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क्या कोरोना का टीका मुंह या नाक के जरिए हो सकता है कारगर

कोरोना के टीके को लेकर वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं कि क्या कोरोना का टीका मुंह या नाक के जरिए कारगर हो सकता है. परीक्षण में शामिल 30 लोगों पर प्रयोग कर यह देखा जाएगा कि इन टीकों की बूंदों को मुंह में डालने से ये टीके बेहतर काम करेंगे या नहीं.

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Published : Sep 14, 2020, 10:32 PM IST

कोरोना का टीका
कोरोना का टीका

लंदन : ब्रिटिश वैज्ञानिक यह देखने के लिए एक छोटा अध्ययन कर रहे हैं कि कोविड-19 के दो प्रायोगिक टीके क्या इंजेक्शन की जगह मुंह अथवा नाक के जरिए दिए जाने पर बेहतर काम कर सकते हैं.

इंपीरियल कॉलेज लंदन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने एक बयान में कहा कि परीक्षण में शामिल 30 लोगों पर प्रयोग कर यह देखा जाएगा कि इन टीकों की बूंदों को मुंह में डालने से ये टीके बेहतर काम करेंगे या नहीं क्योंकि इस तरह ये टीके इन लोगों के श्वसन तंत्र को सीधे प्रभावित करेंगे.

संबंधित दोनों टीके इंपीरियल कॉलेज लंदन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा ही विकसित किए गए हैं.

यह भी पढ़ें- कोरोना की वैक्सीन पहले किसे देनी है, जानिए कैसे होगा तय

दोनों संस्थानों का व्यापक अध्ययन पहले से ही जारी है, लेकिन छोटा अध्ययन यह देखने के लिए है कि टीकों को इंजेक्शन के जरिए शरीर में पहुंचाने की जगह क्या दवा को मुंह अथवा नाक में डालकर सीधे श्वसन तंत्र को प्रभावित कर बेहतर असर हो सकता है.

इंपीरियल कॉलेज के डॉक्टर क्रिस चिऊ ने कहा कि हमारे पास साक्ष्य हैं कि इन्फ्लुएंजा टीके की दवा को नाक के जरिए दे कर फ्लू से लोगों की रक्षा की जा सकती है और बीमारी के प्रसार को रोकने में भी मदद मिल सकती है.

उन्होंने कहा कि अध्ययन यह देखने के लिए किया जा रहा है कि क्या ऐसा कोविड-19 के मामले में भी हो सकता है.

लंदन : ब्रिटिश वैज्ञानिक यह देखने के लिए एक छोटा अध्ययन कर रहे हैं कि कोविड-19 के दो प्रायोगिक टीके क्या इंजेक्शन की जगह मुंह अथवा नाक के जरिए दिए जाने पर बेहतर काम कर सकते हैं.

इंपीरियल कॉलेज लंदन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने एक बयान में कहा कि परीक्षण में शामिल 30 लोगों पर प्रयोग कर यह देखा जाएगा कि इन टीकों की बूंदों को मुंह में डालने से ये टीके बेहतर काम करेंगे या नहीं क्योंकि इस तरह ये टीके इन लोगों के श्वसन तंत्र को सीधे प्रभावित करेंगे.

संबंधित दोनों टीके इंपीरियल कॉलेज लंदन और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा ही विकसित किए गए हैं.

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दोनों संस्थानों का व्यापक अध्ययन पहले से ही जारी है, लेकिन छोटा अध्ययन यह देखने के लिए है कि टीकों को इंजेक्शन के जरिए शरीर में पहुंचाने की जगह क्या दवा को मुंह अथवा नाक में डालकर सीधे श्वसन तंत्र को प्रभावित कर बेहतर असर हो सकता है.

इंपीरियल कॉलेज के डॉक्टर क्रिस चिऊ ने कहा कि हमारे पास साक्ष्य हैं कि इन्फ्लुएंजा टीके की दवा को नाक के जरिए दे कर फ्लू से लोगों की रक्षा की जा सकती है और बीमारी के प्रसार को रोकने में भी मदद मिल सकती है.

उन्होंने कहा कि अध्ययन यह देखने के लिए किया जा रहा है कि क्या ऐसा कोविड-19 के मामले में भी हो सकता है.

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