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कोरोना महामारी के बीच एंटीबॉडी टेस्ट होगी बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि

कोरोना वायरस के कारण दुनियाभर में लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है. इससे समान्य जनजीवन के साथ साथ अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह प्रभावित है. इस वायरस के प्रसार को रोकने के साथ-साथ इसके प्रति मानव शरीर की प्रतिरक्षा का पता लगाने की कोशिशें तेज हो गई हैं.

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Published : Apr 5, 2020, 7:22 PM IST

antibody testing
प्रतीकात्मक फोटो

हैदराबाद : दुनियाभर में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 11 लाख के पार हो गई है और यह लगातार बढ़ रही है. इस महामारी के बीच ऐसे टेस्ट को विकसित करने और उसके अनुमोदित कराने के लिए होड़ तेज हो गई है, जो कोविड-19 के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाएगा.

रिपोर्टों के मुताबिक मेडिकल डायग्नोस्टिक कंपनियों ने इसमें पूरी ताकत झोंक दी है और दुनियाभर में सराकरें लाखों की संख्या में इस एंटीबॉडी टेस्ट को ऑर्डर करने की ताक में बैठी हैं.

यूरोप की कंपनी Euroimmun को हाल ही में यूरोपीय संघ के भीतर एंटीबॉडी टेस्ट किट को बचने का प्रमाणपत्र मिला है. Euroimmun के कोंस्टाजे स्तिबा ने बताया कि लोगों के बीच इस समय एंटीबॉडी का पता लगाने के लेकर होड़ मची हुई है. स्वास्थ्य कर्मियों के लिए यह पता करना जरूरी है कि उनके शरीर में वायरस पहले से है या नहीं.

उन्होंने आगे कहा कि स्वास्थ्य विभाग पर पहले से ही दबाव है, ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों के बीमार पड़ने से यह दबाव और बढ़ जाता है. अगर कोई टेस्ट यह पता लगा सकता कि किसी के शरीर में पहले से ही कोविड-19 है और उनके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस से लड़ सकती है तो वह संक्रमण के डर के बिना काम पर वापस आ सकते हैं.

शोध में कहा गया है कि एंटीबॉडी टेस्ट के कई फायदे हैं. इस टेस्ट से यह सिद्ध हो सकता है कि टीके सही काम कर रहे हैं. इसका इस्तेमाल संक्रमितों का पता लगाने में हो सकता है. इसका सबसे महत्वपूर्ण इस्तेमाल यह पता लगाने में हो सकता है कि ऐसे कितने लोग संक्रमित हैं, जिनमें कोई लक्षण नहीं देखे गए हैं.

पांच में से चार संक्रमितों में नहीं होते कोरोना के लक्षण : रिपोर्ट

कोविड-19 का पता लगाने के लिए पीसीआर टेस्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है. पीसीआर प्राइमर की उपल्बधता को लेकर वैश्विक चुनौतियां हैं. इनमें से एक चुनौती यह भी है कि पीसीआर प्राइमर की गुणवत्ता बनी रहे.

हैदराबाद : दुनियाभर में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 11 लाख के पार हो गई है और यह लगातार बढ़ रही है. इस महामारी के बीच ऐसे टेस्ट को विकसित करने और उसके अनुमोदित कराने के लिए होड़ तेज हो गई है, जो कोविड-19 के प्रति प्रतिरोधक क्षमता का पता लगाएगा.

रिपोर्टों के मुताबिक मेडिकल डायग्नोस्टिक कंपनियों ने इसमें पूरी ताकत झोंक दी है और दुनियाभर में सराकरें लाखों की संख्या में इस एंटीबॉडी टेस्ट को ऑर्डर करने की ताक में बैठी हैं.

यूरोप की कंपनी Euroimmun को हाल ही में यूरोपीय संघ के भीतर एंटीबॉडी टेस्ट किट को बचने का प्रमाणपत्र मिला है. Euroimmun के कोंस्टाजे स्तिबा ने बताया कि लोगों के बीच इस समय एंटीबॉडी का पता लगाने के लेकर होड़ मची हुई है. स्वास्थ्य कर्मियों के लिए यह पता करना जरूरी है कि उनके शरीर में वायरस पहले से है या नहीं.

उन्होंने आगे कहा कि स्वास्थ्य विभाग पर पहले से ही दबाव है, ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों के बीमार पड़ने से यह दबाव और बढ़ जाता है. अगर कोई टेस्ट यह पता लगा सकता कि किसी के शरीर में पहले से ही कोविड-19 है और उनके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस से लड़ सकती है तो वह संक्रमण के डर के बिना काम पर वापस आ सकते हैं.

शोध में कहा गया है कि एंटीबॉडी टेस्ट के कई फायदे हैं. इस टेस्ट से यह सिद्ध हो सकता है कि टीके सही काम कर रहे हैं. इसका इस्तेमाल संक्रमितों का पता लगाने में हो सकता है. इसका सबसे महत्वपूर्ण इस्तेमाल यह पता लगाने में हो सकता है कि ऐसे कितने लोग संक्रमित हैं, जिनमें कोई लक्षण नहीं देखे गए हैं.

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कोविड-19 का पता लगाने के लिए पीसीआर टेस्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है. पीसीआर प्राइमर की उपल्बधता को लेकर वैश्विक चुनौतियां हैं. इनमें से एक चुनौती यह भी है कि पीसीआर प्राइमर की गुणवत्ता बनी रहे.

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