कोपेनहेगन : विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने कहा कि डेनमार्क अपनी क्षमता, अनुभवों और सर्वश्रेष्ठ तौर-तरीकों के कारण हरियाली को बढ़ाने के भारत के प्रयासों में उसका बेहद अनूठा साझेदार है और उसके अनुभव, विकास के इस चरण में भारत जैसे देश के लिए बहुत मददगार हैं.
द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने तथा यूरोपीय संघ (The European Union) के साथ भारत के सहयोग को और मजबूत करने के लिए तीन यूरोपीय देशों- स्लोवेनिया, क्रोएशिया और डेनमार्क के अपने दौरे के अंतिम चरण में जयशंकर डेनमार्क पहुंचे. शनिवार को उन्होंने डेनमार्क के अपने समकक्ष जेप्पे कोफोड के साथ भारत-डेनमार्क संयुक्त आयोग बैठक (जेसीएम) के चौथे दौर की सह-अध्यक्षता की.
जेसीएम बैठक के बाद जारी वक्तव्य में विदेश मंत्री ने कहा कि डेनमार्क और भारत के संबंधों में अनूठी बात यह है कि डेनमार्क ही इकलौता ऐसा देश है जिसकी भारत के साथ हरित रणनीति साझेदारी है.
जयशंकर ने कहा कि हर कोई कहता है बेहतर पुनर्निर्माण हो, लेकिन हम चाहते हैं कि पुनर्निर्माण हरित भी हो और हरित पुनर्निर्माण के लिए हमारा यह मानना है कि डेनमार्क बहुत, बहुत ही खास साझेदार है क्योंकि आपके पास क्षमता है, अनुभव है और सर्वश्रेष्ठ तौर-तरीके हैं जो भारत जैसे देश के लिए विकास के इस चरण में अत्यंत सहायक हैं.
विदेश मंत्रालय (foreign Ministry) की ओर से नई दिल्ली में जारी एक विज्ञप्ति में बताया गया कि यह जयशंकर की डेनमार्क की पहली यात्रा है और बीते 20 साल में किसी भारतीय विदेश मंत्री की भी इस देश की पहली यात्रा है.
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विदेश मंत्री ने कहा कि दोनों देशों ने संयुक्त आयोग में विचार-विमर्श किया जिसने अगले पांच वर्षों के लिए संयुक्त कार्य योजना तैयार की है. उन्होंने बीते डेढ़ वर्ष के दौरान यात्रा संबंधी समस्याओं को दूर करने के लिए काम करने वाले दोनों ओर के अधिकारियों की सराहना करते हुए कहा कि हमने देखा कि कोविड के दौर में किस तरह संयुक्त कार्य योजना का क्रियान्वयन हुआ.
उन्होंने बताया कि हमारे संयुक्त आयोग में 10 कार्य समूह हैं और हमने अभी अभी स्वास्थ्य विषय पर 11वां कार्य समूह जोड़ा है. कोविड के संदर्भ में इसकी प्रासंगिकता स्पष्ट है. द्विपक्षीय कारोबारी संबंधों को बढ़ाने के विषय पर जयशंकर ने कहा कि उन्होंने अत्यंत महत्वपूर्ण उद्यमों के पांच मुख्य कार्यपालन अधिकारियों से मुलाकात की, वे व्यवसाय जो भारत में अहम हैं, जो बड़ा बदलाव ला सकते हैं.
विदेश मंत्री ने बताया कि डेनमार्क की 200 कंपनियां (200 companies in Denmark) भारत में काम कर रही हैं. आज यहां भी भारतीय कंपनियों (Indian companies) की संख्या बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि कोविड संबंधी हालात, कैसे दोनों देश इससे निबटे, क्या सीख मिली और यात्रा तथा आवाजाही के विषय में क्या चुनौतियां पेश आईं, इस बारे में भी चर्चा हुई.
(पीटीआई-भाषा)