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दक्षिण कोरिया को ठोस ईंधन रॉकेट रखने के लिए अमेरिका से मिली सहमति

दक्षिण कोरिया को ठोस ईंधन रखने के लिए अमेरिका से सहमति मिली है. अब दक्षिण कोरिया अपने निगरानी उपग्रहों को लॉन्च करने और अधिक शक्तिशाली मिसाइल बनाने की प्रौद्योगिकी हासिल करने में सक्षम होगा.

सोल और वाशिंगटन प्रतिबंध हटाने के लिए सक्षम
सोल और वाशिंगटन प्रतिबंध हटाने के लिए सक्षम
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Published : Jul 29, 2020, 12:26 PM IST

सोल : दक्षिण कोरिया ने कहा है कि उसने अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों के लिए ठोस ईंधन का उपयोग करने के लिए अमेरिका से सहमति ली है. इससे सोल अपने निगरानी उपग्रहों को लॉन्च करने और अधिक शक्तिशाली मिसाइल बनाने की प्रौद्योगिकी हासिल करने में सक्षम होगा.

ठोस ईंधन मिसाइलों और रॉकेटों के लिए अधिक गतिशीलता प्रदान करता है और लॉन्च की तैयारी के समय को कम करता है. आपको बता दें कि वॉशिंगटन ने अंतरिक्ष प्रक्षेपण रॉकेटों के लिए सोल के ठोस ईंधन के इस्तेमाल पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया था क्योंकि इसका इस्तेमाल बड़ी मिसाइलों के उत्पादन और क्षेत्रीय हथियारों की दौड़ के लिए किया जा सकता था.

फिलहाल दक्षिण कोरियाई सरकार ने मंगलवार को कहा कि सोल और वाशिंगटन इस तरह के प्रतिबंधों को हटाने के लिए सहमत हुए हैं. सुरक्षा सलाहकार किम ह्यून-चोंग ने संवाददाताओं को बताया कि सभी दक्षिण कोरियाई अनुसंधान संस्थान, कंपनियां और व्यक्ति अब ठोस ईंधन का उपयोग करके अंतरिक्ष प्रक्षेपण रॉकेटों को विकसित करने, उत्पादन करने और रखने के लिए स्वतंत्र हैं.

पढ़ें : ट्रंप ने दक्षिण कोरिया से कोरोना 'जांच किट' उपलब्ध कराने का किया अनुरोध : सोल

किम ने कहा कि संशोधित समझौता अब भी दक्षिण कोरिया को 800 किलोमीटर से अधिक दूरी की मिसाइल रखने से रोकता है. लेकिन उन्होंने कहा कि अगर दक्षिण कोरियाई राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इसकी आवश्यकता होगी तो सोल वॉशिंगटन के साथ उस प्रतिबंध को बदलने की चर्चा कर सकता है.

वैसे दक्षिण कोरिया से 800 किलोमीटर की दूरी तक दागी गई एक मिसाइल अब भी उत्तर कोरिया पर हमले के लिए पर्याप्त है.

किम ने कहा कि इससे दक्षिण कोरिया की खुफिया और टोही क्षमता में काफी सुधार होगा, जब यह जासूसी उपग्रहों को अंतरिक्ष में पृथ्वी की कक्षा में रखने के लिए ठोस ईंधन वाले रॉकेटों का उत्पादन और प्रक्षेपण करेगा. उन्होंने कहा कि इस तरह के उपग्रह प्रक्षेपण के लिए ठोस ईंधन रॉकेट का उपयोग करना अधिक मायने रखता है.

किम ने कहा कि दक्षिण कोरिया के पास कोई सैन्य जासूसी उपग्रह नहीं है. उन्होंने कहा कि अब ठोस ईंधन रॉकेटों की मदद से कोरिया अपनी सीमाओं की भरपूर निगरानी कर सकता है.

दक्षिण कोरिया के विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति संस्थान के एक मिसाइल विशेषज्ञ ली चून ग्यून ने कहा कि दक्षिण कोरिया इसकी मदद से उत्तर कोरिया की बेहतर निगरानी कर सकता है.

यह भी पढ़ें : ...तो चीन की चाल के पीछे है, 'कीमती खनिज वाली घाटी' का खजाना

ली ने कहा कि अमेरिका के साथ समझौते से दक्षिण कोरिया को अपने अंतरिक्ष विकास के बुनियादी ढांचे का विस्तार करने और ऐसी मिसाइलों के निर्माण के बारे में पता चलेगा, जो बड़े युद्धक विमानों के साथ लंबे समय तक उड़ान भर सकती हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि उपग्रह प्रक्षेपण में बैलिस्टिक मिसाइल और रॉकेट की लगभग एक जैसी ही तकनीक होती है.

कोरिया रक्षा अध्ययन मंच के प्रमुख जंग चांगवुक ने बताय कि ठोस ईंधन रॉकेट का उत्पादन करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग लंबी दूरी की मिसाइलों के निर्माण के लिए भी किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीन के साथ बेहतर तालमेल के लिए दक्षिण कोरिया के साथ अपने गठबंधन को मजबूत करने के लिए सौदों के संशोधन पर सहमति व्यक्त की.

दक्षिण कोरिया की मिसाइल क्षमता उत्तर कोरिया की तुलना में कम है. 2017 में उत्तर कोरिया ने तीन अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण भी किए.

सोल : दक्षिण कोरिया ने कहा है कि उसने अंतरिक्ष प्रक्षेपण वाहनों के लिए ठोस ईंधन का उपयोग करने के लिए अमेरिका से सहमति ली है. इससे सोल अपने निगरानी उपग्रहों को लॉन्च करने और अधिक शक्तिशाली मिसाइल बनाने की प्रौद्योगिकी हासिल करने में सक्षम होगा.

ठोस ईंधन मिसाइलों और रॉकेटों के लिए अधिक गतिशीलता प्रदान करता है और लॉन्च की तैयारी के समय को कम करता है. आपको बता दें कि वॉशिंगटन ने अंतरिक्ष प्रक्षेपण रॉकेटों के लिए सोल के ठोस ईंधन के इस्तेमाल पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया था क्योंकि इसका इस्तेमाल बड़ी मिसाइलों के उत्पादन और क्षेत्रीय हथियारों की दौड़ के लिए किया जा सकता था.

फिलहाल दक्षिण कोरियाई सरकार ने मंगलवार को कहा कि सोल और वाशिंगटन इस तरह के प्रतिबंधों को हटाने के लिए सहमत हुए हैं. सुरक्षा सलाहकार किम ह्यून-चोंग ने संवाददाताओं को बताया कि सभी दक्षिण कोरियाई अनुसंधान संस्थान, कंपनियां और व्यक्ति अब ठोस ईंधन का उपयोग करके अंतरिक्ष प्रक्षेपण रॉकेटों को विकसित करने, उत्पादन करने और रखने के लिए स्वतंत्र हैं.

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किम ने कहा कि संशोधित समझौता अब भी दक्षिण कोरिया को 800 किलोमीटर से अधिक दूरी की मिसाइल रखने से रोकता है. लेकिन उन्होंने कहा कि अगर दक्षिण कोरियाई राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए इसकी आवश्यकता होगी तो सोल वॉशिंगटन के साथ उस प्रतिबंध को बदलने की चर्चा कर सकता है.

वैसे दक्षिण कोरिया से 800 किलोमीटर की दूरी तक दागी गई एक मिसाइल अब भी उत्तर कोरिया पर हमले के लिए पर्याप्त है.

किम ने कहा कि इससे दक्षिण कोरिया की खुफिया और टोही क्षमता में काफी सुधार होगा, जब यह जासूसी उपग्रहों को अंतरिक्ष में पृथ्वी की कक्षा में रखने के लिए ठोस ईंधन वाले रॉकेटों का उत्पादन और प्रक्षेपण करेगा. उन्होंने कहा कि इस तरह के उपग्रह प्रक्षेपण के लिए ठोस ईंधन रॉकेट का उपयोग करना अधिक मायने रखता है.

किम ने कहा कि दक्षिण कोरिया के पास कोई सैन्य जासूसी उपग्रह नहीं है. उन्होंने कहा कि अब ठोस ईंधन रॉकेटों की मदद से कोरिया अपनी सीमाओं की भरपूर निगरानी कर सकता है.

दक्षिण कोरिया के विज्ञान और प्रौद्योगिकी नीति संस्थान के एक मिसाइल विशेषज्ञ ली चून ग्यून ने कहा कि दक्षिण कोरिया इसकी मदद से उत्तर कोरिया की बेहतर निगरानी कर सकता है.

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ली ने कहा कि अमेरिका के साथ समझौते से दक्षिण कोरिया को अपने अंतरिक्ष विकास के बुनियादी ढांचे का विस्तार करने और ऐसी मिसाइलों के निर्माण के बारे में पता चलेगा, जो बड़े युद्धक विमानों के साथ लंबे समय तक उड़ान भर सकती हैं.

विशेषज्ञों का कहना है कि उपग्रह प्रक्षेपण में बैलिस्टिक मिसाइल और रॉकेट की लगभग एक जैसी ही तकनीक होती है.

कोरिया रक्षा अध्ययन मंच के प्रमुख जंग चांगवुक ने बताय कि ठोस ईंधन रॉकेट का उत्पादन करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग लंबी दूरी की मिसाइलों के निर्माण के लिए भी किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने चीन के साथ बेहतर तालमेल के लिए दक्षिण कोरिया के साथ अपने गठबंधन को मजबूत करने के लिए सौदों के संशोधन पर सहमति व्यक्त की.

दक्षिण कोरिया की मिसाइल क्षमता उत्तर कोरिया की तुलना में कम है. 2017 में उत्तर कोरिया ने तीन अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण भी किए.

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