बर्लिन : ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर 2015 के समझौते को कायम रखने के पक्षधर देश बाइडन प्रशासन के तहत अमेरिका को इस करार में लौटने की संभावना सकारात्मक ढंग से तलाशने को लेकर सोमवार को सहमत हुए. जर्मनी के विदेश मंत्री ने ईरान से इस आखिरी मौके को व्यर्थ नहीं जाने देने की अपील की. सोमवार को इस समझौते से जुड़े देशों की बैठक हुई. यह सालभर बाद विदेश मंत्री स्तर की पहली बैठक है.
ईरान करता रहा है इनकार
इस संधि को उससे जुड़े अन्य देश अमेरिका के एकतरफा ढंग से हटने के बाद उसे बचाने की जुगत में लगे हैं. इस पर ईरान और अमेरिका के अलावा जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, चीन और रूस ने हस्ताक्षर किए थे. तीन यूरोपीय शक्तियों ने आशा जताई कि प्रशासन बदलने के बाद अमेरिका को अब इस करार पर वापस लाया जा सकता है, जिसका लक्ष्य ईरान को परमाणु बम बनाने से रोकना है. वैसे ईरान परमाणु बम बनाने से इनकार करता रहा है.
ईरान कर रहा उल्लंघन
नवनिर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि उन्हें अमेरिका के इस करार पर वापस आने की आस है. उनके ही उप राष्ट्रपति रहने के दौरान यह करार हुआ था. ईरान अब इस संधि में लगाई गई पाबंदियों के उल्लंघन में जुटा है. उस पर आरोप है कि वह अनुमति से अधिक संवर्धित यूरेनियम का भंडारण कर रहा है और इजाजत से अधिक संवर्धन कर रहा है.