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लिथुआनिया ने चीन से अपने राजदूत को बुलाया

यूरोपीय देश लिथुआनिया ने चीन में अपने राजदूत को वापस बुला लिया है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि राजदूत डियाना मिकएविसिएन (Ambassador Diana Mickeviciene) को 'चीन सरकार के 10 अगस्त के बयान के बाद' विचार-विमर्श के लिये बीजिंग से बुलाया लिया गया है.'

लिथुआनिया ने चीन से अपने राजदूत को बुलाया
लिथुआनिया ने चीन से अपने राजदूत को बुलाया
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Published : Sep 3, 2021, 10:15 PM IST

विलनियस : लिथुआनिया ने ताइवान को राजधानी विलिनियस में अपने नाम से कार्यालय खोलने की अनुमति देने के बाद शुक्रवार को चीन से अपने राजदूत को बुला लिया. ताइवान और लिथुआनिया ने जुलाई में कार्यालय खोलने पर सहमति जतायी थी. इस कार्यालय का नाम चीनी ताइपे के बजाय ताइवान के नाम पर होगा. चीन को नाराज नहीं करने के लिये कई देशों में ताइवान को चीनी ताइपे कहा जाता है.

पिछले महीने चीन ने लिथुआनिया से अपने राजदूत को वापस बुलाकर बाल्टिक देश से 'उसके गलत निर्णय को सुधारने व इससे हुए नुकसान की भरपाई के लिये कदम उठाने और फिर कभी गलत मार्ग पर नहीं चलने के लिये कहा था.'

बयान में लिथुआनिया से कहा गया था कि यदि उसने कार्यालय खोलने की अनुमति दी तो उसे इसका अंजाम भुगतना पड़ सकता है. हालांकि इसके अलावा चीन ने और कोई जानकारी नहीं दी थी.

लिथुआनिया के विदेश मंत्रालय ने चीन के कदम पर खेद व्यक्त करते हुए जोर देकर कहा कि वह 'एक चीन' के सिद्धांत का सम्मान करता है, लेकिन वह ताइवान के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंध विकसित करने के लिए तैयार है, जैसे कि अन्य कई देश कर चुके हैं.

यह भी पढ़ें- तालिबान से जुड़ना चाहता है ब्रिटेन, नहीं देगा सरकार को मान्यता : विदेश सचिव रॉब

चीन का कहना है कि ताइवान उसका हिस्सा है और उसके पास राजनयिक पहचान नहीं है. हालांकि फिर भी ताइवान व्यापार कार्यालयों के जरिये अमेरिका और जापान समेत सभी प्रमुख देशों से अनौपचारिक संबंध रखता है. इन कार्यालयों को वास्तव में उसका दूतावास माना जाता है. चीन के दबाव के चलते ताइवान के केवल 15 देशों के साथ ही राजनयिक संबंध हैं.

(पीटीआई-भाषा)

विलनियस : लिथुआनिया ने ताइवान को राजधानी विलिनियस में अपने नाम से कार्यालय खोलने की अनुमति देने के बाद शुक्रवार को चीन से अपने राजदूत को बुला लिया. ताइवान और लिथुआनिया ने जुलाई में कार्यालय खोलने पर सहमति जतायी थी. इस कार्यालय का नाम चीनी ताइपे के बजाय ताइवान के नाम पर होगा. चीन को नाराज नहीं करने के लिये कई देशों में ताइवान को चीनी ताइपे कहा जाता है.

पिछले महीने चीन ने लिथुआनिया से अपने राजदूत को वापस बुलाकर बाल्टिक देश से 'उसके गलत निर्णय को सुधारने व इससे हुए नुकसान की भरपाई के लिये कदम उठाने और फिर कभी गलत मार्ग पर नहीं चलने के लिये कहा था.'

बयान में लिथुआनिया से कहा गया था कि यदि उसने कार्यालय खोलने की अनुमति दी तो उसे इसका अंजाम भुगतना पड़ सकता है. हालांकि इसके अलावा चीन ने और कोई जानकारी नहीं दी थी.

लिथुआनिया के विदेश मंत्रालय ने चीन के कदम पर खेद व्यक्त करते हुए जोर देकर कहा कि वह 'एक चीन' के सिद्धांत का सम्मान करता है, लेकिन वह ताइवान के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंध विकसित करने के लिए तैयार है, जैसे कि अन्य कई देश कर चुके हैं.

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चीन का कहना है कि ताइवान उसका हिस्सा है और उसके पास राजनयिक पहचान नहीं है. हालांकि फिर भी ताइवान व्यापार कार्यालयों के जरिये अमेरिका और जापान समेत सभी प्रमुख देशों से अनौपचारिक संबंध रखता है. इन कार्यालयों को वास्तव में उसका दूतावास माना जाता है. चीन के दबाव के चलते ताइवान के केवल 15 देशों के साथ ही राजनयिक संबंध हैं.

(पीटीआई-भाषा)

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