रोम : रोम में इस सप्ताहांत होने वाले जी20 (समूह 20) सम्मेलन में सब कुछ सामान्य नहीं रहने वाला है, क्योंकि रूस और चीन के नेता यहां नहीं आ रहे हैं. हालांकि, इटली को इसमें जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर मुख्य रूप से चर्चा होने की उम्मीद है.
कोविड-19 महामारी की शुरूआत होने के बाद से विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों के नेताओं की यह ऐसी पहली बैठक होगी, जिसमें वे वास्तविक रूप से उपस्थित होंगे. इस सम्मेलन के समाप्त होते ही स्कॉटलैंड के ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र का एक बड़ा सम्मेलन होने वाला है.
कोविड-19 के चलते लॉकडाउन लागू होने पर करीब दो साल बाद वैश्विक व्यापार में 75 प्रतिशत और विश्व की आबादी में 60 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले देशों के नेता पहली बार एक समूह के तौर पर बैठक कर रहे हैं.
इटली की मेजबानी वाले सम्मेलन में अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना मुख्य प्राथमिकता है. इटली को उम्मीद है कि वैश्विक नेता नेट जीरो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तक पहुंचने की एक साझा, सदी के मध्य की समय सीमा निर्धारित करेंगे तथा मीथेन के उत्सर्जन को घटाने के उपाय भी तलाशेंगे.
संयुक्त राष्ट्र एवं जलवायु कार्यकर्ता यह भी चाहेंगे कि जी 20देश ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों से निपटने के लिए गरीब देशों की मदद के वास्ते प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर की सहायता उपलब्ध कराने के अपने पुराने वादे को पूरा करेंगे.
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इतालवी समाचार पत्र कोरीयरे देल्ला सेरा के अंतरराष्ट्रीय मामलों के स्तंभकार मासिमो फ्रांको ने कहा कि सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के जी 20 सम्मेलन के लिए यहां नहीं पहुंचने पर यह संदेश जाएगा कि उनकी इसमें रूचि नहीं है.
वहीं, पिछल महीने अमेरिका-ब्रिटेन द्वारा आस्ट्रेलिया को परमाणु ऊर्जा से चालित पनडुब्बी बेचने के सौदे से यूरोप की भू-राजनीति में हलचल पैदा हो गई है. इस सौदे के चलते डीजल चालित पनडुब्बी आस्ट्रेलिया को बेचने का फ्रांस का सौदा अटक गया.
(पीटीआई-भाषा)