ETV Bharat / international

ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिकों का दावा- सितंबर तक कोरोना वायरस की वैक्सीन हो जाएगी तैयार - vaccine for covid19

कोरोना वायरस से निबटने के लिए वैक्सीन बनाने का प्रयास लगातार जारी है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि सितंबर के महीने तक वे इसका टीका बनाने में सफल हो जाएंगे. इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि संभावित कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने में डेढ़ साल तक का समय लग सकता है.

कोरोना वैक्सीन
कोरोना वैक्सीन
author img

By

Published : Apr 19, 2020, 1:20 PM IST

Updated : Apr 28, 2020, 12:56 PM IST

लंदन : कोरोना वायरस से निबटने के लिए वैक्सीन बनाने का प्रयास लगातार जारी है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि सितंबर के महीने तक वे इसका टीका बनाने में सफल हो जाएंगे. इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि संभावित कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने में डेढ़ साल तक का समय लग सकता है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वैक्सीन डेवलपमेंट प्रोग्राम की मुख्य अनुसंधानकर्ता प्रो. सारा गिल्बर्ट ने बताया कि उन्हें और उनकी टीम को भरोसा था कि सीएचएडीओएक्सवन (ChAdOX1) वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ कारगर हो सकता है. उनके अनुसार सितंबर तक वे करीब 10 लाख वैक्सीन उपलब्ध करा पाएंगे.

एक अंग्रेजी वेबसाइट में छपी खबर के मुताबिक सीएचएडीओएक्सवन दुनिया की चौथी कोविड-19 वैक्सीन है, जो क्लिनिकल ट्रायल के दौर से गुजर रही है. अन्य तीन वैक्सीन के मुकाबले सीएचएडीओएक्सवन को बहुत कम समय में अधिक संख्या में बनाया जा सकता है. इनमें से दो अमेरिका और एक चीन द्वारा प्रस्तावित की गई है. लेकिन एक से डेढ़ साल के बाद ही इसे उपयुक्त मात्रा में बाजार में लाया जा सकता है.

मीडिया रिपोर्ट में गिल्बर्ट के हवाले से कहा गया है कि उनकी टीम एक अज्ञात बीमारी (एक्स) पर काम कर रही थी, जो भविष्य में एक महामारी का कारण बनने वाली थी और इसके लिए हमें योजना बनाने की जरूरत थी.

गिलबर्ट की टीम में काम करने वाली एक सीनियर डॉक्टर से ईटीवी भारत की विशेष बातचीत

गिल्बर्ट ने बताया कि अलग-अलग बीमारियों के खिलाफ सीएचएडीओएक्सवन तकनीक का उपयोग कर 12 क्लिनिकल ट्रायल किए गए हैं. इसकी एक खुराक के अच्छे परिणाम आए हैं. जबकि अन्य वैक्सीन तकनीक जैसे आरएनए और डीएनए को दो या दो से अधिक खुराक की आवश्यकता होती है.

पढ़ें : कोरोना : वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया जटिल, करना होगा एक साल इंतजार

ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिक वैक्सीन के काम करने को लेकर इतने आश्वस्त हैं कि क्लिनिकल परीक्षण का दौर शुरू होने से पहले ही वे इसका उत्पादन शुरू कर चुके हैं. प्रोफेसर एड्रियन हिल ने कहा कि टीम ने बड़े पैमाने पर उत्पादन जल्दी शुरू कर दिया है. उनका कहना है, 'हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते हैं कि ट्रायल सफल हो जाए और हमारे पास बड़ी संख्या में टीके मौजूद ना हों.'

हिल ने कहा, 'हमने इस वैक्सीन का निर्माण छोटे स्तर पर नहीं, बल्कि दुनियाभर में सात स्थानों पर सात निर्माताओं के नेटवर्क के साथ शुरू किया है.'

तीसरे चरण का परीक्षण 510 स्वयंसेवकों के साथ शुरू होगा. इसमें 5,000 स्वयंसेवकों के शामिल होने की उम्मीद है. गिल्बर्ट ने बताया, 'मैंने इस तकनीक पर बहुत काम किया है और मैंने एसईआरएस के वैक्सीन ट्रेल्स पर भी काम किया है.'

गिल्बर्ट की टीम को यूके के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च और यूके रिसर्च एंड इनोवेशन से 22 लाख पाउंड का अनुदान दिया है, ताकि वह अपने काम को बढ़ा सकें.

लंदन : कोरोना वायरस से निबटने के लिए वैक्सीन बनाने का प्रयास लगातार जारी है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि सितंबर के महीने तक वे इसका टीका बनाने में सफल हो जाएंगे. इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा था कि संभावित कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने में डेढ़ साल तक का समय लग सकता है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वैक्सीन डेवलपमेंट प्रोग्राम की मुख्य अनुसंधानकर्ता प्रो. सारा गिल्बर्ट ने बताया कि उन्हें और उनकी टीम को भरोसा था कि सीएचएडीओएक्सवन (ChAdOX1) वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ कारगर हो सकता है. उनके अनुसार सितंबर तक वे करीब 10 लाख वैक्सीन उपलब्ध करा पाएंगे.

एक अंग्रेजी वेबसाइट में छपी खबर के मुताबिक सीएचएडीओएक्सवन दुनिया की चौथी कोविड-19 वैक्सीन है, जो क्लिनिकल ट्रायल के दौर से गुजर रही है. अन्य तीन वैक्सीन के मुकाबले सीएचएडीओएक्सवन को बहुत कम समय में अधिक संख्या में बनाया जा सकता है. इनमें से दो अमेरिका और एक चीन द्वारा प्रस्तावित की गई है. लेकिन एक से डेढ़ साल के बाद ही इसे उपयुक्त मात्रा में बाजार में लाया जा सकता है.

मीडिया रिपोर्ट में गिल्बर्ट के हवाले से कहा गया है कि उनकी टीम एक अज्ञात बीमारी (एक्स) पर काम कर रही थी, जो भविष्य में एक महामारी का कारण बनने वाली थी और इसके लिए हमें योजना बनाने की जरूरत थी.

गिलबर्ट की टीम में काम करने वाली एक सीनियर डॉक्टर से ईटीवी भारत की विशेष बातचीत

गिल्बर्ट ने बताया कि अलग-अलग बीमारियों के खिलाफ सीएचएडीओएक्सवन तकनीक का उपयोग कर 12 क्लिनिकल ट्रायल किए गए हैं. इसकी एक खुराक के अच्छे परिणाम आए हैं. जबकि अन्य वैक्सीन तकनीक जैसे आरएनए और डीएनए को दो या दो से अधिक खुराक की आवश्यकता होती है.

पढ़ें : कोरोना : वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया जटिल, करना होगा एक साल इंतजार

ऑक्सफोर्ड के वैज्ञानिक वैक्सीन के काम करने को लेकर इतने आश्वस्त हैं कि क्लिनिकल परीक्षण का दौर शुरू होने से पहले ही वे इसका उत्पादन शुरू कर चुके हैं. प्रोफेसर एड्रियन हिल ने कहा कि टीम ने बड़े पैमाने पर उत्पादन जल्दी शुरू कर दिया है. उनका कहना है, 'हम ऐसी स्थिति नहीं चाहते हैं कि ट्रायल सफल हो जाए और हमारे पास बड़ी संख्या में टीके मौजूद ना हों.'

हिल ने कहा, 'हमने इस वैक्सीन का निर्माण छोटे स्तर पर नहीं, बल्कि दुनियाभर में सात स्थानों पर सात निर्माताओं के नेटवर्क के साथ शुरू किया है.'

तीसरे चरण का परीक्षण 510 स्वयंसेवकों के साथ शुरू होगा. इसमें 5,000 स्वयंसेवकों के शामिल होने की उम्मीद है. गिल्बर्ट ने बताया, 'मैंने इस तकनीक पर बहुत काम किया है और मैंने एसईआरएस के वैक्सीन ट्रेल्स पर भी काम किया है.'

गिल्बर्ट की टीम को यूके के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च और यूके रिसर्च एंड इनोवेशन से 22 लाख पाउंड का अनुदान दिया है, ताकि वह अपने काम को बढ़ा सकें.

Last Updated : Apr 28, 2020, 12:56 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.