काठमांडू : नेपाल में स्थित 'तिब्बती कल्याण कार्यालय' ने तिब्बती मूल के लोगों से आग्रह किया है कि वे 1959 में चीन शासन के खिलाफ हुए 'तिब्बती विद्रोह' का 10 मार्च को वर्षगांठ न मनाएं.
नेपाल में तिब्बती कल्याण कार्यालय ने शुक्रवार को एक घोषणा कर कहा, 'नेपाल सरकार की तरफ से कहा गया है कि तिब्बतियों को 10 मार्च की सालगिरह मनाने की अनुमति नहीं है, हम सभी तिब्बतियों को देश (नेपाल) के कानून का पालन करने को कहा गया है.'
तिब्बती कल्याण कार्यालय ने साथ ही यह भी कहा कि इस सालगिरह की तारीख पर प्रार्थना और धार्मिक समारोह का आयोजन कर पुण्य कार्य के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा.
आपको बता दें कि तिब्बती कल्याण कार्यालय तिब्बती शरणार्थियों को नेपाल में बसाने और उनके देखभाल का जिम्मा उठाता है.
पढ़ें : तिब्बत के सांसद हिंशे फुंचोग ने चीन को दी व्यवहार में बदलाव की सलाह
हालांकि नेपाली पुलिस को पहले से ही काठमांडू घाटी के आसपास तिब्बती शरणार्थी बस्तियों में तैनात कर दिया गया है ताकि वह तिब्बतियों के गतिविधियों पर नजर रख सके.
गौरतलब है कि चीनी दूतावास के दबाव में नेपाल प्रशासन ने पिछले साल तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था.
गौरतलब है कि 10 मार्च 1959 को ल्हासा में तिब्बतियों ने बीजिंग के कड़े राजनीतिक और पूर्व स्वतंत्र तिब्बत के सैन्य नियंत्रण के विरोध में विद्रोह किया था, जिसमें हजारों की संख्या में लोग मारे गए थे.
वर्तमान में चीन का तिब्बत और तिब्बती आबादी वाले पश्चिमी चीन प्रांतों पर पूरा नियंत्रण है. तिब्बतियों पर राजनीतिक गतिविधियों और सांस्कृतिक और धार्मिक पहचानों की शांतिपूर्ण अभिव्यक्ति जैसे अधिकारों पर पूर्ण रूप से रोक लगा रखी है.
पढ़ें : बंदूक की ताकत पर है चीन का शासन, जारी रखेंगे लड़ाई : दलाई लामा
देखा जाए तो नेपाल का चीन के साथ समझौता होने के बाद उसकी अर्थव्यवस्था तेजी से विकास कर रही है तो वहीं नेपाल की विकास परियोजनाओं में चीन ने करोड़ों डॉलर का निवेश कर रखा है. यही कारण है कि नेपाल अब चीन के साथ रिश्तों के कारण तिब्बतियों को एक सीमा के अंदर ही स्वतंत्रा देने की नीति पर चल रहा है.