वॉशिंगटन: ट्रंप प्रशासन ने भारत के सैन्य मालवाहक विमान सी-17 को सहयोग देने के लिए 67 करोड़ डॉलर की विदेशी सैन्य बिक्री को मंजूरी दी. देश ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रक्षा क्षमताएं बढ़ाने के प्रयासों के तौर पर ये कदम उठाया है.
गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन ने अपने इस फैसले को बीते रोज कांग्रेस को अवगत कराया. बता दें, भारत ने हाल में सी-17 के लिए पुर्जे और इसकी मरम्मत संबंधी पुर्जे, सहयोग उपकरण और कार्मिक प्रशिक्षण तथा प्रशिक्षण उपकरण आदि खरीदने का अनुरोध किया था, जिसके बाद यह फैसला लिया गया.
पेंटागन की रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने एक बयान में कहा, 'भारत को क्षेत्र में इसकी संचालनात्मक तत्परता बनाए रखने और मानवीय सहायता एवं आपदा राहत सहायता मुहैया कराने की क्षमता के लिए इन उपकरणों की जरुरत है. उसने कहा कि भारत को उन उपकरणों को अपने सशस्त्र बलों में शामिल करने में कोई मुश्किल नहीं होगी.
बयान में कहा गया है कि इस प्रस्तावित बिक्री से अमेरिका-भारत सामरिक संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी. यह प्रमुख रक्षा साझेदार की गतिशीलता संबंधी क्षमताओं को मदद देकर अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को सहयोग देगी. यह साझेदारी हिंद-प्रशांत और दक्षिण एशियाई क्षेत्रों में राजनीतिक स्थिरता, शांति एवं आर्थिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण बल होगी.
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वहीं, दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और PAK पीएम इमरान खान की बैठक के कुछ दिनों बाद पेंटागन ने 12 करोड़ 50 लाख डॉलर की सैन्य बिक्री को मंजूरी देने के अपने फैसले के बारे में कांग्रेस को अधिसूचित किया. इससे पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमानों के इस्तेमाल पर चौबीसों घंटे नजर रखी जा सकेगी.
अमेरिकी अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान को दी जाने वाली सुरक्षा सहायता पर रोक लगाने का ट्रंप का जनवरी 2018 का आदेश अब भी लागू है और ताजा फैसले से पाकिस्तान में एफ-16 लड़ाकू विमानों के इस्तेमाल पर चौबीसों घंटे नजर रखने में मदद मिलेगी क्योंकि इसके तहत एफ-16 कार्यक्रम पर नजर रखने में मदद करने के लिए वहां 60 ठेकेदार प्रतिनिधियों की आवश्यकता होगी.
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, 'सुरक्षा सहायता पर रोक लगाने के ट्रंप के जनवरी 2018 के आदेश में कोई बदलाव नहीं किया गया है. जैसा कि राष्ट्रपति ने इस सप्ताह दोहराया था, हम हमारे संबंधों के व्यापक स्वरूप के अनुरूप कुछ सुरक्षा सहायता कार्यक्रम बहाल करने पर विचार कर रहे हैं.'
उन्होंने पेंटागन की ओर से कांग्रेस को शुक्रवार को दी गई अधिसूचना का जिक्र करते हुए कहा, 'इस प्रस्तावित बिक्री से इस्तेमाल की चौबीसों घंटे निगरानी रखने वाले अमेरिकी कर्मियों की लगातार मौजूदगी के जरिए अमेरिकी प्रौद्योगिकी की रक्षा होगी, जिससे अमेरिका की विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूती मिलेगी.'
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रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी ने एक बयान में कहा, 'विदेश मंत्रालय ने एफ-16 कार्यक्रम को सहयोग करने के लिए तकनीकी सुरक्षा दल (टीएसटी) के लिए पाकिस्तान को 12 करोड़ 50 लाख डॉलर की अनुमानित कीमत की संभावित विदेश सैन्य बिक्री की मंजूरी देने का निर्णय लिया है.'
बयान के अनुसार, पाकिस्तान ने 'पाकिस्तान शांति मुहिम' उन्नत एफ-16 कार्यक्रम के सहयोग में अभियानों पर नजर रखने में मदद के लिए अमेरिकी सरकार से तकनीकी समर्थन सेवा जारी रखने का अनुरोध किया था.
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ एफ-16 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया है. उसने हाल में इसका इस्तेमाल भारत द्वारा पाकिस्तान के बालाकोट में हवाई हमले के बाद किया था. पेंटागन ने कहा कि इस समर्थन के तहत प्रस्तावित बिक्री से क्षेत्र में मूलभूत सैन्य संतुलन नहीं बिगड़ेगा.