बैंकॉक : थाइलैंड के प्रधानमंत्री प्रयुत चान ओचा के इस्तीफे की मांग को लेकर प्रदर्शन हो रहे हैं. इस दौरान अधिकारियों ने राजधानी में सख्त आपातकाल की घोषणा की. छात्रों की अगुवाई में शुरू हुआ प्रदर्शन अभूतपूर्व अभियान में बदल गया और इस दौरान शाही काफिले को रोकने का प्रयास किया गया. इस घटनाक्रम के बाद आपातकाल की घोषणा की गई.
अल सुबह हुई आपातकाल की घोषणा के बाद दंगा निरोधी पुलिस ने प्रधानमंत्री के कार्यालय के बाहर रात भर डेरा डाले रहे लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों के समूह को तितर-बितर कर दिया. प्रदर्शनकारी प्रधानमंत्री प्रयुत चान ओचा के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.
प्रदर्शनकारी थाईलैंड के संवैधानिक राजतंत्र में सुधार की मांग कर रहे हैं. उनका दावा है कि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था में उचित तरीके से काम नहीं करता.
प्रदर्शनकारियों के कई शीर्ष नेताओं को हिरासत में लिया गया है. पुलिस ने कहा कि अब तक 22 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
बैंकाक के एक क्षेत्र में बुधवार को व्यापक प्रदर्शन हुए. बता दें कि प्रदर्शन स्थल यहां के भव्य मंदिरों और शाही महलों से अधिक दूर नहीं है.
छात्रों के आंदोलन में देश के सत्तात्मक ढांचे में थाईलैंड के राजपरिवार की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं.
आपातकाल की घोषणा में कहा गया है कि इसकी जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि षड्यंत्रकारियों के कुछ समूह विभिन्न तरीकों और माध्यमों से शाही काफिले में बाधा डालने सहित किसी अप्रिय घटना को अंजाम देना चाहते हैं.
पढ़ें :- अमेरिका में प्रदर्शनकारियों ने रूजवेल्ट और लिंकन की प्रतिमाओं को गिराया
यह प्रदर्शन सैन्य तानाशाही के खिलाफ 1973 में छात्रों के नेतृत्व में हुए आंदोलन की वर्षगांठ के अवसर पर हुआ है.
सरकारी प्रवक्ता अनुचा बुराफाचाइश्री ने बृहस्पतिवार की सुबह घोषणा की कि देश अब खतरनाक क्षेत्र जैसी स्थिति में है और इसलिए प्रधानमंत्री ने शाही काफिले में बाधा डालने वाले और राजतंत्र का किसी भी तरह अपमान करने वाले लोगों के खिलाफ पुलिस को कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं.
वहीं, मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने प्रदर्शनकारियों की धरपकड़ की निंदा की है.