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भारत-रूस संबंध विश्व की मौजूदा जटिलताओं से पार पाने में सक्षम : श्रृंगला

भारत और रूस के संबंधों पर चर्चा करते हुए विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि भारत किसी के दबाव में आकर रूस के साथ रिश्ते नहीं बिगाड़ेगा और न ही अमेरिकी दबाव में आकर एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली का करार रद्द करेगा.

हर्षवर्धन श्रृंगला
हर्षवर्धन श्रृंगला
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Published : Feb 19, 2021, 8:34 PM IST

मॉस्को : विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा है कि रूस के साथ भारत के रणनीतिक संबंधों की जड़ें गहरी और ऐतिहासिक हैं जिससे स्थिरता और भरोसा मिलता है और यह मौजूदा दुनिया की जटिलताओं से निकलने में पर्याप्त रूप से सक्षम हैं.

इसके साथ ही उन्होंने उन चिंताओं को दूर करने की कोशिश की कि रूस के साथ सैन्य-तकनीकी सहयोग को छोड़ने के लिए भारत अमेरिका के दबाव में है.

श्रृंगला ने यह टिप्पणी रूसी दैनिक कोमर्सेंट के साथ एक साक्षात्कार में की. उनसे सवाल किया गया था कि क्या भारत अमेरिकी दबाव में आ जाएगा तथा रूस के साथ एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली का करार रद्द कर देगा.

भारत ने अक्टूबर 2018 में एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों की पांच इकाइयां खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब अमेरिकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. हालांकि तत्कालीन ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि इस करार को लेकर अमेरिका प्रतिबंध लगा सकता है.

श्रृंगला ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अमेरिका और रूस के साथ भारत के संबंध अपनी खूबियों पर हैं और सभी प्रमुख शक्तियां भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की परंपरा को पूरी तरह से मान्यता देती हैं.

उन्होंने कहा कि रूस के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी की जड़ें बहुत गहरी और ऐतिहासिक हैं जिससे स्थिरता, भरोसा और विश्वास मिलता है और यह मौजूदा दुनिया की जटिलताओं से पार पाने में पर्याप्त रूप से सक्षम है. अमेरिका के साथ हमारी वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है.

उन्होंने कहा कि मैं विशिष्ट रक्षा सौदों पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि रूस के साथ हुए सभी करार कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ रहे हैं. ये भारत की रक्षा और सुरक्षा आवश्यकताओं और हितों के अनुरूप हैं.

एस-400 रूस की सबसे आधुनिक लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली है.

कुछ संवेदनशील राजनयिक और सुरक्षा मुद्दों पर दोनों देशों के बीच असहजता की अटकलों के बीच पिछले साल भारत-रूस सालाना शिखर सम्मेलन रद्द होने के बारे में पूछे जाने पर श्रृंगला ने कहा, पिछले वर्ष वार्षिक शिखर सम्मेलन नहीं होने का एकमात्र कारण कोविड महामारी थी.

पढ़ें :- एस-400 मिसाइल प्रणाली के परिचालन की ट्रेनिंग के लिए रूस जाएगा भारतीय सैन्य दल

उन्होंने कहा कि हालांकि हमने बहुत उच्च-स्तरीय बातचीत की जिनमें हमारे विदेश मंत्री की एक यात्रा और रक्षा मंत्री की मॉस्को की दो यात्राओं शामिल हैं.

श्रृंगला ने कहा कि वार्षिक शिखर सम्मेलन वर्ष 2000 से भारत-रूस संबंधों की एक अनोखी विशेषता है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2014 से द्विपक्षीय शिखर सम्मेलनों और विभिन्न बहुपक्षीय मंचों के दौरान 19 बार मुलाकात की है.

श्रृंगला ने कहा कि उन्होंने पिछले साल चार बार एक दूसरे के साथ बातचीत की और उन दोनों के बीच अनोखा व्यक्तिगत संबंध है.

उन्होंने कहा कि भारत और रूस ने कोविड महामारी की कठिनाइयों को दूर करने के लिए एक साथ काम किया है और मुझे विश्वास है कि इस साल हमारी प्रस्तावित बैठकों के फलस्वरूप द्विपक्षीय संबंध और भी मजबूत होंगे.

मॉस्को : विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा है कि रूस के साथ भारत के रणनीतिक संबंधों की जड़ें गहरी और ऐतिहासिक हैं जिससे स्थिरता और भरोसा मिलता है और यह मौजूदा दुनिया की जटिलताओं से निकलने में पर्याप्त रूप से सक्षम हैं.

इसके साथ ही उन्होंने उन चिंताओं को दूर करने की कोशिश की कि रूस के साथ सैन्य-तकनीकी सहयोग को छोड़ने के लिए भारत अमेरिका के दबाव में है.

श्रृंगला ने यह टिप्पणी रूसी दैनिक कोमर्सेंट के साथ एक साक्षात्कार में की. उनसे सवाल किया गया था कि क्या भारत अमेरिकी दबाव में आ जाएगा तथा रूस के साथ एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली का करार रद्द कर देगा.

भारत ने अक्टूबर 2018 में एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों की पांच इकाइयां खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब अमेरिकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. हालांकि तत्कालीन ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि इस करार को लेकर अमेरिका प्रतिबंध लगा सकता है.

श्रृंगला ने एक सवाल के जवाब में कहा कि अमेरिका और रूस के साथ भारत के संबंध अपनी खूबियों पर हैं और सभी प्रमुख शक्तियां भारत की स्वतंत्र विदेश नीति की परंपरा को पूरी तरह से मान्यता देती हैं.

उन्होंने कहा कि रूस के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी की जड़ें बहुत गहरी और ऐतिहासिक हैं जिससे स्थिरता, भरोसा और विश्वास मिलता है और यह मौजूदा दुनिया की जटिलताओं से पार पाने में पर्याप्त रूप से सक्षम है. अमेरिका के साथ हमारी वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है.

उन्होंने कहा कि मैं विशिष्ट रक्षा सौदों पर टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि रूस के साथ हुए सभी करार कार्यक्रम के अनुसार आगे बढ़ रहे हैं. ये भारत की रक्षा और सुरक्षा आवश्यकताओं और हितों के अनुरूप हैं.

एस-400 रूस की सबसे आधुनिक लंबी दूरी की जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल रक्षा प्रणाली है.

कुछ संवेदनशील राजनयिक और सुरक्षा मुद्दों पर दोनों देशों के बीच असहजता की अटकलों के बीच पिछले साल भारत-रूस सालाना शिखर सम्मेलन रद्द होने के बारे में पूछे जाने पर श्रृंगला ने कहा, पिछले वर्ष वार्षिक शिखर सम्मेलन नहीं होने का एकमात्र कारण कोविड महामारी थी.

पढ़ें :- एस-400 मिसाइल प्रणाली के परिचालन की ट्रेनिंग के लिए रूस जाएगा भारतीय सैन्य दल

उन्होंने कहा कि हालांकि हमने बहुत उच्च-स्तरीय बातचीत की जिनमें हमारे विदेश मंत्री की एक यात्रा और रक्षा मंत्री की मॉस्को की दो यात्राओं शामिल हैं.

श्रृंगला ने कहा कि वार्षिक शिखर सम्मेलन वर्ष 2000 से भारत-रूस संबंधों की एक अनोखी विशेषता है.

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 2014 से द्विपक्षीय शिखर सम्मेलनों और विभिन्न बहुपक्षीय मंचों के दौरान 19 बार मुलाकात की है.

श्रृंगला ने कहा कि उन्होंने पिछले साल चार बार एक दूसरे के साथ बातचीत की और उन दोनों के बीच अनोखा व्यक्तिगत संबंध है.

उन्होंने कहा कि भारत और रूस ने कोविड महामारी की कठिनाइयों को दूर करने के लिए एक साथ काम किया है और मुझे विश्वास है कि इस साल हमारी प्रस्तावित बैठकों के फलस्वरूप द्विपक्षीय संबंध और भी मजबूत होंगे.

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