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काबुल की ऊंची इमारतें और चकाचौंध देखकर हैरान हैं युवा तालिबान लड़ाके

अब जबकि तालिबान ने अफगानिस्तान पर दोबारा कब्जा कर लिया है. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि इस इस्लामिक अफगानिस्तान में महिलाओं की स्थिति फिर से खराब होगी. अजीबो-गरीब तरीकों वाले न्यायिक फैसले होंगे. इसी बीच एक रोचक बात निकल कर सामने आई है. काबुल पर कब्जा करने वाले युवा तलिबानी लड़ाके काबुल की ऊंची इमारतें और चकाचौंध को देखकर हैरान है. इनमें से 22 साल के एजानुल्ला ने ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा था, जब दो महिलाओं ने एजानुल्ला को सड़क पर हैलो कहा तो उसे विश्वास नहीं हुआ. तालिबान सचमुच बदल गया है या नहीं यह नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह वो देश नहीं है, जिस पर संगठन ने गृह युद्ध के चार साल बाद 1996 में कब्जा किया था.

तालिबान लड़ाके
तालिबान लड़ाके
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Published : Aug 18, 2021, 4:27 PM IST

Updated : Aug 18, 2021, 4:51 PM IST

काबुल : अफगानिस्तान की राजधानी पर कब्जा करने वाले हजारों तालिबान लड़ाकों में से एक 22 साल के एजानुल्ला ने ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा था. काबुल की पक्की सड़कों पर ऊंचे-ऊंचे अपार्टमेंट, इमारतों में शीशे के कार्यालय और शॉपिंग मॉल उसे अचम्भे में डाल रहे थे.

गृह मंत्रालय के भीतर उम्दा फर्नीचर के बारे में उसने कहा कि वह ऐसा था जैसा उसने सपने में भी नहीं सोचा था. एजानुल्ला ने कहा कि वह अपने कमांडर से पूछेगा कि क्या उसे यहां रहने की अनुमति मिलेगी. उसने कहा, 'मैं वापस नहीं जाना चाहता.'

जिम में मस्ती करते तालिबानी लड़ाके.
जिम में मस्ती करते तालिबानी लड़ाके.

आज का काबुल और अन्य शहर वैसे नहीं हैं जैसे 20 साल पहले के तालिबान शासन में थे, जिसके लड़ाके मुख्यतः ग्रामीण इलाकों से आते हैं. अफगानिस्तान की एक पूरी पीढ़ी आधुनिकता और पश्चिमी विकास के रंग में रंगी हुई है. बहुत से लोगों को डर है कि इतने सालों में जो हासिल किया है वह तालिबान के वापस आने के बाद कहीं फिर से न खो जाए. जब दो महिलाओं ने एजानुल्ला को सड़क पर हैलो कहा तो उसे विश्वास नहीं हुआ.

तालिबानी लड़ाके.
तालिबानी लड़ाके.

उसने कहा, 'उन्होंने कहा कि वे हमसे डरती थीं और सोचती थीं कि हम डरावने हैं. लेकिन मैंने उनसे कहा कि तुम मेरी बहनों की तरह हो और हम तुम्हें स्कूल जाने देंगे शिक्षा लेने देंगे और सुरक्षा देंगे. बस तुम अपने हिजाब का ध्यान रखो.'

तालिबान सचमुच बदल गया है या नहीं यह नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह वो देश नहीं है, जिस पर संगठन ने गृह युद्ध के चार साल बाद 1996 में कब्जा किया था. सोवियत संघ की वापसी और 1992 में कम्युनिस्ट समर्थक सरकार के जाने के बाद अफगानिस्तान को गृह युद्ध झेलना पड़ा था, जिसके बाद तालिबान का शासन रहा था.

तालिबानी लड़ाके.
तालिबानी लड़ाके.

उस जमाने में शहर खंडहर की शक्ल में हुआ करते थे जिस पर स्थानीय लड़ाके प्रशासन चलाते थे. ज्यादातर अफगान टूटी फूटी सड़कों, साईकिल या पीली टैक्सी में चला करते थे. पूरे देश में उस समय केवल एक कम्प्यूटर था, जो तालिबान के नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के पास हुआ करता था.

मजे की बात यह थी कि उसे वह चालू करना तक नहीं आता था. वर्ष 2001 में तालिबान का शासन समाप्त होने और इस साल फिर से बहाल होने के बीच देश में बहुत बदलाव आ चुका है. तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में टेलीविजन और गीत संगीत प्रतिबंधित था, लड़कियों के स्कूल जाने पर पाबंदी थी और महिलाएं घरों के बाहर काम नहीं कर सकती थीं.

लेकिन आज देश में चार मोबाइल कंपनियां और कई सेटेलाइट टीवी स्टेशन हैं, जहां महिला एंकर काम करती हैं जिनमें से एक ने सोमवार को तालिबान के एक अधिकारी का साक्षात्कार लिया था. स्वयं तालिबान लड़ाकों के हाथों में महंगे मोबाइल फोन देखे गए, जिनसे वह सेल्फी लेते नजर आए.

तालिबानी लड़ाके
तालिबानी लड़ाके

यह भी पढ़ें- मुस्लिम बोर्ड ने तालिबान का किया समर्थन, कहा-आपको हिंदुस्तानी मुसलमान का सलाम

तालिबान लड़ाके आधुनिकता के रंग में रंगे काबुल शहर को देखकर हैरान हैं. ऑनलाइन उपलब्ध वीडियो में वे एक मनोरंजन पार्क में मस्ती करते और जिम में देखे गए .

तालिबान के कब्जे के बावजूद राजधानी में ही रूकने का फैसला करने वाले देश के लोकप्रिय टोलो टीवी नेटवर्क के मालिक साद मोहसेनी ने कहा कि बहुत से अफगान लोगों को तालिबान के वेश में लुटेरों का डर सता रहा है. उन्होंने कहा, 'ये तालिबान का रूप धरने वाले लुटेरे अधिक खतरनाक हैं, क्योंकि ये केवल लफंगे हैं.

(पीटीआई भाषा)

काबुल : अफगानिस्तान की राजधानी पर कब्जा करने वाले हजारों तालिबान लड़ाकों में से एक 22 साल के एजानुल्ला ने ऐसा नजारा पहले कभी नहीं देखा था. काबुल की पक्की सड़कों पर ऊंचे-ऊंचे अपार्टमेंट, इमारतों में शीशे के कार्यालय और शॉपिंग मॉल उसे अचम्भे में डाल रहे थे.

गृह मंत्रालय के भीतर उम्दा फर्नीचर के बारे में उसने कहा कि वह ऐसा था जैसा उसने सपने में भी नहीं सोचा था. एजानुल्ला ने कहा कि वह अपने कमांडर से पूछेगा कि क्या उसे यहां रहने की अनुमति मिलेगी. उसने कहा, 'मैं वापस नहीं जाना चाहता.'

जिम में मस्ती करते तालिबानी लड़ाके.
जिम में मस्ती करते तालिबानी लड़ाके.

आज का काबुल और अन्य शहर वैसे नहीं हैं जैसे 20 साल पहले के तालिबान शासन में थे, जिसके लड़ाके मुख्यतः ग्रामीण इलाकों से आते हैं. अफगानिस्तान की एक पूरी पीढ़ी आधुनिकता और पश्चिमी विकास के रंग में रंगी हुई है. बहुत से लोगों को डर है कि इतने सालों में जो हासिल किया है वह तालिबान के वापस आने के बाद कहीं फिर से न खो जाए. जब दो महिलाओं ने एजानुल्ला को सड़क पर हैलो कहा तो उसे विश्वास नहीं हुआ.

तालिबानी लड़ाके.
तालिबानी लड़ाके.

उसने कहा, 'उन्होंने कहा कि वे हमसे डरती थीं और सोचती थीं कि हम डरावने हैं. लेकिन मैंने उनसे कहा कि तुम मेरी बहनों की तरह हो और हम तुम्हें स्कूल जाने देंगे शिक्षा लेने देंगे और सुरक्षा देंगे. बस तुम अपने हिजाब का ध्यान रखो.'

तालिबान सचमुच बदल गया है या नहीं यह नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह वो देश नहीं है, जिस पर संगठन ने गृह युद्ध के चार साल बाद 1996 में कब्जा किया था. सोवियत संघ की वापसी और 1992 में कम्युनिस्ट समर्थक सरकार के जाने के बाद अफगानिस्तान को गृह युद्ध झेलना पड़ा था, जिसके बाद तालिबान का शासन रहा था.

तालिबानी लड़ाके.
तालिबानी लड़ाके.

उस जमाने में शहर खंडहर की शक्ल में हुआ करते थे जिस पर स्थानीय लड़ाके प्रशासन चलाते थे. ज्यादातर अफगान टूटी फूटी सड़कों, साईकिल या पीली टैक्सी में चला करते थे. पूरे देश में उस समय केवल एक कम्प्यूटर था, जो तालिबान के नेता मुल्ला मोहम्मद उमर के पास हुआ करता था.

मजे की बात यह थी कि उसे वह चालू करना तक नहीं आता था. वर्ष 2001 में तालिबान का शासन समाप्त होने और इस साल फिर से बहाल होने के बीच देश में बहुत बदलाव आ चुका है. तालिबान शासन के तहत अफगानिस्तान में टेलीविजन और गीत संगीत प्रतिबंधित था, लड़कियों के स्कूल जाने पर पाबंदी थी और महिलाएं घरों के बाहर काम नहीं कर सकती थीं.

लेकिन आज देश में चार मोबाइल कंपनियां और कई सेटेलाइट टीवी स्टेशन हैं, जहां महिला एंकर काम करती हैं जिनमें से एक ने सोमवार को तालिबान के एक अधिकारी का साक्षात्कार लिया था. स्वयं तालिबान लड़ाकों के हाथों में महंगे मोबाइल फोन देखे गए, जिनसे वह सेल्फी लेते नजर आए.

तालिबानी लड़ाके
तालिबानी लड़ाके

यह भी पढ़ें- मुस्लिम बोर्ड ने तालिबान का किया समर्थन, कहा-आपको हिंदुस्तानी मुसलमान का सलाम

तालिबान लड़ाके आधुनिकता के रंग में रंगे काबुल शहर को देखकर हैरान हैं. ऑनलाइन उपलब्ध वीडियो में वे एक मनोरंजन पार्क में मस्ती करते और जिम में देखे गए .

तालिबान के कब्जे के बावजूद राजधानी में ही रूकने का फैसला करने वाले देश के लोकप्रिय टोलो टीवी नेटवर्क के मालिक साद मोहसेनी ने कहा कि बहुत से अफगान लोगों को तालिबान के वेश में लुटेरों का डर सता रहा है. उन्होंने कहा, 'ये तालिबान का रूप धरने वाले लुटेरे अधिक खतरनाक हैं, क्योंकि ये केवल लफंगे हैं.

(पीटीआई भाषा)

Last Updated : Aug 18, 2021, 4:51 PM IST
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