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भारत, फ्रांस ने समुद्री अर्थव्यवस्था पर द्विपक्षीय आदान-प्रदान के समझौते पर किए हस्ताक्षर - भारत और फ्रांस के बीच समुद्री अर्थव्यवस्था पर द्विपक्षीय समझौता

विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, भारत और फ्रांस पर्यावरण तथा तटीय एवं समुद्री जैव विविधता का सम्मान करते हुए नीली अर्थव्यवस्था को अपने-अपने समाज की प्रगति का वाहक बनाना चाहते हैं.

समुद्री अर्थव्यवस्था पर भारत और फ्रांस ने किया समझौता
समुद्री अर्थव्यवस्था पर भारत और फ्रांस ने किया समझौता
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Published : Feb 21, 2022, 5:32 PM IST

पेरिस: भारत और फ्रांस ने 'नीली अर्थव्यवस्था' यानी समुद्री अर्थव्यवस्था पर द्विपक्षीय आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए एक रूपरेखा पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच कानून के तहत समुद्र पर एक साझा दृष्टिकोण बनाने तथा सतत एवं मजबूत तटीय और जलमार्ग ढांचे पर सहयोग के लिए भी सहमति बनी है. विदेश मंत्री एस जयशंकर की फ्रांस की तीन दिन की यात्रा के दौरान यह समझौता किया गया. यात्रा की शुरुआत रविवार को फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां येव्स ली द्रां के साथ द्विपक्षीय वार्ता के साथ हुई.

इस रूपरेखा में समुद्री व्यापार, नौवहन उद्योग, मत्स्य पालन, समुद्री प्रौद्योगिकी एवं वैज्ञानिक अनुसंधान, समुद्री पर्यवेक्षण, समुद्री जैव विविधता, समुद्री पारिस्थितिकी आधारित प्रबंधन और एकीकृत तटीय प्रबंधन, समुद्री पर्यावरण अनुकूल पर्यटन, अंतर्देशीय जलमार्ग, सिविल समुद्री मुद्दों पर सक्षम प्राधिकरणों के बीच सहयोग, समुद्री स्थानिक योजना के साथ ही समुद्र की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था तथा इससे संबंधित बहुपक्षीय वार्ताएं शामिल हैं.

विदेश मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा, भारत और फ्रांस पर्यावरण तथा तटीय एवं समुद्री जैव विविधता का सम्मान करते हुए नीली अर्थव्यवस्था को अपने-अपने समाज की प्रगति का वाहक बनाना चाहते हैं. दोनों देशों का उद्देश्य वैज्ञानिक ज्ञान और समुद्री संरक्षण में योगदान देना तथा यह सुनिश्चित करना है कि समुद्र स्वतंत्रता और व्यापार का स्थान बने जो कानून पर आधारित हो.

इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों की अपनी प्राथमिकताओं पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए समुद्री अर्थव्यवस्था और इसके संचालन पर वार्षिक द्विपक्षीय संवाद करने की योजना है.

पीटीआई-भाषा

पेरिस: भारत और फ्रांस ने 'नीली अर्थव्यवस्था' यानी समुद्री अर्थव्यवस्था पर द्विपक्षीय आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए एक रूपरेखा पर हस्ताक्षर किए हैं. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच कानून के तहत समुद्र पर एक साझा दृष्टिकोण बनाने तथा सतत एवं मजबूत तटीय और जलमार्ग ढांचे पर सहयोग के लिए भी सहमति बनी है. विदेश मंत्री एस जयशंकर की फ्रांस की तीन दिन की यात्रा के दौरान यह समझौता किया गया. यात्रा की शुरुआत रविवार को फ्रांस के विदेश मंत्री ज्यां येव्स ली द्रां के साथ द्विपक्षीय वार्ता के साथ हुई.

इस रूपरेखा में समुद्री व्यापार, नौवहन उद्योग, मत्स्य पालन, समुद्री प्रौद्योगिकी एवं वैज्ञानिक अनुसंधान, समुद्री पर्यवेक्षण, समुद्री जैव विविधता, समुद्री पारिस्थितिकी आधारित प्रबंधन और एकीकृत तटीय प्रबंधन, समुद्री पर्यावरण अनुकूल पर्यटन, अंतर्देशीय जलमार्ग, सिविल समुद्री मुद्दों पर सक्षम प्राधिकरणों के बीच सहयोग, समुद्री स्थानिक योजना के साथ ही समुद्र की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था तथा इससे संबंधित बहुपक्षीय वार्ताएं शामिल हैं.

विदेश मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा, भारत और फ्रांस पर्यावरण तथा तटीय एवं समुद्री जैव विविधता का सम्मान करते हुए नीली अर्थव्यवस्था को अपने-अपने समाज की प्रगति का वाहक बनाना चाहते हैं. दोनों देशों का उद्देश्य वैज्ञानिक ज्ञान और समुद्री संरक्षण में योगदान देना तथा यह सुनिश्चित करना है कि समुद्र स्वतंत्रता और व्यापार का स्थान बने जो कानून पर आधारित हो.

इसमें कहा गया है कि दोनों पक्षों की अपनी प्राथमिकताओं पर विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए समुद्री अर्थव्यवस्था और इसके संचालन पर वार्षिक द्विपक्षीय संवाद करने की योजना है.

पीटीआई-भाषा

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