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ब्रिटेन में हुए शोध से भारत के किसानों को मिलेगी मदद, जानें कैसे

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Published : Oct 22, 2020, 3:06 AM IST

ब्रिटेन के बर्मिंघम विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने भारत के किसानों के लिए एक तकनीक विकसित की है, जिससे भारत के किसानों अब खारे भूजल और खराब पानी का इस्तेमाल फसलों को उपजाने में कर सकेंगे.

खारे पानी का होगा इस्तेमालखारे पानी का होगा इस्तेमालखारे पानी का होगा इस्तेमाल
खारे पानी का होगा इस्तेमाल

लंदन : ब्रिटेन के बर्मिंघम विश्वविद्यालय के जल विशेषज्ञों ने कहा है कि उन्होंने भारत के ग्रामीण कृषक समुदाय के लिए कम ऊर्जा की खपत और अधिक क्षमता वाले जलशोधन का तरीका विकसित किया है, जिससे किसान खारे भूजल और खराब पानी का इस्तेमाल फसलों को उपजाने में कर सकेंगे.

बर्मिंघम के इंडिया H2O परियोजना के वैज्ञानिकों ने गुजरात में काम करते हुए आधुनिक में ब्रेन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया है जिसमें खारे पानी और घरेलू, औद्योगिक खराब जल को सुरक्षित एवं प्रभावी तरीके से पुनर्चक्रित किया जा सकता है.

लोधवा गांव में काम करते हुए वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्होंने एक व्यवस्था विकसित की है जो 80 फीसदी बिना उपयोग वाले भूजल को कम ऊर्जा की खपत में उपयोग के लायक बना सकते हैं. उन्होंने पुष्टि की कि इस इलाके में पानी गुणवत्ता काफी खराब है.

बर्मिंघम विश्वविद्यालय में जल प्रौद्योगिकी के प्रोफेसर फिलीप डेविस ने कहा कि इंडिया H2O गुजरात में खारे भूजल और घरेलू एवं औद्योगिक खराब जल को कम खर्च में शोधन की तकनीक विकसित कर रहा है, जहां भूजल के अत्यधिक दोहन एवं प्रदूषण के कारण स्वच्छ जल मिलना काफी कठिन हो गया है.

उन्होंने कहा कि नये इंजीनियरिंग समाधान के तहत न्यू रिवर्स और फॉरवर्ड ऑसमोसिस मेम्ब्रेन तकनीक का इस्तेमाल करने से ऊर्जा की खपत कम हो जाती है जिससे सौर ऊर्जा के माध्यम से ग्रामीण भारत में ये प्रणाली प्रभावी तरीके से काम करेंगे.

उन्हें भूजल से पेयजल निकालने की क्षमता में 50 फीसदी की बढ़ोतरी करनी चाहिए. उनकी टीम विशेष फसलों को उपजाने के तरीकों को भी विकसित कर रही है.

लंदन : ब्रिटेन के बर्मिंघम विश्वविद्यालय के जल विशेषज्ञों ने कहा है कि उन्होंने भारत के ग्रामीण कृषक समुदाय के लिए कम ऊर्जा की खपत और अधिक क्षमता वाले जलशोधन का तरीका विकसित किया है, जिससे किसान खारे भूजल और खराब पानी का इस्तेमाल फसलों को उपजाने में कर सकेंगे.

बर्मिंघम के इंडिया H2O परियोजना के वैज्ञानिकों ने गुजरात में काम करते हुए आधुनिक में ब्रेन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया है जिसमें खारे पानी और घरेलू, औद्योगिक खराब जल को सुरक्षित एवं प्रभावी तरीके से पुनर्चक्रित किया जा सकता है.

लोधवा गांव में काम करते हुए वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्होंने एक व्यवस्था विकसित की है जो 80 फीसदी बिना उपयोग वाले भूजल को कम ऊर्जा की खपत में उपयोग के लायक बना सकते हैं. उन्होंने पुष्टि की कि इस इलाके में पानी गुणवत्ता काफी खराब है.

बर्मिंघम विश्वविद्यालय में जल प्रौद्योगिकी के प्रोफेसर फिलीप डेविस ने कहा कि इंडिया H2O गुजरात में खारे भूजल और घरेलू एवं औद्योगिक खराब जल को कम खर्च में शोधन की तकनीक विकसित कर रहा है, जहां भूजल के अत्यधिक दोहन एवं प्रदूषण के कारण स्वच्छ जल मिलना काफी कठिन हो गया है.

उन्होंने कहा कि नये इंजीनियरिंग समाधान के तहत न्यू रिवर्स और फॉरवर्ड ऑसमोसिस मेम्ब्रेन तकनीक का इस्तेमाल करने से ऊर्जा की खपत कम हो जाती है जिससे सौर ऊर्जा के माध्यम से ग्रामीण भारत में ये प्रणाली प्रभावी तरीके से काम करेंगे.

उन्हें भूजल से पेयजल निकालने की क्षमता में 50 फीसदी की बढ़ोतरी करनी चाहिए. उनकी टीम विशेष फसलों को उपजाने के तरीकों को भी विकसित कर रही है.

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