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सीसे युक्त पेट्रोल के दिन गए लेकिन सीसे का प्रदूषण लंबे वक्त तक रह सकता है

बच्चों में सीसे के जहर का अध्ययन कर रहे एक वैज्ञानिक ने एक बार कहा था कि पेट्रोल में सीसा डालने में दो साल लगते हैं और इसे निकालने में 60 साल. हालांकि अब यह कहा जा रहा है कि सीसा युक्त पेट्रोल के दिन लदने वाले हैं. पढ़ें यह विशेष रिपोर्ट.

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Published : Sep 4, 2021, 5:01 PM IST

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लीसेस्टर (ब्रिटेन) : सीसे वाले ईंधन के मानव स्वास्थ्य के लिए अस्वीकार्य खतरा होने पर आम सहमति मुश्किल से बनी और इसके लिए वैज्ञानिकों, नियामक प्राधिकारियों तथा उद्योग के बीच लंबी लड़ाई चली. हाल में आई अच्छी खबरों में ऐसा लगता है कि दुनिया ने ईंधन में इस जहरीले रसायन के इस्तेमाल पर अपना रुख बदला है.

ईंधन में सीसे का इस्तेमाल 1920 से किया जा रहा है जब इंजन कंप्रेशन को बढ़ाने के लिए पेट्रोल में टेट्राइथाइल सीसा मिलाया गया. 1970 से लेकर इस सदी के अंत तक ऐसा अनुमान है कि ब्रिटेन में वाहनों के पीछे बेकार गैस छोड़ने के लिए लगे पाइपों से वातावरण में करीब 140,000 टन सीसा छोड़ा गया.

1999 के बाद से ईंधन में सीसे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया. सीसे का इस्तेमाल बंद करना कम आय वर्ग वाले देशों खासतौर से अल्जीरिया में ज्यादा मुश्किल साबित हुआ.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जुलाई 2021 तक दुनिया को आधिकारिक रूप से सीसे वाले ईंधन से मुक्त घोषित कर दिया गया. ब्रिटेन में इस सदी में सीसे वाले पेट्रोल से भरे पेट्रोल पम्प नहीं देखे गए लेकिन सीसे से होने वाला प्रदूषण अब भी एक समस्या बना हुआ है.

हाल के एक अध्ययन में देखा गया कि वाहनों के पीछे लगे पाइपों से सीसे वाले पेट्रोल का धुआं निकलने पर प्रतिबंध के करीब दो दशकों बाद 2014 और 2018 के बीच लंदन में एकत्रित धूल के नमूनों में सीसे की मात्रा पाई गई. अध्ययन में पाया गया सीसा सड़क किनारे या छत पर पड़े धूल के कणों में मिला. सड़क की धूल और ऊपरी मिट्टी से मिलान किए गए रासायनिक फिंगरप्रिंट से यह सुझाव मिलता है कि प्रदूषित मिट्टी 20 साल पुराने सीसे के प्रदूषण के लिए जलाशय के तौर पर काम कर रही है.

सीसे से होने वाला प्रदूषण कैसे हमारे स्वास्थ्य पर असर डालता है? सीसा समय के साथ पर्यावरण में नहीं मिलता या गायब नहीं होता. यह वर्षों तक मिट्टी में रह सकता है जहां से यह वापस वातावरण में प्रवेश कर सकता है.

यह गौर करने वाली बात है कि 1960 में 1000 से अधिक के औसत की तुलना में आज वायुजनित सघनता 10 नैनोग्राम प्रति घन मीटर से कम है. लेकिन इस बात के मजबूत क्लिनिकल साक्ष्य है कि सीसे के कम संपर्क में आने से भी बच्चों में मस्तिष्क और तंत्रिका प्रणाली का विकास बाधित हो सकता है. बच्चों में सीसे के सुरक्षित स्तर की पहचान नहीं की गई है और हवा महज एक स्रोत है और सीसा पुराने पाइपों, खिलौनों और पेंट्स में रह सकता है.

सीसे वाले ईंधन के सफलतापूर्वक उन्मूलन को नीतिगत जीत के तौर पर देखा जा सकता है. खासतौर से बच्चों के स्वास्थ्य को इससे बड़ा फायदा मिलेगा. कई अमेरिकी शहरों में अध्ययन से मिट्टी में अवशिष्ट सीसे के प्रदूषण और बच्चों के रक्त के नमूनों में जहरीले रसायनों की मौजूदगी के बीच संबंध की पुष्टि हुई.

यह भी पढ़ें-भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाएगा तालिबान: विदेश सचिव

जलवायु परिवर्तन पर तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता के साथ ही सीसे वाले ईंधन की कहानी एक स्थायी पहेली को उजागर करती है. विकास के लिए कीमत के तौर पर कितना प्रदूषण सहा जा सकता है?

(पीटीआई-भाषा)

लीसेस्टर (ब्रिटेन) : सीसे वाले ईंधन के मानव स्वास्थ्य के लिए अस्वीकार्य खतरा होने पर आम सहमति मुश्किल से बनी और इसके लिए वैज्ञानिकों, नियामक प्राधिकारियों तथा उद्योग के बीच लंबी लड़ाई चली. हाल में आई अच्छी खबरों में ऐसा लगता है कि दुनिया ने ईंधन में इस जहरीले रसायन के इस्तेमाल पर अपना रुख बदला है.

ईंधन में सीसे का इस्तेमाल 1920 से किया जा रहा है जब इंजन कंप्रेशन को बढ़ाने के लिए पेट्रोल में टेट्राइथाइल सीसा मिलाया गया. 1970 से लेकर इस सदी के अंत तक ऐसा अनुमान है कि ब्रिटेन में वाहनों के पीछे बेकार गैस छोड़ने के लिए लगे पाइपों से वातावरण में करीब 140,000 टन सीसा छोड़ा गया.

1999 के बाद से ईंधन में सीसे के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया. सीसे का इस्तेमाल बंद करना कम आय वर्ग वाले देशों खासतौर से अल्जीरिया में ज्यादा मुश्किल साबित हुआ.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जुलाई 2021 तक दुनिया को आधिकारिक रूप से सीसे वाले ईंधन से मुक्त घोषित कर दिया गया. ब्रिटेन में इस सदी में सीसे वाले पेट्रोल से भरे पेट्रोल पम्प नहीं देखे गए लेकिन सीसे से होने वाला प्रदूषण अब भी एक समस्या बना हुआ है.

हाल के एक अध्ययन में देखा गया कि वाहनों के पीछे लगे पाइपों से सीसे वाले पेट्रोल का धुआं निकलने पर प्रतिबंध के करीब दो दशकों बाद 2014 और 2018 के बीच लंदन में एकत्रित धूल के नमूनों में सीसे की मात्रा पाई गई. अध्ययन में पाया गया सीसा सड़क किनारे या छत पर पड़े धूल के कणों में मिला. सड़क की धूल और ऊपरी मिट्टी से मिलान किए गए रासायनिक फिंगरप्रिंट से यह सुझाव मिलता है कि प्रदूषित मिट्टी 20 साल पुराने सीसे के प्रदूषण के लिए जलाशय के तौर पर काम कर रही है.

सीसे से होने वाला प्रदूषण कैसे हमारे स्वास्थ्य पर असर डालता है? सीसा समय के साथ पर्यावरण में नहीं मिलता या गायब नहीं होता. यह वर्षों तक मिट्टी में रह सकता है जहां से यह वापस वातावरण में प्रवेश कर सकता है.

यह गौर करने वाली बात है कि 1960 में 1000 से अधिक के औसत की तुलना में आज वायुजनित सघनता 10 नैनोग्राम प्रति घन मीटर से कम है. लेकिन इस बात के मजबूत क्लिनिकल साक्ष्य है कि सीसे के कम संपर्क में आने से भी बच्चों में मस्तिष्क और तंत्रिका प्रणाली का विकास बाधित हो सकता है. बच्चों में सीसे के सुरक्षित स्तर की पहचान नहीं की गई है और हवा महज एक स्रोत है और सीसा पुराने पाइपों, खिलौनों और पेंट्स में रह सकता है.

सीसे वाले ईंधन के सफलतापूर्वक उन्मूलन को नीतिगत जीत के तौर पर देखा जा सकता है. खासतौर से बच्चों के स्वास्थ्य को इससे बड़ा फायदा मिलेगा. कई अमेरिकी शहरों में अध्ययन से मिट्टी में अवशिष्ट सीसे के प्रदूषण और बच्चों के रक्त के नमूनों में जहरीले रसायनों की मौजूदगी के बीच संबंध की पुष्टि हुई.

यह भी पढ़ें-भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाएगा तालिबान: विदेश सचिव

जलवायु परिवर्तन पर तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता के साथ ही सीसे वाले ईंधन की कहानी एक स्थायी पहेली को उजागर करती है. विकास के लिए कीमत के तौर पर कितना प्रदूषण सहा जा सकता है?

(पीटीआई-भाषा)

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