वे में राजनीतिक दलों के नेताओं और अधिकारियों की जासूसी की थी. डीआर के अनुसार, अमेरिका और डेनमार्क के इस कथित गठजोड़ को 'ऑपरेशन डनहैमर' कूट नाम दिया गया था.

(पीटीआई-भाषा)

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